चाकुलिया: डाकिया योजना के तहत सबरों को सड़े और कीड़े लगे चावल की आपूर्ति, आक्रोश
चाकुलिया में आदिम जनजाति सबरों के उत्थान के लिए सरकार करोड़ों खर्च कर रही है, लेकिन आपूर्ति विभाग की लापरवाही से उन्हें सड़े और कीड़े लगे चावल मिल रहे हैं। सबरों ने इसका विरोध किया और अधिकारियों से इस...
चाकुलिया: आदिम जनजाति सबरों के उत्थान के लिए सरकार करोड़ों की राशि खर्च कर रही है। कई योजनाएं संचालित हो रही हैं। इनके उत्थान के लिए पंचायतवार शिविर आयोजित हो रहे हैं। वहीं दूसरी ओर आपूर्ति विभाग की लापरवाही से अंत्योदय कार्डधारी सबरों को डाकिया योजना के तहत सड़े और कीड़े लगे चावल दिए जा रहे हैं। चावल ऐसा है, जिसे जानवर भी खाना पसंद नहीं करेंगे। चाकुलिया नगर पंचायत कार्यालय और प्रखंड कार्यालय के पास रहने वाले सबर परिवारों को डाकिया योजना के तहत ऐसे ही घटिया चावल दिया गया है। चावल की बोरियों में चावल ढेले बन गये हैं।
कीड़े लग गये हैं। चावल से दुर्गंध निकल रही है। यह चावल इंसानों के खाने योग्य नहीं है। सबरों ने आक्रोश का इजहार किया और कहा के विभाग के पदाधिकारी इस चावल को खाकर दिखाएं। ज्ञात हो कि अंत्योदय कार्डधारी इन सबर परिवारों को डाकिया योजना के तहत महीना में 35 किलो चावल नि:शुल्क दिया जाता है। चावल की बोरी इनके घर पहुंचाई जाती है। सबर बस्ती की जयसिन सबर, विजय सबर, सुनील सबर, सरजू सबर , गीता सबर, जानवी सबर, पद्मावती सबर, संगीता सबर, हीरामणी सबर, रवीना सबर ने बताया कि इस बार दिया गया चावल अत्यंत ही निम्न स्तर का है। यह चावल खाने योग्य नहीं है। इस संबंध में प्रभारी प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी राकेश कुमार सिंह ने बताया कि डाकिया योजना के तहत चावल वितरण के लिए धालभूमगढ़ स्थित एसएफसी गोदाम से बोरियों में पैक कर चावल भेजा जाता है। इसी चावल को सबरों के बीच वितरण किया जाता है। उन्होंने कहा कि अगर चावल खराब है तो इसे बदलने के लिए धालभूमगढ़ के गोदाम व्यवस्थापक से बात की जाएगी। इस संबंध में धालभूमगढ़ के गोदाम व्यवस्थापक के मोबाइल का स्विच ऑफ रहने के कारण पक्ष अप्राप्त है।
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