एक-एक बूंद पानी के लिए तड़प रहा पाकिस्तान, सिंधु जल संधि पर चार बार भारत को भेज चुका है पत्र
पाकिस्तान ने सिंधु जल संधि से निलंबन हटाने की मांग करती हुई पहली चिट्ठी मई की शुरुआत में लिखी थी, तब ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च नहीं हुआ था। उसके बाद से पाकिस्तान द्वारा तीन और अपीलें भारत को भेजी गई हैं।

India Pakistan Tension: पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान को भारत ने ऐसा करारा जवाब दिया है कि अब तक वह गिड़गिड़ा रहा है। न सिर्फ ऑपरेशन सिंदूर के जरिए पाकिस्तान और पीओके में चल रहे आतंकी कैंपों को तबाह कर दिया गया, बल्कि सिंधु जल संधि को निलंबित करने जैसे कड़े फैसले लिए गए। इससे पाकिस्तान को इतना बड़ा झटका लगा है कि वह इस पर फिर से विचार करने के लिए एक नहीं, बल्कि चार-चार पत्र भारत को लिख चुका है। हालांकि, भारत पहले ही साफ कर चुका है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन करना बंद नहीं करता है, तब तक यह संधि निलंबित ही रहने वाली है। सिंधु नदी के जरिए पाकिस्तान की बड़ी आबादी पानी का इस्तेमाल करती है और इसे रोके जाने से उसे पानी नहीं मिल पा रहा है, जिसकी वजह से वह बूंद-बूंद पानी के लिए तड़प रहा है।
पाकिस्तान ने सिंधु जल संधि से निलंबन हटाने की मांग करती हुई पहली चिट्ठी मई की शुरुआत में लिखी थी, तब ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च नहीं हुआ था। उसके बाद से पाकिस्तान द्वारा तीन और अपीलें भारत को भेजी गई हैं। न्यूज 18 ने सू्त्रों के हवाले से बताया है कि जल शक्ति मंत्रालय को मिले ये सभी लेटर विदेश मंत्रालय को भेजे जा चुके हैं। पहलगाम हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोहराया था कि व्यापार और आतंक, पानी और खून, गोलियां और बातचीत एक साथ नहीं चल सकते।
वहीं, सिंधु जल संधि को निलंबित करने के भारत के फैसले के बीच चिंतित पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा है कि नए जलाशयों का निर्माण राष्ट्रीय प्राथमिकता है। जल सुरक्षा पर एक उच्च स्तरीय बैठक को संबोधित करते हुए शरीफ ने संघ और प्रांतों दोनों से इस पर मिलकर काम करने का आग्रह किया। उन्होंने निर्देश दिया कि गैर-विवादित जलाशयों का निर्माण तेजी से पूरा किया जाना चाहिए साथ ही उन्होंने आश्वासन दिया कि नए बांध केवल सभी प्रांतों की सहमति से बनाए जाएंगे। योजना को आगे बढ़ाने के लिए, उप प्रधान मंत्री इशाक डार के नेतृत्व में एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया गया है।
भारत ने पहलगाम में 22 अप्रैल को आतंकवादी हमले के बाद सिंधु जल संधि को रोकने की घोषणा की थी। दोनों देशों ने बीच जल विवाद को सुलझाने और सिंधु बेसिन की छह मुख्य नदियों के पानी के बंटवारे के लिए 1960 में सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे। वहीं, पिछले महीने के अंत में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इस मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण करने की कोशिश करते हुए कहा था कि पाकिस्तान भारत को संकीर्ण राजनीतिक लाभ के लिए सिंधु जल संधि को स्थगित रखकर लाखों लोगों का जीवन खतरे में नहीं डालने देगा। शरीफ ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में जब ग्लेशियरों के संरक्षण पर तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे, तब उन्होंने भारत-पाकिस्तान द्विपक्षीय सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) का मुद्दा उठाया था।
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