विधान ने की माता विपत्तारिणी की मूर्ति की स्थापना
कसमार। विपत्तारिणी देवी की पूजा झारखंड और पश्चिम बंगाल के बंगभाषी गांवों में धूमधाम से होती है। बोकारो जिले के मंजुरा में पंडित विधान चंद्र झा ने संगमरमर की प्रतिमा स्थापित की है। माता की पूजा 2001 से...

कसमार। विपत्तारिणी देवी की पूजा झारखंड से लेकर पश्चिम बंगाल के लगभग सभी बंगभाषी गांव में की जाती है। बोकारो जिले में भी दर्जनों गांव में पूजा अर्चना बड़े धूमधाम से की जाती है। अधिकांश गांव में दुर्गा मंदिर या काली मंदिर में विपत्तारिणी देवी की पूजा की जाती है, लेकिन बोकारो जिले के कसमार प्रखंड के मंजुरा में पंडित विधान चंद्र झा ने इस देवी की प्रतिमा स्थापित की है। सिर्फ बोकारो जिला ही नहीं, बल्कि बोकारो समेत आसपास के कई जिले में यह एकमात्र मंदिर है, जहां माँ विपत्तारिणी की संगमरमर की प्रतिमा स्थापित कर प्रतिदिन पूजा अर्चना करते हैं।
पंडित विधान चंद्र झा एवं उनकी धर्मपत्नी रिंकू बाला देवी बताते हैं कि ऐसे तो माता विपत्तारिणी पूजा की शुरुआत उन्होंने 2001 से की, लेकिन बाद में खपरैल कच्चा मकान को मंदिर का स्वरूप मानकर 2007 से लेकर 2010 तक मिट्टी की प्रतिमा बनाकर पूजा अर्चना की। इस दौरान मंजुरा निवासी सुमित्रा नंदन महतो की पत्नी शंकरी देवी के नाम पर पहली बार खपरैल घर में स्थापित मंदिर में पूजा अर्चना शुरू हुई। इसके बाद श्रद्धालुओं एवं यजमानों की ओर से माता विपत्तारिणी की संगमरमर की प्रतिमा स्थापित की गयी, जिसमें आज भी पूजा अर्चना जारी है। उन्होंने बताया कि माता विपत्तारिणी ने उन्हें स्वप्न में दर्शन देकर मूर्ति स्थापित कर पूजा अर्चना की बात कही थी। संगमरमर की प्रतिमा स्थापित होने के बाद मंजुरा निवासी प्रवीण जायसवाल की पुत्री चिंता जायसवाल ने माता की मूर्ति में चांदी का मुकुट दान किया है।
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