हमारे ठिकानों पर 30 हजार पाउंड का बम गिरा दिया, और आप चाहते हैं हम बात करें; ट्रंप पर भड़का ईरान
अटकलें लगाई जा रही हैं कि ईरान ने हमलों से पहले अपने यूरेनियम का अधिकांश हिस्सा स्थानांतरित कर दिया था, ऐसा कुछ जो उसने संयुक्त राष्ट्र परमाणु निगरानी संस्था, IAEA को बताया था, कि वह ऐसा करने की योजना बना रहा है।

ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने संकेत दिया है कि अमेरिका के साथ उनका देश नई परमाणु वार्ता करने को इच्छुक नहीं है, जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति बार-बार कह रहे हैं कि ईरान से जल्द ही इस मुद्दे पर बातचीत होगी। अराघची ने कहा कि इस मुद्दे पर अमेरिका से बातचीत का दरवाजा बंद है क्योंकि अमेरिका ने तीन परमाणु ठिकानों पर 30,000 पाउंड का बम गिराकर भारी गलती कर दी है। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने हवाई हमलों का एक विनाशकारी दौर शुरू किया है, जिसके बारे में तेहरान का साफ मानना है कि उसके परमाणु ढांचे को "गंभीर क्षति" हुई है।
ईरानी सरकारी टेलीविजन पर प्रसारित एक इंटरव्यू में ईरानी विदेश मंत्री ने स्पष्ट किया कि वार्ता को फिर से शुरू करने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया है। अराघची ने कहा, "वार्ता को फिर से शुरू करने के लिए ना तो कोई समझौता नहीं किया गया है और ना ही कोई समय निर्धारित किया गया है, कोई वादा भी नहीं किया गया है, और हमने वार्ता को फिर से शुरू करने के बारे में बात भी नहीं की है।"
2015 के परमाणु समझौते से अमेरिका बाहर निकल गया था
अराघची की यह टिप्पणी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस सप्ताह की शुरुआत में दिए गए उस बयान के बाद आई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगले सप्ताह तक वार्ता फिर से शुरू हो सकती है। ट्रंप, जिन्होंने अपने पहले कार्यकाल के दौरान 2015 के परमाणु समझौते से अमेरिका को एकतरफा रूप से बाहर निकाल लिया था, ने कहा है कि वह तेहरान के साथ एक नए समझौते के लिए तैयार हैं। हालांकि, ईरानी पक्ष इससे दूरी बनाए हुए है।
अमेरिका 2015 के परमाणु समझौते में शामिल पक्षों में से एक था, जिसमें ईरान प्रतिबंधों में राहत और अन्य लाभों के बदले में अपने यूरेनियम संवर्धन कार्यक्रम की सीमाओं पर सहमत हुआ था।अराघची ने कहा कि सैन्य हस्तक्षेप करने के अमेरिकी फैसले ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर बातचीत के लिए इसे और अधिक जटिल और कठिन बना दिया है।
ईरान के जासूसों पर नहीं रहम
इस बीच, शुक्रवार की नमाज में कई इमामों ने ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई के पिछले दिन के संदेश पर जोर दिया कि युद्ध ईरान की जीत थी। मौलवी हमज़ेह खलीली, जो ईरान के उप मुख्य न्यायाधीश भी हैं, ने तेहरान में एक प्रार्थना सेवा के दौरान कसम खाई कि अदालतें इजरायल के लिए जासूसी करने के आरोपी लोगों पर "एक विशेष तरीके से" मुकदमा चलाएँगी। इजरायल के साथ युद्ध के दौरान, ईरान ने जासूसी के आरोप में पहले से हिरासत में लिए गए कई लोगों को फांसी पर लटका दिया, जिससे कार्यकर्ताओं में यह डर पैदा हो गया कि संघर्ष समाप्त होने के बाद वह फांसी की लहर चला सकता है।
अधिकारियों ने कथित तौर पर इजरायल के लिए जासूसी करने के आरोप में विभिन्न शहरों में दर्जनों लोगों को हिरासत में लिया है। इजरायल ने 13 जून को ईरान पर हमला किया था, जिसमें उसके परमाणु स्थलों, रक्षा प्रणालियों, उच्च पदस्थ सैन्य अधिकारियों और परमाणु वैज्ञानिकों को लगातार हमलों में निशाना बनाया गया। 12 दिनों के हमलों में, इजराइल ने कहा कि उसने लगभग 30 ईरानी कमांडरों और 11 परमाणु वैज्ञानिकों को मार डाला, जबकि आठ परमाणु-संबंधित सुविधाओं और 720 से अधिक सैन्य अवसंरचना स्थलों को निशाना बनाया। वाशिंगटन स्थित मानवाधिकार कार्यकर्ता समूह के अनुसार, कम से कम 417 नागरिकों सहित 1,000 से अधिक लोग मारे गए।
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