सीसीएल को विस्थापितों की सर्वे रिपोर्ट पेश करने का निर्देश
झारखंड हाई कोर्ट में चतरा के टंडवा में विस्थापित लोगों के पुनर्वास और मुआवजा की मांग को लेकर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। अदालत ने सीसीएल को सामाजिक एवं आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश करने का निर्देश...

रांची। विशेष संवाददाता झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ में चतरा के टंडवा में विस्थापित हुए लोगों के पुनर्वास और मुआवजा की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर सोमवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान सीसीएल की ओर से उक्त क्षेत्र की सामाजिक एवं आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश नहीं की गई। अदालत ने इस आदेश का पालन करने का निर्देश दिया है। अदालत ने अगली सुनवाई 28 जुलाई को निर्धारित की है। इस संबंध में कोल परियोजना विस्थापित कल्याण समिति की ओर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई है। प्रार्थियों की ओर से अधिवक्ता चंचल जैन ने अदालत को बताया कि चतरा के टंडवा में सीसीएल की ओर से खनन किया जा रहा है।
इसके लिए वर्ष 1994 में जमीन का अधिग्रहण किया गया था। लेकिन अभी तक रैयतों को उनकी जमीन का मुआवजा नहीं दिया गया है। राज्य सरकार ने भी कहा कि वहां वन पट्टा और गैर मजरूआ जमीन पर 30 साल से रहने वाले लोगों को भी मुआवजा देना होगा। सीसीएल का कहना है कि वह सरकार के साथ-साथ रैयतों को पैसा नहीं दे सकती है। जबकि सरकार की तरफ से कहा गया कि खनन की रायल्टी और रैयत को अलग-अलग भुगतान करना होगा। पिछली सुनवाई के दौरान अदालत ने सीसीएल को उक्त क्षेत्र में सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया था। राज्य सरकार को इस सर्वेक्षण के लिए आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध कराने को कहा था। इसके अलावा राज्य सरकार वन अधिकार अधिनियम, 2006 के तहत समिति के सदस्यों के वन पट्टा के दावों की जांच करेगी।
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