बोले धनबाद: कॉलेज में लैब नहीं, बिना प्रैक्टिकल मिलते हैं मार्क्स
जामाडोबा स्थित डिग्री कॉलेज में लगभग 1510 छात्रों का एनरोलमेंट है, लेकिन यहां शैक्षणिक और अन्य सुविधाओं की कमी है। कई विषयों में शिक्षक नहीं हैं और छात्रों को स्वयं पढ़ाई करनी पड़ती है। प्रैक्टिकल की...

जामाडोबा स्थित डिग्री कॉलेज झरिया, बिनोद बिहारी महतो कोलांचल यूनिवर्सिटी (बीबीएमकेयू) का एक अंगीभूत कॉलेज है। झरिया डिग्री कॉलेज जामाडोबा को बने दो साल हो चुके हैं। लगभग 1510 छात्र-छात्राओं का एनरोलमेंट है। छात्रों की इतनी संख्या होने के बावजूद यहां शैक्षणिक से लेकर अन्य सुविधाओं में भारी कमियां हैं। कॉलेज में कुल 14 विषय की पढ़ाई होती है। इनमें चार विषय के शिक्षक नहीं हैं। छात्रों को स्वयं से सिलेबस पूरा करना पड़ता है। गणित, वनस्पति विज्ञान, जीव विज्ञान और मनोविज्ञान विभाग में अब तक एक भी शिक्षक नियुक्त नहीं किए गए हैं। इस वजह से छात्रों को बहुत परेशानी होती है।
आश्चर्य की बात यह है कि इस डिग्री कॉलेज में प्रैक्टिकल की सुविधा नहीं है। इसके बाद भी विद्यार्थियों को प्रैक्टिकल के मार्क्स मिलते हैं। छात्रों का आरोप है कि पहले शिक्षक समय पर नहीं आते थे। बायोमीट्रिक की व्यवस्था होने के बाद शिक्षक समय पर आते हैं। झरिया डिग्री कॉलेज जामाडोबा 2023 से संचालित है। कॉलेज में झरिया समेत अन्य क्षेत्र से छात्र-छात्राएं पढ़ने आते हैं। नवनिर्मित इस महाविद्यालय में शैक्षणिक सहित कई सुविधाओं का अभाव है। कॉलेज में शिक्षकों की कमी, हॉस्टल की सुविधा नहीं, खेलने के लिए मैदान नहीं है। बोले धनबाद के लिए हिन्दुस्तान की ओर से आयोजित संवाद में विद्यार्थियों ने समस्याओं को साझा किया। विद्यार्थियों की मानें तो कॉलेज में डेढ़ हजार से अधिक स्टूडेंट हैं। कहते हैं कि कॉलेज कैंपस में मूलभूत सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं है। भीषण गर्मी होने के बावजूद कॉलेज कैंपस में एक वाटर फिल्टर (वाटर कूलर) तक नहीं है। छात्र अपने घर से बोतल लेकर आते हैं। पानी खत्म हो जाने पर बाहर से पानी की बोतल खरीद कर लाना पड़ता है। छात्रों ने बताया कि यहा शैक्षणिक सुविधाएं भी नहीं हैं। स्थिति यह है कि कॉलेज प्रबंधन से मामले पर शिकायत करने पर भी कार्रवाई नहीं होती है। कॉलेज परिसर के मैदान के लिए जमीन है लेकिन उस पर जंगल है। जंगल की साफ-सफाई एवं कटाई तक नहीं कराई गई है। इससे छात्रो को खेलकूद से वंचित रहना पड़ता है। वाहन पार्किंग तक की सुविधा नहीं है। पार्किंग स्थल का भी यही हाल है। कई बार जहरीले सांप भी निकलते देखे गए हैं। कॉलेज को बने लगभग ढाई साल हो चुके हैं। फिर भी अभी तक छात्रों को आईडी कार्ड नहीं मिला है। इससे कॉलेज में बाहरी लोग भी प्रवेश कर जाते हैं और उन्हें रोका तक नहीं जाता है। स्थित यह है कि काफी छात्र-छात्राएं कॉलेज आना छोड़ दिए हैं। कॉलेज में बिजली की व्यवस्था नहीं है। सोलर से कुछ लाइट आदि जलते हैं, जो पर्याप्त नहीं हैं। कॉलेज के किसी कक्षा में ग्रीन बोर्ड न ही स्मार्ट पैनल लगा है। कॉलेज का अकाउंट नहीं खुलने के कारण लगभग 80 प्रतिशत छात्र-छात्राओं की छात्रवृत्ति एक साल नहीं मिली है। कॉलेज में छह कर्मचारी एजेंसी के हैं, जिन्हें यूनिवर्सिटी से वेतन मिलता है। शौचालय की साफ-सफाई नियमित नहीं होती है। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ आरपी सिंह से सवाल करने पर उन्होंने कहा कि समस्याओं को लेकर के लगातार विश्वविद्यालय को लिखता रहा हूं। कॉलेज के पास अपना कोई फंड नहीं है। इसलिए विश्विद्यालय को अवगत कराने के अलावा कुछ और नहीं कर सकता। सुझाव 1. नियमित कक्षाएं हों ताकि समय पर सिलेबस पूरा हो। 2. पीने का पानी के लिए वाटर फिल्टर लगाया जाए। गर्मी में पीने का पानी नहीं हो बड़ी समस्या है। 3. कॉलेज की अपनी वेबसाइट नहीं होना ठीक नहीं है। मौजूदा समय में सूचनाएं देने के लिए वेबसाइट जरूरी है। 4. नियमित साफ-सफाई की व्यवस्था हो। गंदगी के कारण पढ़ने लिखने का माहौल नहीं होता। 5. कई विषयों में एक भी शिक्षक नहीं हैं। जल्द शिक्षक की नियुक्ति हो ताकि पठन-पाठन में परेशानी नहीं हो। शिकायतें 1. पीने का पानी नहीं, वाटर प्यूरीफायर तक नहीं लगा है। इससे विद्यार्थियों को काफी दिक्कत होती है। 2. शिक्षकों की कमी के कारण पढ़ाई बाधित होती है। कई विषयों में शिक्षक हैं ही नहीं। 3. कॉलेज की अपनी ऑफिशल वेबसाइट नहीं है। इससे छात्रों को सूचना मिलने में परेशानी है। 4. प्रयोगशाला नहीं होने के कारण स्टूडेंट प्रैक्टिकल नहीं कर पाते हैं। 5. साफ-सफाई नहीं होने से कॉलेज में अव्यवस्था की स्थिति रहती है।
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