रांची अंचलाधिकारी का आदेश रद्द, पूर्व का आदेश बहाल
कोर्ट ने परिवार सदस्यता प्रमाणपत्र से संबंधित आदेश को बहाल कर दिया, एक बार आदेश पारित हो जाने के बाद अधिकारी को उसे वापस लेने का अधिकार नहीं

रांची। विशेष संवाददाता झारखंड हाईकोर्ट ने रांची सदर अंचलाधिकारी की ओर से जारी किए गए परिवार सदस्यता प्रमाणपत्र से संबंधित आदेश को बहाल कर दिया है। कोर्ट ने यह माना कि एक बार आदेश पारित हो जाने के बाद अधिकारी के पास उसे वापस लेने का अधिकार नहीं होता है। अभिजीत बोस ने 18 जून 2024 को एक आवेदन दिया था, जिसमें उन्होंने परिवार सदस्यता प्रमाणपत्र जारी करने की मांग की थी। इससे पहले, उन्होंने आरटीआई के तहत जानकारी मांगी थी कि किन आधारों पर यह प्रमाणपत्र जारी किया गया था। अंचलाधिकारी ने 24 जनवरी 2025 को एक आदेश पारित किया, जिसमें परिवार की सदस्यता को मान्यता दी गई थी।
हालांकि, बाद में इस आदेश को वापस ले लिया गया। हाईकोर्ट के जस्टिस गौतम कुमार चौधरी ने कहा कि एक बार आदेश पारित हो जाने के बाद, अंचलाधिकारी के पास उसे वापस लेने का कोई अधिकार नहीं होता। कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि ऐसा करने की अनुमति दी जाए, तो कार्यकारी और अर्ध-न्यायिक आदेशों की कोई अंतिमता नहीं रहेगी और लोगों के मामले अधिकारियों की मनमर्जी पर लटके रहेंगे। कोर्ट ने वापस लिए जाने के आदेश को अवैध घोषित करते हुए 24 जनवरी 2025 के आदेश को बहाल कर दिया। अभिजीत बोस के वकीलों ने तर्क दिया कि अंचलाधिकारी ने एक बार आदेश पारित कर दिया था, इसलिए वह उसे वापस नहीं ले सकते थे। वहीं, राज्य के वकील ने कहा कि आदेश वापस लेना इसलिए जरूरी था, क्योंकि सभी तथ्यों पर विचार नहीं किया गया था।
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