ईशनिंदा पर मिली मौत, जबरन धर्मांतरण; अल्पसंख्यकों के लिए नरक बना पाकिस्तान
पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की स्थिति काफी खराब है और इसके सुधरने की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही। साल 2022 के दौरान वहां के किताबों और सिलेबस में अल्पसंख्यकों के खिलाफ धार्मिक कंटेंट लगातार बढ़ रहे हैं।

गले तक कर्ज में डूबे पाकिस्तान में राजनीतिक और आर्थिक स्थिति तो पहले से ही खराब है, ऐसे में सामाजिक स्तर पर अपने पड़ोसी से बदलाव की उम्मीद करना भूल ही होगी। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की स्थिति काफी खराब है, और इसके सुधरने की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही। पाकिस्तानी अखबार डॉन में छपी खबर के मुताबिक, एक मानवाधिकार संस्था की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2022 के दौरान पाकिस्तान के किताबों और सिलेबस में अल्पसंख्यकों के खिलाफ धार्मिक कंटेंट लगातार बढ़ रहे हैं। शिक्षा प्रणाली में अल्पसंख्यकों हर रोज नई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. सेंटर फॉर सोशल जस्टिस की रिपोर्ट 'ह्यूमन राइट्स ऑब्जर्वर 2023' के मुताबिक, किताबों में धार्मिक अल्पसंख्यकों को प्रभावित करने वाले पांच प्रमुख मुद्दों को शामिल किया गया है, जिसमें शिक्षा प्रणाली में भेदभाव, जबरन धर्म परिवर्तन और ईशनिंदा कानूनों का दुरुपयोग शामिल है।
ईशनिंदा कानूनों के तहत कई बने आरोपी
रिपोर्ट में पता चलता है कि ईशनिंदा कानूनों के तहत 171 लोगों को आरोपी बनाया गया था। जिसमें 65 फीसदी मामले पंजाब में और 19 फीसदी मामले सिंध में सामने आए। सबसे ज्यादा घटना कराची के जिलों में देखी गई, इसके बाद चिनियोट, फैसलाबाद, गुजरांवाला, डेरा गाजी खान, ननकाना साहिब, लाहौर और शेखूपुरा का स्थान रहा। पीड़ितों की सबसे बड़ी संख्या (88) मुस्लिमों की थी, उसके बाद 75 अहमदी, चार ईसाई और दो हिंदू थे, जबकि दो आरोपियों की धार्मिक पहचान का पता नहीं लगाया जा सका। 2022 में चार अभियुक्तों को न्यायिक रूप से मार दिया गया था।
कानूनों का हो रहा दुरुपयोग
1987 और 2022 के बीच कम से कम 2,120 व्यक्तियों पर ईशनिंदा करने का आरोप लगाया गया था। इस प्रवृत्ति ने पिछले 36 सालों में पंजाब में ईशनिंदा कानूनों के कुल दुरुपयोग में 75% से ऊपर की वृद्धि देखी गई। रिपोर्ट में दावा है कि अल्पसंख्यक समुदायों की लड़कियों/महिलाओं से जबरन धर्मांतरण की 124 रिपोर्ट की गई घटनाओं का विश्लेषण किया गया, जिनमें 81 हिंदू, 42 ईसाई और एक सिख शामिल हैं। 23 प्रतिशत लड़कियां 14 साल से कम उम्र की थीं, उनमें से 36 प्रतिशत की उम्र 14 से 18 साल के बीच थी, और पीड़ितों में से केवल 12 प्रतिशत वयस्क थीं, जबकि पीड़ितों की 28 प्रतिशत की उम्र रिपोर्ट नहीं की गई थी। 2022 में सिंध में जबरन धर्म परिवर्तन के 65 प्रतिशत मामले दर्ज किए गए, इसके बाद पंजाब में 33 फीसदी और खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में 0.8 फीसदी मामले दर्ज किए गए।
अल्पसंख्यकों के लिए वैधानिक राष्ट्रीय आयोग की स्थापना भी ठंडे बस्ते में जाती रही। रिपोर्ट के अनुसार, एक कमजोर और असंतुलित मसौदा अब मार्च 2023 में संसद में पेश किया गया है जिससे अल्पसंख्यकों के लिए वैधानिक राष्ट्रीय आयोग का रास्ता साफ नजर नहीं आता। रिपोर्ट में दावा है कि कि 2022 के दौरान अल्पसंख्यक कैदियों को छूट प्रदान करने के संबंध में कोई प्रगति नहीं हुई, इस तथ्य के बावजूद कि यह रियायत 1978 से मुस्लिम कैदियों के लिए उपलब्ध थी।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।