ईश्वर का नाम असंख्य, भक्ति ही सुख का मार्ग : स्वामी प्रमोद
महर्षि मेंहीं आश्रम शबरी कुटिया में चल रहे तीन दिवसीय सत्संग कार्यक्रम के दूसरे दिन भक्तिभाव और आध्यात्मिक उल्लास का अद्भुत अनुभव हुआ। संतों ने सत्य, भक्ति और सद्गुणों से जीवन जीने का मार्ग बताया।...

मुरहू, प्रतिनिधि। महर्षि मेंहीं आश्रम शबरी कुटिया शांतिपुरी मुरहू में चल रहे तीन दिवसीय सत्संग कार्यक्रम के दूसरे दिन रविवार को आध्यात्मिक उल्लास और भक्ति भाव की अदभुत झलक देखने को मिली। सैकड़ों श्रद्धालु सत्संग स्थल पर एकत्र हुए और संतों के प्रवचनों से लाभान्वित हुए। इस अवसर पर देशभर से आए संतों ने अध्यात्म, सत्य, भक्ति और सद्गुणों से परिपूर्ण जीवन का मार्ग बताया। भागलपुर कुप्पाघाट आश्रम के स्वामी प्रमोद जी महाराज ने अपने प्रवचन में कहा कि धूल के कण गिने जा सकते हैं, परंतु ईश्वर के नामों की कोई गणना नहीं की जा सकती। उसी में गुरु नाम भी शामिल है।
उन्होंने समझाया कि ईश्वर किसी लिंग या स्वरूप में बंधे नहीं होते, वे सबके माता-पिता, सखा और स्नेही होते हैं। उन्होंने कहा कि जैसे मेहंदी में लाली, फूल में सुगंध और दूध में घी छिपा होता है, उसी तरह ईश्वर संपूर्ण सृष्टि में व्याप्त हैं। स्वामी जी ने संतों के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी और कहा कि सत्य, अहिंसा, संयम और भक्ति ही जीवन को स्वर्ग बना सकते हैं। उन्होंने जीव हत्या को निंदनीय बताया और कहा कि यदि किसी की एक अंगुली कटने से पीड़ा होती है, तो फिर हम दूसरों के प्राण कैसे ले सकते हैं? संतों का जीवन परोपकार के लिए होता है : स्वामी निर्मलानंद स्वामी डॉ निर्मलानंद जी महाराज ने कहा कि संत जन समाज को जीवन जीने की कला सिखाते हैं। उन्होंने बताया कि सच्ची शिक्षा वही है, जिसमें अध्यात्म ज्ञान हो। सदगुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज सहित सभी संतों ने बताया है कि आत्मा की खोज अपने भीतर करनी होती है और गुरु के बताए ध्यान मार्ग पर चलकर ही मोक्ष संभव है। मौके पर स्वामी नरेंद्र जी, लक्ष्मण जी, बालकृष्ण जी, अखिलेश्वर जी, लोदरो बाबा एवं दिगंबर बाबा ने भी अपने वक्तव्यों में कहा कि संत ईश्वर की कृपा से ही मिलते हैं और उनके सान्निध्य में ही जीवन का सुधार और उद्धार होता है।" उन्होंने सात्विक आहार और नशा मुक्ति को जरूरी बताया। विधायक और डीपीआरओ ने लिया आशीर्वाद: सत्संग कार्यक्रम के दूसरे दिन मुख्य अतिथि विधायक रामसूर्या मुंडा आश्रम पहुंचे और संतों से आशीर्वाद लिया। उन्होंने कहा कि संतों के बताए मार्ग पर चलने से ही जीवन में सुख, शांति और स्थिरता आती है। उन्होंने आश्रम परिवार को समाज में आध्यात्मिक चेतना फैलाने के लिए धन्यवाद दिया। विशिष्ट अतिथि डीपीआरओ डॉ शिशिर कुमार सिंह ने भी आश्रम के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि आश्रम इस क्षेत्र में आध्यात्मिक जागरूकता का केंद्र बना हुआ है, यह अत्यंत प्रशंसनीय है। सभी को सत्संग रूपी अमृत का पान करना चाहिए। कार्यक्रम की सफलता में इनका रहा योगदान: सत्संग कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ डीएन तिवारी, डॉ संजय कुमार, सगुन दास, जूरन मुंडा, राम हरि साव, सुबोध कुमार, मुचीराय मुंडा, सूरजमल प्रसाद, सुख सागर मुंडा, हरिद्वार ठाकुर, सुनील रजक, सनातन कुमार, धर्मेंद्र ठाकुर, जगन्नाथ मुंडा, अजय गुप्ता, अमर गंझू, डॉ रमेश वर्मा, डॉ महेंद्र प्रसाद, अनंत ठाकुर, कृष्णा प्रसाद, जगमोहन पुर्ती, सुरेश अकेला, विष्णु मुंडा, गणपति ठाकुर सहित अनेक सत्संगियों का योगदान रहा। तीन दिवसीय सत्संग कार्यक्रम के तीसरे और अंतिम दिन श्रद्धालुओं की संख्या और भी अधिक रहने की संभावना है।
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