ये दो देश बनेंगे शरणार्थियों का ठिकाना? नई चाल चल रहा अमेरिका, लेकिन करा ली बेइज्जती
ग्वाटेमाला, होंडुरास दोनों ही सीमित संसाधनों, आंतरिक चुनौतियों से जूझ रहे हैं, जिसके कारण अन्य देशों के शरणार्थियों को समर्थन देना उनके लिए जटिल है। इन देशों में वामपंथी सरकारे हैं जो ट्रंप नीतियों का समर्थन नहीं करतीं।

अमेरिका की गृह सुरक्षा सचिव क्रिस्टी नोएम ने गुरुवार को कहा कि ग्वाटेमाला और होंडुरास ने अमेरिका के साथ ऐसे समझौते किए हैं, जिनके तहत वे उन प्रवासियों को शरण देने के लिए तैयार हैं जो आमतौर पर अमेरिका में शरण की तलाश करते हैं। नोएम का यह बयान उनके मध्य अमेरिका दौरे के अंत में आया।
इन समझौतों के जरिए ट्रंप प्रशासन अमेरिका में शरण की मांग कर रहे प्रवासियों को उनके अपने देश या किसी तीसरे सुरक्षित देश में भेजने के लिए नई व्यवस्था को विस्तार दे रहा है। नोएम ने इसे "विकल्प देने की नीति" बताया, जिसके तहत शरणार्थियों को केवल अमेरिका ही नहीं बल्कि अन्य देशों में भी सुरक्षा और संरक्षण मिल सकता है।
नोएम ने कहा, "होंडुरास और अब ग्वाटेमाला ऐसे देश होंगे जो इन व्यक्तियों को शरणार्थी दर्जा देंगे। हमने कभी यह नहीं माना कि केवल अमेरिका ही एकमात्र विकल्प होना चाहिए। अगर कोई व्यक्ति खतरे में है, तो उसे कहीं भी सुरक्षित जगह मिलनी चाहिए, जरूरी नहीं है कि वह जगह अमेरिका ही हो।"
सरकारों का इनकार: “सेफ थर्ड कंट्री” समझौता नहीं किया
हालांकि अमेरिका की उस समय बेइज्जती हो गई जब इन दोनों देशों ने ऐसे किसी भी समझौते से साफ इनकार कर दिया। नोएम के दावों के बाद ग्वाटेमाला और होंडुरास की सरकारों ने यह स्पष्ट रूप से नकारा कि उन्होंने अमेरिका के साथ कोई "सेफ थर्ड कंट्री" समझौता किया है। ग्वाटेमाला के राष्ट्रपति कार्यालय ने बयान जारी कर कहा कि अमेरिकी अधिकारी की यात्रा के दौरान कोई आव्रजन संबंधी समझौता नहीं हुआ है। उन्होंने केवल यह स्वीकार किया कि अमेरिका ग्वाटेमाला को एक अस्थायी ट्रांजिट पॉइंट के रूप में इस्तेमाल करेगा, जहां से प्रवासियों को उनके देशों में लौटाया जाएगा। होंडुरास के आव्रजन निदेशक विल्सन पास ने भी किसी भी ऐसे समझौते से इनकार किया, जबकि विदेश मंत्रालय ने इस पर टिप्पणी नहीं दी।
अमेरिका का दबाव और स्थानीय राजनीतिक मुश्किलें
नोएम ने यह भी स्वीकार किया कि “राजनीतिक रूप से यह समझौते इन देशों की सरकारों के लिए मुश्किल हैं।” दोनों देशों की आर्थिक स्थिति कमजोर है, संसाधनों की भारी कमी है और शरणार्थियों को संभालने के लिए न तो पर्याप्त व्यवस्था है और न ही घरेलू समर्थन। इसके अलावा, दोनों देश वामपंथी विचारधारा वाली सरकारों द्वारा शासित हैं, जिससे ट्रंप प्रशासन की शरण नीति में सहयोग देना राजनीतिक रूप से संवेदनशील बनता है।
ग्वाटेमाला में नोएम की यात्रा के दौरान एक सार्वजनिक समारोह में अमेरिका और ग्वाटेमाला के बीच एक जॉइंट सिक्योरिटी प्रोग्राम पर एमओयू पर हस्ताक्षर हुआ, जिसके तहत अमेरिकी सीमा सुरक्षा अधिकारी ग्वाटेमाला के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर स्थानीय एजेंटों को प्रशिक्षित करेंगे ताकि आतंकी संदिग्धों की पहचान की जा सके।
ट्रंप युग में पहले भी हुए थे ऐसे समझौते
डोनाल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान अमेरिका ने होंडुरास, एल साल्वाडोर और ग्वाटेमाला के साथ "सेफ थर्ड कंट्री" समझौते किए थे। इसके तहत अमेरिका कुछ प्रवासियों को शरण देने से इनकार कर सकता था और उन्हें इन देशों में भेज सकता था। हालांकि, इन तीनों देशों के अपने ही नागरिक भारी संख्या में अमेरिका की ओर पलायन कर रहे थे, जिससे यह नीति व्यवहारिक रूप से सफल नहीं हो सकी। फरवरी में अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने एल साल्वाडोर और ग्वाटेमाला के साथ नए समझौते किए थे। ग्वाटेमाला को केवल ट्रांजिट पॉइंट के रूप में इस्तेमाल करना था जबकि एल साल्वाडोर में प्रवासियों को हिरासत में रखने की योजना भी बनी।
मैक्सिको और अन्य देशों की स्थिति
मैक्सिको की राष्ट्रपति क्लाउडिया शीनबौम ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि मैक्सिको "सेफ थर्ड कंट्री" समझौते पर हस्ताक्षर नहीं करेगा। हालांकि उन्होंने यह भी बताया कि मैक्सिको ने ट्रंप प्रशासन के दौरान अमेरिका से भेजे गए 5,000 से अधिक प्रवासियों को मानवीय आधार पर स्वीकार किया और उन्हें उनके देशों में लौटने में मदद की। अमेरिका ने पनामा और कोस्टा रिका के साथ भी ऐसे समझौते किए हैं, जिनके तहत अन्य देशों के प्रवासियों को वहां भेजा जा सकता है। हालांकि, फरवरी में अमेरिका ने केवल 299 लोगों को पनामा और 200 से कम को कोस्टा रिका भेजा।
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