दो ताकतवर देशों का खौफ या नफा-नुकसान का गणित? ट्रंप ने ईरान पर हमला दो हफ्ते के लिए क्यों टाला
Iran-Israel War: वॉशिंगटन स्थित मानवाधिकार समूह ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट्स के अनुसार, इजरायली हमलों में अब तक ईरान में कम से कम 585 लोग मारे गए हैं, जिनमें 239 नागरिक हैं। इनके अलावा करीब 1300 लोग घायल भी हुए हैं।

Iran-Israel War: ईरान-इजरायल के बीच घातक लड़ाई आज आठवें दिन में प्रवेश कर चुकी है। इस बीच, ईरान ने दक्षिणी इजरायल पर मिसाइलों की बारिश की है। दूसरी तरफ ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ईरान के परमाणु कार्यक्रम और इजरायल के हमलों को समाप्त करने के मुद्दे पर बातचीत के लिए जिनेवा में फ्रांस, जर्मनी और यूनाइटेड किंगडम के अपने समकक्षों से मिलने वाले हैं। उधर, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप नई उलझन और असमंजस में पड़ गए हैं कि ईरान-इजरायल की जंग में अमेरिका कूदे या नहीं? वाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, ट्रंप ने ईरान पर हमला करने के फैसले को दो हफ्ते के लिए टाल दिया है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति ट्रम्प अगले दो सप्ताह के भीतर इस बात पर फैसला लेंगे कि संयुक्त राज्य अमेरिका को ईरान के साथ इजरायल के युद्ध में शामिल होना चाहिए या नहीं।
वाइट हाउस ने भी कहा है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अगले दो सप्ताह के भीतर यह निर्णय लेंगे कि ईरान पर हमला करना है या नहीं। इससे पहले मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया था कि ट्रंप ने ईरान पर हमला करने कै फैसला कर लिया है लेकिन सिर्फ तारीख तय नहीं की है लेकिन अब वाइट हाउस की तरफ से नई बात कही गई है। वाइट हाउस के मुताबिक, ईरान को नए सिरे से अपने यूरेनियम संवर्धन कार्यों और परमाणु हथियार बनाने की किसी भी अन्य संभावना को तुरंत बंद करने की चेतावनी दी गई है।
ट्रंप ने दो हफ्ते के लिए क्यों टाला ईरान पर हमले का फैसला
दरअसल, डोनाल्ड ट्रंप इस दौरान ईरान से फिर से बातचीत करना चाहते हैं। उन्हें अब भी इस बात की ‘पर्याप्त’ संभावना दिखती है कि बातचीत के जरिए मुद्दे सुलझाए जा सकते हैं और ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर अमेरिका और इजराइल की मांगें पूरी हो सकती हैं। वाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट द्वारा की गई घोषणा में राष्ट्रपति द्वारा ईरान को दी गई चेतावनी की समयसीमा भी बढ़ा दी गई है। लेविट ने कहा कि यह निर्णय ट्रम्प के इस दृष्टिकोण पर आधारित है कि ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम पर बातचीत के माध्यम से राजनयिक समाधान के लिए "सहमत हो सकता है" या "नहीं" भी हो सकता है।
वाइट हाउस के रुख में बदलाव की टाइमिंग अहम
वाइट हाउस के इस रुख में बदलाव तब आया है, जब रूस और चीन ने एक दिन पहले ही अमेरिका से दो टूक कह दिया था कि अगर ईरान पर यूएस हमला बोलता है तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। चीन ने तो इजरायल को भी चेतावनी देते हुए कहा था कि ईरान पर हमले तुरंत बंद करे और युद्धविराम की घोषणा करे। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भी कहा था कि अंतरराष्ट्रीय मुद्दों का समाधान युद्ध से नहीं बातचीत से निकलता है।
किस नफा-नुकसान के उलझन में डोनाल्ड ट्रंप?
अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार कह रहे हैं कि अपने फैसलों से चौंकाने वाले ट्रंप ईरान पर हमला करने के मुद्दे पर बहुत ही अटक-अटक कर आगे बढ़ रहे हैं। दरअसल, वह अमेरिकी हमले के नफा-नुकासन से चिंतित हैं। उन्हें इस बात की चिंता रही है कि अगर युद्ध में कूदे तो इराक युद्ध जैसे हालात पैदा हो सकते हैं। इसके अलावा अफगानिस्तान जैसी स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है। लंबी लड़ाई छिड़ने का भी खतरा है क्योंकि जिस तरह से रूस और चीन खुलकर ईरान के समर्थन में उतरे हैं, उससे मध्य-पूर्व की जंग दुनिया के दूसरे हिस्सों में भी फैल सकती है।
ट्रंप को इस बात की भी चिंता सता रही है कि अगर ईरान पर अभी नकेल नहीं कसा और जंग में नहीं कूदे तो इजरायल जैसा सहयोगी नाराज हो जाएगा और हाथ से छिटक जा सकता है। दूसरा कि मध्य-पूर्व में अभी अमेरिका का जो वर्चस्व है, उसे भारी नुकसान हो सकता है और तीसरी बड़ी बात कि ईरान हाथ से निकल जाएगा और उस पर फिर अमेरिकी वर्चस्व नहीं रह जाएगा। दुनिया में परमाणु हथियारों की होड़ बढ़ जाएगी। ट्रंप को इस बात का भी अंदेशा है कि अगर ईरान पर हमला नहीं किया तो दुनिया में रूस और चून के दबदबे का संदेश जा सकता है।
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