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बोले हजारीबाग : पेयजल व स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए भटकने को विवश हैं ग्रामीण

हजारीबाग जिले के कंचनपुर गांव में बरसात के दौरान जलजमाव की समस्या से लोग परेशान हैं। गांव में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और चापाकल नहीं हैं, जिससे स्थानीय लोगों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता...

Newswrap हिन्दुस्तान, हजारीबागSun, 15 June 2025 11:20 PM
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बोले हजारीबाग : पेयजल व स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए भटकने को विवश हैं ग्रामीण

हजारीबाग । बरसात की पहली फुहार जहां कई इलाकों में राहत लेकर आती है, वहीं हजारीबाग जिले के कटकमसांडी प्रखंड के कंचनपुर गांव के लोगों के लिए यह मुसीबतों की शुरुआत होती है। यह गांव हर साल बारिश के मौसम में जलजमाव, जल निकासी की कमी, पीने के पानी की समस्या और स्वास्थ्य केंद्र के अभाव जैसी बुनियादी समस्याओं से जूझता है। गांव की लगभग 5000 की आबादी इन समस्याओं से त्रस्त है, लेकिन अब तक न तो जिला प्रशासन और न ही स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने कोई ठोस कदम उठाया है। गांव के मुख्य सड़क पर हल्की बारिश में ही घुटनों तक पानी भर जाता है।

यह समस्या इसलिए उत्पन्न होती है क्योंकि यह सड़क आगे और पीछे की सड़कों से नीची है। इसके चलते पानी रुक जाता है और धीरे-धीरे सड़क तालाब का रूप ले लेती है। सड़क किनारे नाली की व्यवस्था न होने से पानी की निकासी नहीं हो पाती, जिससे यह स्थिति और भी गंभीर हो जाती है। स्थानीय निवासी बताते हैं, हर साल यही हाल है। बच्चे स्कूल नहीं जा पाते। बूढ़े-बुजुर्ग फिसलकर गिर जाते हैं। कई बार हमने अधिकारियों को आवेदन दिया, लेकिन सिर्फ आश्वासन ही मिला। गांव के बच्चों के लिए यह स्थिति और भी दयनीय है। जलजमाव की वजह से उन्हें रोजाना स्कूल जाने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। स्कूल जाने वाले कई छात्रों को आधा किलोमीटर की दूरी पार करते समय पानी में चलना पड़ता है। कई बार पैर फिसलने से चोट भी लग चुकी है। कंचनपुर गांव में एक भी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नहीं है। किसी के बीमार पड़ने या दुर्घटना होने पर गांववालों को 15 किलोमीटर दूर हजारीबाग शहर जाना पड़ता है। बरसात के दिनों में यह और भी मुश्किल हो जाता है क्योंकि कच्ची सड़क और जलजमाव लोगों की आवाजाही को बाधित कर देता है। गांव के लोगों का कहना है कि छोटी-मोटी बीमारी के लिए भी ऑटो करके हजारीबाग जाना पड़ता है। कभी रात में अचानक तबीयत खराब हो जाए तो वाहन भी नहीं मिलता। सरकार को कम-से-कम एक प्राथमिक स्वास्थ्य उपकेंद्र बनवाना चाहिए। गांव में एक भी चापाकल नहीं है, जिससे लोगों को पीने के पानी के लिए भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। गर्मी के दिनों में हालात और भी खराब हो जाते हैं। लोगों को कई बार एक-दो किलोमीटर दूर से पानी लाना पड़ता है। गांव में स्थित रेलवे स्टेशन का नाम नवादा रख दिया गया है, जबकि यह कंचनपुर गांव की सीमा में आता है। ग्रामीणों की मांग है कि स्टेशन का नाम कंचनपुर रखा जाए ताकि इलाके की पहचान बनी रहे और बाहर से आने वाले यात्रियों को भ्रम न हो। स्थानीय लोगों का कहना है कि सड़क निर्माण के समय लेवलिंग का ध्यान नहीं रखा गया, जिसके कारण हर साल जलजमाव की स्थिति बनती है। निर्माण के बाद कभी इंजीनियरों ने स्थल निरीक्षण नहीं किया। नाली निर्माण अधूरा छोड़ दिया गया, जो आज तक पूरा नहीं हो सका। गांव के सामाजिक कार्यकर्ता नीरज यादव कहते हैं, हम चाहते हैं कि सरकार हमारी इन बुनियादी समस्याओं को गंभीरता से ले। यह गांव हजारीबाग जिला मुख्यालय से ज्यादा दूर नहीं है, लेकिन सुविधाओं के नाम पर यहां कुछ भी नहीं है। बरसात में मुख्य सड़क पर हो जाता है जलजमाव कटकमसांडी प्रखंड के कंचनपुर गांव की मुख्य सड़क पर बारिश के दिनों में जल जमाव की समस्या बनी रहती है। यह पानी स्कूली बच्चों के घुटनों तक भर जाता है, जिससे बच्चे पैदल स्कूल नहीं जा पाते हैं। बाइक से निकलने पर आसपास चलने वालों को पानी का छींटा भी पड़ता है। बच्चे जूता-मोजा खोलकर, पैंट ऊपर कर इस रास्ते से गुजरने को मजबूर हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस रास्ते की मरम्मत हर हाल में होनी चाहिए क्योंकि यह बच्चों के भविष्य से जुड़ा मामला है। ग्रामीणों ने कई जनप्रतिनिधियों और जिला प्रशासन से समस्या के समधान के लिए गुहार लगाया है। अब तक कोई पहल नहीं हुई है। जल्द समस्या का समाधान नहीं हुआ तो ग्रामीण आंदोलन करेंगे। एक भी चापाकल नहीं कंचनपुर गांव में एक भी चापाकल नहीं है, जिससे लोगों को पीने के पानी की गंभीर समस्या झेलनी पड़ रही है। यहां के लोग दूर-दराज से पानी लाते हैं। लोग सूबह से लग जाते हैं पानी की जुगाड़ में। अगर गांव में चार पांच चापाकल लगा दिए जाएं तो यहां के ग्रामीणों को काफी राहत मिल सकती है। ग्रामीणों ने यह भी कहा कि जल जीवन मिशन के तहत गांव में अब तक कोई पानी टंकी नहीं लगाई गई है। यदि टंकी लग जाए तो कपड़े धोने सहित अन्य कार्यों के लिए भी पर्याप्त पानी मिल सकेगा। स्टेशन का नाम बदलने की मांग कंचनपुर गांव में स्थित रेलवे स्टेशन का नाम नवादा-कंसार रखा गया है, जिसका विरोध पूरे गांव में हो रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि स्टेशन कंचनपुर में बना है तो नाम भी ‘कंचनपुर होना चाहिए। यदि उनकी मांग पूरी नहीं हुई तो आंदोलन किया जाएगा। साथ ही उन्होंने स्टेशन परिसर की गंदगी और झाड़ी को लेकर भी नाराजगी जताई है। लोगों का कहना है कि स्टेशन की साफ-सफाई और झाड़ियों की नियमित कटाई जरूरी है। साथ ही ग्रामीणों ने यह भी मांग किया है कि स्टेशन पर मूलभूत सुविधाएं मुहइया कराया जाए। पानी निकासी के लिए नाली नहीं कंचनपुर में जल जमाव की समस्या इसलिए बनी हुई है क्योंकि नाली का निर्माण नहीं हुआ है। लोगों का कहना है कि सड़क निर्माण विभाग की यह बड़ी लापरवाही है कि बिना नाली को ही सड़क बना दी गई। जहां पानी भरता है, वह जगह आगे-पीछे की सड़कों से नीची है, जिससे पानी निकल नहीं पाता। ग्रामीणों ने कहा कि आजकल इंजीनियर फील्ड में जाकर निरीक्षण नहीं करते, सिर्फ दफ्तर में बैठकर फाइलें पास करते हैं, जिसके कारण जनता को समस्या झेलनी पड़ती है। पीएचसी नहीं होने से परेशानी कंचनपुर गांव में प्राथमिक स्वास्थ्य उपचार केंद्र नहीं है, जिससे लोगों को इलाज के लिए हजारीबाग जाना पड़ता है। अगर यहां स्वास्थ्य केंद्र बन जाए तो बुखार, टाइफाइड, मलेरिया जैसी बीमारियों और छोटी दुर्घटनाओं का इलाज गांव में ही हो सकेगा। ग्रामीणों ने कहा कि गांव से शहर की दूरी 15 से 20 किलोमीटर है, ऐसे में छोटे इलाज के लिए भी सफर करना बेहद कठिन होता है। समस्याएं 1. कंचनपुर के इस गांव में एक भी प्राथमिक स्वास्थ्य उपचार केंद्र नहीं बना हुआ है। 2. गांव में एक भी चापाकल नहीं लगा हुआ है, जिससे लोगों को होती है परेशानी। 3. कंचनपुर गांव स्थित रेलवे स्टेशन का नाम नवादा रेलवे स्टेशन रखने से गांव को 4. घुटनों तक पानी का जल जमाव होता है। इसका समाधान तुरंत करने की मांग की गई है। 5. सड़क तो बनी है, पर नाली नहीं बनाई गई, जिससे सड़कों पर जल जमाव हो जाता है। सुझाव 1. कंचनपुर गांव स्थित सड़क पर नाली का निर्माण होने से जल जमाव में कमी आएगी। 2. सड़क को दोबारा ढाल कर आगे और पीछे की सड़क के बराबर किया जाना चाहिए। 3. गांव में 4 से 5 चापाकल लगा दिया जाए तो यह समस्या का समाधान हो सकता है। 4. रेलवे स्टेशन का नाम यहां के लोग बदलवाकर 'कंचनपुर स्टेशन' रखना चाहते हैं। 5. प्राथमिक स्वास्थ्य उपचार केंद्र बनने से लोगों को दूर-दराज नहीं जाना पड़ेगा। इनकी भी सुनिए इतनी बड़ी आबादी वाले क्षेत्र में पीने के पानी की व्यवस्था न होना दुर्भाग्यपूर्ण है। सभी जलमीनारें खराब हैं और अधिकारियों ने कभी इस ओर ध्यान नहीं दिया। कंचनपुर गांव की सड़क की हालत भी खराब है, हर बार बारिश के दिनों में जल जमाव हो जाता है। सरकार को शीघ्र इस पर संज्ञान लेकर व्यवस्था दुरुस्त करनी चाहिए। – भुवनेश्वर प्रसाद मेहता, पूर्व सांसद, हजारीबाग हम लगातार प्रयास कर रहे हैं कि कंचनपुर गांव की समस्याओं का स्थायी समाधान हो। जल जमाव, पानी की किल्लत जैसी सुविधा की कमी को लेकर हमने संबंधित विभागों को सूचना दी है। जल्द ही नाली निर्माण और चापाकल लगाने का काम शुरू होगा। हम गांव को एक बेहतर और स्वच्छ जगह बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। -पिंकी राणा, मुखिया कंचनपुर समस्याओं का समाधान नहीं होने पर ग्रामीण करेंगे आंदोलन बरसात के मौसम में सड़क पर इतना पानी भर जाता है कि बच्चों का स्कूल जाना मुश्किल हो जाता है। कई बार वे पानी में गिर भी चुके हैं। -कृष्णा राणा हमारे बच्चे रोज सड़क पर जमा पानी पार कर स्कूल जाते हैं। कई बार पैर फिसल जाता है और चोट भी लगती है। हर साल यही होता है। -संतोष राणा रेलवे स्टेशन कंचनपुर में बना है, लेकिन नाम नवादा रख दिया गया है। यह हमारे गांव की पहचान के साथ अन्याय है। -विनोद कुमार यादव प्राथमिक चिकित्सा केंद्र नहीं है। हमने पंचायत में बात रखी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। छोटी-मोटी बीमारी भी बड़ी बन जाती है। -अरबाज खान हम लोगों ने पंचायत और प्रखंड कार्यालय में आवेदन देकर चापाकल, सड़क और नाली की मांग कई बार की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। -सुरेश महतो बरसात में कोई बीमार हो जाए तो अस्पताल ले जाना मुश्किल हो जाता है। न गाड़ी आ पाती है और न ही कंधे पर ले जाना आसान होता है। -अनिल कुमार कुशवाहा सड़क निर्माण के समय इंजीनियर ने बिल्कुल ध्यान नहीं दिया। सड़क का लेवल नीचा बना दिया, जिससे पानी इकट्ठा हो जाता है। -दुलार चंद साव हमारे गांव की आबादी पांच हजार से ज्यादा है, फिर भी मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं। सड़क, पानी और स्वास्थ्य की व्यवस्था बिल्कुल न के बराबर है। -निर्मल साव एक भी चापाकल नहीं है। महिलाओं को काफी दूर से बाल्टी भरकर लाना पड़ता है। गर्मी के समय यह और भी कठिन हो जाता है। -श्याम नंदन राणा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नहीं है। बुखार, चोट या किसी अन्य बीमारी में लोगों को हजारीबाग ले जाना पड़ता है। यह बहुत मुश्किल होता है। -भोला राणा मुख्य सड़क हर साल बरसात में डूब जाती है। न तो नाली बनी और न ही सड़क की मरम्मत हुई। लोग रोजाना कीचड़ में चलने को मजबूर हैं। -सागर राणा गांव में नाली अधूरी छोड़ दी गई है, जिससे गंदा पानी सड़क पर बहता है और पूरे इलाके में बदबू फैलती है। मच्छर बहुत हो गया हैं। -प्रमोद कुमार राणा

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