सरकारी अस्पतालों को हर महीने हर बेड से 20 हजार रुपए कमाने का लक्ष्य
धनबाद के सरकारी मेडिकल कॉलेजों को अब आयुष्मान भारत योजना के तहत हर महीने प्रति बेड 20 हजार रुपए की आय अर्जित करनी होगी। धनबाद मेडिकल कॉलेज में 500 बेड हैं, जिससे इसे हर महीने 1 करोड़ रुपए कमाने होंगे।...

धनबाद, अमित रंजन सरकारी मेडिकल कॉलेजों को अब अपना खर्च स्वयं निकालना होगा। सभी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों को आयुष्मान भारत योजना के तहत हर महीने आय अर्जित करने का लक्ष्य सौंपा है। मेडिकल कॉलेज अस्पतालों को हर महीने प्रति बेड 20 हजार रुपए की कमाई करनी होगी। इसके लिए सरकार के स्तर से पत्र जारी हो चुका है। अधिकारियों की मानें तो यह लक्ष्य पहले साल का है। आनेवाले वर्षों में इसे बढ़ाकर 50 हजार रुपया तक किया जा सकता है। धनबाद मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 500 बेड है। इस हिसाब से इसे हर महीने एक करोड़ रुपए की आय अर्जित करनी होगी।
इसके लिए अस्पताल प्रशासन तैयारियों में जुट गया है। अधिकारियों के अनुसार सभी विभागाध्यक्षों को सरकार की इस दिशा निर्देश से अवगत करा दिया गया है। जिस विभाग के पास जितने बेड हैं, उन्हें उसी हिसाब से आय करनी होगी। उदाहरण के लिए शिशु रोग विभाग के पास 60 बेड है। इसे हर महीने 12 लाख रुपए कमाने होंगे। सभी विभागों को इसी तरह लक्ष्य के अनुसार आय अर्जित करना होगा। यह राशि आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत इलाज के लिए की गई क्लेम प्रक्रिया से आएगी। स्वास्थ्य अधिकारियों का यह भी कहना है कि आनेवाले दिनों में अस्पतालों का नियमित संचालन अब इस आय से होगी। इसकी को लेकर सरकार आयुष्मान भारत जन आरोग्य योजना को सरकारी अस्पतालों में ज्यादा प्रभावी तरीके से लागू करने को लेकर गंभीर है। इसी आय से डॉक्टरों और नर्सों का वेतन, उपकरणों की खरीद, दवाओं की उपलब्धता और अन्य खर्च का वहन किया जाएगा। इससे सरकार पर अस्पतालों के बजट का बोझा कम होगा। मरीजों को भी इसका लाभ मिलेगा। ऐसे होगी अस्पतालों को आय आयुष्मान भारत योजना के तहत गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को पांच लाख रुपए तक का सालाना इलाज निःशुल्क मिलता है। इसके तहत सरकारी अस्पतालों मरीजों को सारी दवा और चिकित्सीय सामग्री निशुल्क उपलब्ध कराई जाती है। वहीं अस्पतालों को निर्धारित पैकेज का 25 प्रतिशत राशि मिलती है। इस राशि में निर्धारित प्रतिशत की दर से 50 प्रतिशत राशि मरीज को इलाज करने वाले डॉक्टरों और कर्मचारियों को मिलती है। शेष 50 प्रतिशत राशि अस्पताल के विकास पर खर्च होती है। यानी आयुष्मान से सरकारी अस्पतालों में जितना ज्यादा इलाज होगा, अस्पताल को उतने अधिक पैसे मिलेंगे। रांची सदर अस्पताल ने आयुष्मान से कमाई कर पूरे राज्य के लिए उदाहरण पेश किया है। मैनपावर की कमी बनी बाधा धनबाद मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधिकारियों की मानें तो आयुष्मान को व्यवस्थित करने और ज्यादा से ज्यादा लाभुकों का इलाज करने की कोशिश की जा रही है। इसके लिए सभी विभागों को आवश्यक दिशा निर्देश दे दिए गए हैं। हालांकि मैनपावर की कमी के कारण थोड़ी परेशानी हो रही है। आयुष्मान का काम करने के लिए जितना मैनपावर की जरूरत है, उतनी संख्या में लोग नहीं हैं।
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