ट्रंप बनने चले थे चौधरी, दोस्त ने ही दे दिया दगा; न इजरायल मान रहा बात; न ही ईरान
इजरायल और ईरान के भीषण युद्ध को लेकर डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि उनकी मध्यस्थता से दोनों के बीच सीजफायर हो गया है। इस ऐलान के कुछ ही घंटों बाद युद्धविराम टूट गया। एक बार फिर ट्रंप का एक उलझा हुआ सीजफायर सामने आया है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर खुद को “शांति दूत” साबित करने की कोशिश की है, लेकिन इस बार भी उनका सीजफायर ऐलान जमीनी हकीकत से मेल नहीं खाता। इजरायल और ईरान के बीच मिसाइलों की बारिश के बीच ट्रंप ने सोशल मीडिया पर अचानक दोनों देशों के बीच युद्धविराम की घोषणा कर दी। इस ऐलान के कुछ ही घंटों बाद इजरायल ने ईरान पर युद्धविराम तोड़ने का आरोप लगाते हुए तेहरान में बम बरसा दिए। जवाब में ईरान ने भी इजरायल को अंजाम भुगतने की धमकी दी है।
ट्रंप ने इस युद्ध को "12-दिवसीय युद्ध" बताया और कहा कि एक तय समय-सीमा के अनुसार ईरान पहले सीजफायर करेगा, फिर 12 घंटे बाद इजरायल और 24 घंटे के भीतर “दुनिया इस युद्ध के अंत का स्वागत करेगी।”
ईरान ने युद्ध को बताया अपनी जीत
जब ट्रंप ये ऐलान कर रहे थे, उस समय भी दोनों देशों के बीच हमले जारी थे। ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराकची ने ट्रंप के दावे को तुरंत खारिज करते हुए X पर लिखा: “फिलहाल किसी भी तरह के युद्धविराम पर सहमति नहीं बनी है।” हालांकि, कुछ घंटों बाद ईरान ने एक बयान में कहा कि जीत के बाद सैन्य कार्रवाई रोक दी गई है, लेकिन उन्होंने यह भी जोड़ा कि उन्होंने "आखिरी क्षण तक" लड़ाई जारी रखी। यह साफ संकेत था कि यह युद्धविराम एकतरफा और अचानक था।
ईरान और इजरायल के अपने दावे
बाद में ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेज़ेश्कियन ने भी इस मामले पर बयान जारी किया। उन्होंने मलेशियाई प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम से फोन पर बात करते हुए कहा, “अगर ज़ायनिस्ट शासन (इज़रायल) सीजफायर का उल्लंघन नहीं करता, तो ईरान भी इसका पालन करेगा।” इससे साफ हो गया कि ईरान ने सीजफायर को इज़रायल की प्रतिबद्धता के साथ जोड़ा है, न कि ट्रंप की घोषणा के साथ।
दूसरी ओर इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के कार्यालय ने कुछ घंटों बाद सीजफायर की पुष्टि की और कहा कि इज़रायल ने अपने सभी सैन्य लक्ष्य पूरे कर लिए, जिसमें ईरान के परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रमों को समाप्त करना शामिल था।
शांति दूत बनने का दिखावा?
ट्रंप खुद को लगातार एक "शांति निर्माता" के रूप में प्रस्तुत करते रहे हैं। उन्होंने भारत-पाकिस्तान संघर्ष के दौरान भी यही रुख अपनाया था। लेकिन उस समय भी भारत ने उनके दावे को खारिज करते हुए साफ कहा था कि कोई मध्यस्थता या व्यापार वार्ता नहीं हुई थी। अपने चुनाव प्रचार के दौरान भी ट्रंप ने वैश्विक संघर्षों को समाप्त करने का वादा किया था। दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में ट्रंप ने दावा किया कि उन्होंने गाजा में सीजफायर कराने में अहम भूमिका निभाई, लेकिन वह भी कुछ ही हफ्तों में टूट गया। रूस-यूक्रेन युद्ध पर भी अब तक अमेरिका कोई ठोस समाधान नहीं निकाल सका है।
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