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मनरेगा योजना के तहत आम बगवानी से किसान को लाखों का मुनाफा

महुआडांड़ के किसान सफरुल अंसारी ने मनरेगा योजना के तहत बंजर जमीन पर आम की बगवानी कर लाखों रुपये की आमदनी की है। पहले उनकी एक एकड़ जमीन बंजर थी, लेकिन योजना का लाभ उठाकर उन्होंने आम के पौधे लगाए। अब...

Newswrap हिन्दुस्तान, लातेहारWed, 18 June 2025 05:40 PM
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मनरेगा योजना के तहत आम बगवानी से किसान को लाखों का मुनाफा

महुआडांड़ प्रतिनिधि। सरकार की महत्वाकांक्षी योजना मनरेगा अब केवल मजदूरी तक सीमित नहीं रह गई है। बल्कि यह ग्रामीण किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने का जरिया भी बनती जा रही है। इसका उदाहरण हैं महुआडांड़ प्रखंड के दुरूप पंचायत अंतर्गत ग्राम दुरूप निवासी किसान सफरुल अंसारी, जिन्होंने मनरेगा योजना के तहत आम की बगवानी लगाकर बंजर जमीन को हराभरा कर दिया और आज लाखों रुपये की कमाई कर रहे हैं। सफरुल अंसारी बताते हैं कि कुछ वर्षों पहले उनकी एक एकड़ जमीन पूरी तरह बंजर थी, जहां कोई भी फसल नहीं होती थी। ऐसे में उन्हें मनरेगा योजना के तहत आम बगवानी योजना की जानकारी मिली।

उन्होंने इस योजना का लाभ (2020-21) उठाकर उस बंजर भूमि में आम के पौधे लगाए और लगातार चार वर्षों तक पौधों की देखभाल, खाद-पानी व सेवा की। इस मेहनत का फल उन्हें तब मिला जब पिछले वर्ष बगवानी में आम का उत्पादन शुरू हुआ। पिछले साल लगभग 50 हजार रुपये की आम की बिक्री हुई, वहीं इस वर्ष एक लाख रुपये से अधिक की आमदनी होने की संभावना है। सफरुल का कहना है कि उन्हें अपने आम बेचने के लिए मंडी या बाजारों की दौड़ नहीं लगानी पड़ती। व्यापारी खुद उनके पास आकर आम खरीद लेते हैं, जिससे उन्हें बेहतर दाम भी मिल जाता है। आज सफरुल अंसारी की सफलता पूरे दुरूप पंचायत में चर्चा का विषय बन चुकी है। उनके इस प्रयास को देखकर कई अन्य किसान भी आम बगवानी या फलोद्यान की ओर आकर्षित हो रहे हैं। हाल ही में सफरुल के बगवानी का निरीक्षण करने प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी सुखदेव साहू, कनिय तकनीकी सहायक मुनेश्वर उरांव, एवं रोजगार सेवक प्रेमलाल ठिठियो पहुंचे। उन्होंने सफरुल के कार्य की सराहना करते हुए अन्य किसानों से भी अपील की कि वे मनरेगा योजना का लाभ उठाकर अपनी आय में वृद्धि करें और बंजर या अनुपयोगी जमीन को उत्पादक बनाएं। यह कहानी दर्शाती है कि यदि सरकारी योजनाओं का सही तरीके से उपयोग किया जाए और किसान मेहनत व लगन से काम करें, तो ग्रामीण क्षेत्रों में भी आत्मनिर्भरता संभव है। सफरुल अंसारी का यह सफल प्रयास न केवल आर्थिक रूप से लाभकारी साबित हुआ है, बल्कि यह ग्राम स्तर पर आत्मनिर्भर कृषि मॉडल का उदाहरण भी पेश करता है।

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