चंद्रयान 3 जैसा कारनामा नहीं कर सका जापान, मून मिशन फेल; 2 साल में दूसरी बार टूटा सपना
जापान का रेजीलिएंस स्पेसक्राफ्ट चंद्रमा की सतह पर उतरने से पहले क्रैश हो गया है। इसके साथ ही जापान का चांद पर उतरने का सपना दो सालों में दूसरी बार टूट गया है।

जापान का मून मिशन एक बार फिर फेल हो गया है। जापान की निजी अंतरिक्ष फर्म आईस्पेस ने शुकवार को पुष्टि की है कि उसका मानवरहित लैंडर चांद की सतह पर उतरते समय क्रैश हो गया। यह दो सालों में जापान का चांद पर उतरने का दूसरा प्रयास था। इससे पहले 2023 में भी जापान का मून लैंडर लैंडिंग से ठीक पहले दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।
रेजीलिएंस नाम के लैंडर से संपर्क खोने के कुछ घंटों बाद शुक्रवार को टोक्यो स्थित कंपनी आईस्पेस ने बताया कि उनका मिशन फेल हो गया है। एक बयान जारी कर एजेंसी ने बताया, “6 जून 2025 को सुबह 8 बजे के बाद से लैंडर के साथ संचार स्थापित होने की कोई संभावना नहीं है और इसलिए मिशन को पूरा नहीं किया जा सकेगा।”
आईस्पेस के संस्थापक और सीईओ ताकेशी हाकामाडा ने कहा, “यह देखते हुए कि वर्तमान में सफल मून लैंडिंग की कोई संभावना नहीं है, हमारी प्राथमिकता अब तक प्राप्त टेलीमेट्री डेटा का विश्लेषण करना और लैंडिंग फेल होने के कारण का पता लगाना है।”
बता दें कि जापान ने रेजिलिएंस लैंडर को जनवरी 2025 में स्पेसएक्स फाल्कन 9 रॉकेट के साथ अंतरिक्ष में भेजा था। इसने चंद्रमा की कक्षा में करीब पांच महीने बिताए। अंतरिक्ष यान मई में चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर गया जिसके बाद इसे चंद्रमा के उत्तरी भाग में एक स्थित "मारे फ्रिगोरिस' नाम की एक जगह पर लैंड करना था। लैंडिंग की योजना 12:47 बजे IST के लिए बनाई गई थी, जिसका प्रसारण दुनिया के हजारों दर्शक लाइव देख रहे थे। हालांकि जैसे ही रेजिलिएंस 100 किलोमीटर की कक्षा से उतरने लगा मिशन नियंत्रकों ने लैंडर के साथ सभी संपर्क खो दिए।
भारत ने चंद्रयान 3 के साथ रचा था इतिहास
इससे पहले भारत ने 2023 में चंद्रयान 3 की चांद की सतह पर सुरक्षित लैंडिंग के साथ इतिहास रच दिया था। इसके साथ ही भारत अमेरिका, चीन और रूस जैसे देशों के एलीट क्लब में शामिल हो गया। भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला दुनिया का पहला देश बना था।
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