नीता अंबानी से आलिया भट्ट तक को पसंद है 'पैठणी साड़ी', बेहद रोचक है इसका इतिहास
'पैठणी साड़ी' अपने लुक और डिजाइन की वजह से दुनिया भर में पसंद की जाती है। यह साड़ी महाराष्ट्र की एक पारंपरिक साड़ी है, जो हाथ से बुनकर तैयार की जाती है।

रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी की पत्नी नीता अंबानी अपने फैशन सेंस के लिए हमेशा चर्चा में बनी रहती हैं। नीता को शादी- पार्टी जैसे फंक्शन में अकसर एक खास तरह की साड़ी पहने हुए देखा जाता है। गौर करने वाली बात यह है कि सिर्फ नीता अंबानी ही नहीं बल्कि माधुरी से लेकर आलिया भट्ट तक, बॉलीवुड की कई अभिनेत्रियों को साड़ी की इस खास वैरायटी पर प्यार लुटाते देखा गया है। इतना ही नहीं 'बाजीराव मस्तानी' जैसी कई फिल्मों में भी एक्ट्रेसेस को इस साड़ी में कहर ढाते हुए देखा गया है। दरअसल, साड़ी की इस खास वैरायटी का नाम 'पैठणी साड़ी' है। 'पैठणी साड़ी' अपने लुक और डिजाइन की वजह से दुनिया भर में पसंद की जाती है। यह साड़ी महाराष्ट्र की एक पारंपरिक साड़ी है, जो हाथ से बुनकर तैयार की जाती है।
पैठणी साड़ी में क्या है खास?
पैठणी साड़ी की कला लगभग 2,000 साल पुरानी मानी जाती है, जिसे हाथ से बुनकर तैयार किया जाता है। कई पैठणी साड़ियों को बनाने के लिए उनमें सोने-चांदी का भी यूज किया जाता है। महाराष्ट्र की महिलाएं पैठणी साड़ी को हर खास मौके और त्यौहार पर पहनती हैं। पैठणी साड़ी की बारीक बुनाई, जीवंत रंग और जटिल डिजाइन की वजह से यह विश्व प्रसिद्ध है। इस साड़ी में आपको मोर, कमल का फूल, तोते,बेल-बूटों और बुद्ध पेंटिंग से इंस्पायर जैसे कई पैटर्न देखने को मिल सकते हैं। जिन्हें जरी और धागों की मदद से डिजाइन किया जाता है।
मराठी दुल्हन शादी पर क्यों पहनती है 'पैठणी साड़ी'?
मराठी लोगों के लिए पैठणी साड़ी एक फेब्रिक मात्र नहीं है, वो लोग इसे एक विरासत के तौर पर देखते हैं। पैठणी साड़ी का रॉयल लुक हर मराठी दुल्हन को आकर्षित करता है। इसके अलावा साड़ी के सुनहरे पारंपरिक रंग दुल्हन के लिए बेहद शुभ भी माने जाते हैं। माना जाता है कि शादी के दिन लाल रंग की पैठणी साड़ी पहनने से जीवन में सौभाग्य आता है। यही वजह है कि शादी के दिन दुल्हन की मां और सास होने वाली दुल्हन को यह साड़ी गिफ्ट में देते हैं।
'पैठणी साड़ी'का इतिहास
प्राचीन ग्रंथ और साहित्य जैसे कि बौद्ध ग्रंथ और कालिदास की रचनाओं में, पैठण के रेशम और सूती वस्त्रों की सुंदरता का जिक्र मिलता है। पैठणी साड़ी को उस समय 'महावस्त्र'के रूप में जाना जाता था, जो अपनी शानदार बुनाई और सोने-चांदी के धागों के उपयोग के लिए प्रसिद्ध थी। बता दें, 17वीं शताब्दी में इस साड़ी की कला को पेशवाओं ने संरक्षण प्रदान किया। जिसके बाद इसे शाही परिधान के रूप में स्थापित किया।
बुनाई की तकनीक
पैठणी साड़ी की बुनाई की तकनीक की बात करें तो इसे हथकरघा पर बनाया जाता है। जिसमें रेशम और जरी (सोने या चांदी के धागे) का यूज होता है। इस साड़ी की सबसे खासियत इसका पल्लू है, जिसमें जटिल नक्काशी और रंग-बिरंगे डिजाइन बने हुए होते हैं। पैठणी की बुनाई में टेपेस्ट्री तकनीक का उपयोग होता है,जिसमें रंगों को एक-दूसरे में मिश्रित किया जाता है। यह साड़ी दोनों तरफ से एक जैसी दिखती है।
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