नेपाल में फिर राजनैतिक संकट, प्रमुख मधेसी पार्टी ने खींचा अपना हाथ, अल्पमत में ओली सरकार
Nepal: नेपाल में एक बार फिर से राजनैतिक संकट गहराता हुआ नजर आ रहा है। केपी शर्मा ओली की गठबंधन सरकार को समर्थन देने वाली एक मधेसी पार्टी ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया है, जिससे सरकार उच्च सदन में अल्पमत में आ गई है।

नेपाल में एक बार फिर से राजनैतिक संकट गहराता नजर आ रहा है। सत्ता में बैठे प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली की गठबंधन सरकार से एक प्रमुख मधेसी पार्टी ने समर्थन वापस ले लिया है, जिससे सरकार नेशनल असेंबली(उच्च सदन) में अल्पमत में आ गई है। हालांकि, उपेंद्र यादव के नेतृत्व वाली जनता समाजवादी पार्टी, नेपाल (जेएसपी-नेपाल) के इस फैसले से गठबंधन सरकार पर तत्काल कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि सत्तारूढ़ गठबंधन के पास प्रतिनिधि सभा में पर्याप्त संख्याबल है।
राजनीति में चल रहे घटनाक्रम पर नेपाली पीएम ओली की पार्टी का भी बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि हमें उनके समर्थन वापस लेने के पीछे कोई कारण नहीं दिख रहा। वहीं समर्थन वापस लेने वाली मधेसी पार्टी जेपीसी-नेपाल के उपाध्यक्ष शिवलाल थापा ने कहा, "अब कुछ दिनों में पार्टी अपने संसदीय दल की बैठक बुलाएगी और फिर संसद के अध्यक्ष को आधिकारिक रूप से अपने फैसले से अवगत कराएगी। पिछले साल सरकार का नेतृत्व संभालते हुए ओली भ्रष्टाचार खत्म करने, सुशासन सुनिश्चित करने, आर्थिक प्रगति लाने और संविधान में संशोधन करने का वादा किया था।’’
थापा ने कहा, "हमने इन चार एजेंडों के आधार पर सरकार को समर्थन दिया था। हालांकि, अब एक साल बाद, हमें नहीं लगता कि सरकार इन मुद्दों को लेकर चिंतित है। इसलिए, हमने ओली के नेतृत्व वाली सरकार से समर्थन वापस लेने का फैसला किया है।"
आपको बता दें किनेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी सेंटर) अपने 18 सदस्यों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है, उसके बाद नेपाली कांग्रेस के 16 सदस्य, ओली की नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के 11 सदस्य हैं जबकि नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एकीकृत समाजवादी) के पास आठ सीटें हैं। जेएसपी-नेपाल के पास तीन सीटें हैं, राष्ट्रीय जनमोर्चा और लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के पास एक-एक सीट है जबकि एक निर्दलीय है। इस प्रकार सत्तारूढ़ गठबंधन के पास 59 सदस्यीय सदन में 27 सीटें रह गई हैं।
पूर्व पर्यावरण मंत्री और सीपीएन-माओवादी सेंटर के केंद्रीय सदस्य सुनील मनंधर ने कहा कि जेएसपी-नेपाल के फैसले से गठबंधन सरकार पर तत्काल प्रभाव नहीं पड़ेगा, हालांकि यह सरकार पर कुछ नैतिक दबाव डालेगा। उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ गठबंधन के पास प्रतिनिधि सभा में पर्याप्त संख्याबल है, इसलिए फिलहाल इस कदम का कोई बड़ा प्रभाव पड़ता नहीं दिख रहा है।
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