नई प्रारंभिक शिक्षक प्रोन्नति नियमावली का विरोध
अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ का विरोध, मुख्यमंत्री से पुनर्विचार करने की मांग, 1993 की नियमावली के तहत सुप्रीम कोर्ट ने यथा स्थिति बनाए रखने का दिय

रांची, हिन्दुस्तान ब्यूरो। मंत्रिपरिषद की बैठक में राजकीयकृत प्रारंभिक विद्यालय शिक्षक प्रोन्नति नियमावली 2025 के गठन की स्वीकृति दिए जाने से शिक्षकों में क्षोभ और आक्रोश है। अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ ने आपत्ति दर्ज की है। संघ के महासचिव राममूर्ति ठाकुर ने कहा है कि ऐसा करके राज्य सरकार ने लगभग 11,000 शिक्षकों के साथ धोखा किया है। साथ ही यह सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा दिसंबर 2024, जनवरी 2025 और फरवरी 2025 में पारित आदेश के भी प्रतिकूल है। इसमें झारखंड के शिक्षकों और अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर विभिन्न एसएलपी याचिकाओं में न्यायालय ने यथास्थिति बनाए रखने का राज्य सरकार को आदेश दिया हुआ है।
सभी एसएलपी याचिकाएं शिक्षक प्रोन्नति नियमावली 1993 के अधीन विचाराधीन है। उन्होंने कहा कि जब पूरे राज्य के शिक्षकों की प्रोन्नति की तिथि निर्धारण का विषय 1993 की नियमावली के तहत सुप्रीम कोर्ट में यथा स्थिति बनाए रखने के आदेश के साथ विचाराधीन है, तब सरकार द्वारा 1993 की नियमावली को ही समाप्त कर नई नियमावली को स्वीकृति देना न्याय के प्रतिकूल की गई कार्रवाई है। संघ ने न्याय, नीति और पारदर्शिता के विरुद्ध स्वीकृत नई नियमावली के अधिसूचित करने पर पुनर्विचार की मांग मुख्यमंत्री से की है। संघ ने कहा है कि कोई भी नियमावली अपने संवर्ग के सेवकों के हितों के रक्षार्थ बनाई जाती है, जबकि नई प्रस्तावित शिक्षक प्रोन्नति नियमावली 2025 अन्यायपूर्ण बनाई गई नियमावली है। रविवार को अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ की राज्य कार्यकारणी की बैठक संपन्न हुई। ऑनलाइन बैठक में इसे लेकर आक्रोश व्यक्त किया गया और मुख्यमंत्री से उनके क्षेत्राधीन हस्तक्षेप कर इस नई नियमावली को अधिसूचित होने से रोकने की मांग की है। बैठक में संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनूप कुमार केसरी, महासचिव राम मूर्ति ठाकुर, कोषाध्यक्ष संतोष कुमार, प्रमंडलीय अध्यक्ष अजय कुमार, सलीम सहाय तिग्गा, राकेश कुमार सहित राज्य कमेटी के पदाधिकारी और जिलों के अध्यक्ष सचिव शामिल थे।
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