बलूच उग्रवादी कहीं.. ईरान-इजरायल युद्ध से खौफ में पाक, ट्रंप के सामने गिड़गिड़ाए थे आसिम मुनीर?
ईरान और इजरायल के बढ़ते युद्ध के बीच पाकिस्तान को बलूच उग्रवादियों का डर सता रहा है। पाकिस्तान की तरफ से कहा जा रहा है कि इजरायली हमलों से ईरानी राज्य अस्थिर हो जाएगा, जिसकी वजह से बलूच उग्रवाद बढ़ सकता है।

बईरान और इजरायल के बीच जारी युद्ध के कारण दुनिया भर की चिंता बड़ी हुई है। लेकिन पड़ोसी देश पाकिस्तान, जो कि ईरान से सीमा साझा करता है उसकी चिंता कुछ ज्यादा ही है। दरअसल, पाकिस्तान के लिए चिंता का सबसे बड़ा कारण ईरान की सीमा पर बैठे बलूच उग्रवादी है। उसे डर है कि इजरायल के साथ बढ़ते संघर्ष की वजह से ईरानी शासन अस्थिर हो सकता है, जिसकी वजह से इन उग्रवादियों को मदद मिल सकती है। रिपोर्ट्स के मुताबिक पाकिस्तान के आर्मी चीफ फील्ड मार्शल आसिम मुनीर ने अपनी इस चिंता को ट्रंप के साथ मीटिंग के दौरान साझा किया।
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक बुधवार को हुई अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और आसिम मुनीर की बैठक के दौरान मुनीर ने इस मुद्दे को उठाया था। कथित तौर पर मुनीर ने इस बात के संकेत दिए कि पाकिस्तान-ईरान सीमा पर मौजूद अलगाववादियों से पाकिस्तान चिंतित है, क्योंकि यहां पर मौजूद संगठन इस संघर्ष का फायदा उठा रहे हैं।
आपको बता दें कि ईरान विरोधी और पाकिस्तान विरोधी संगठन सीमा के दोनों तरफ सक्रिय हैं और वह इस संघर्ष को लेकर खासे उत्साहित भी हैं। वहीं इजरायल की तरफ से भी यह साफ कर दिया गया है कि वह ईरानी सरकार के पतन को सुनिश्चित करना चाहते हैं। पाकिस्तान की तरफ से ईरान पर किए जा रहे इस हमले की निंदा की गई है और साथ ही साथ इसे अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया गया है।
बलूचों के खौफ में है पाकिस्तानी सेना
पाकिस्तानी सेना प्रमुख द्वारा जो चिंता जताई जा रही है वह खोखली भी नहीं है। पाकिस्तान और ईरान की सीमा पर जातीय बलूच और अल्पसंख्यक सुन्नी मुस्लिम समुदाय का सक्रिय उग्रवादी संगठन जैश अल-अदल की तरफ से कहा गया है कि ईरान के ऊपर किया गया इजरायली हमला एक बेहतर अवसर है और वह इसका फायदा उठाएगा। आपको बता दें ईरान की सरकार के खिलाफ चल रहा यह समूह पाकिस्तान की धरती से संचालित होता है।
संगठन ने संघर्ष का फायदा उठाने का किया था ऐलान
संगठन ने 13 जून को एक बयान जारी करते हुए कहा, “जैश अल-अदल ईरान के सभी लोगों के लिए भाईचारे और दोस्ती का हाथ बढ़ाता है। सभी लोगों, खासकर बलूचिस्तान के लोगों और सशस्त्र बलों से प्रतिरोध में शामिल होने की अपील करता है।” दरअसल, पाकिस्तान की धरती पर पल रहे इस समूह से पाकिस्तान को ज्यादा दिक्कत नहीं है। पाकिस्तान के लिए परेशानी का कारण यह है कि कहीं इसके विरोध में ईरान की जमीन पर बैठे उसके विरोधी बलूच संगठन एक न हो जाए.. पहले से ही पाकिस्तानी सेना की नाक में दम करके रखने वाले इन संगठनों ने अगर हमले तेज कर दिए तो पाकिस्तान के लिए काफी बड़ी दिक्कत खड़ी हो सकती है।
इस्लामाबाद के एक विशेषज्ञ ने रॉयटर्स को बताया कि पाकिस्तान की चिंता यह है कि अगर ईरानी सरकार अस्थिर होती है तो फिर दोनों तरफ के बलूच समूह साथ मिलकर लड़ेंगे। चूंकि ईरान अस्थिर होगा तो यह पूरा हमला पाकिस्तान की तरफ ही बढ़ेगा। इससे पाकिस्तान की फौज के ऊपर काफी दबाव बढ़ जाएगा।
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