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हमारा J-10 फाइटर जेट खरीद लो, भारत के खिलाफ कारगर था; अब इस मुस्लिम देश को झूठ बेच रहा चीन

चीन ने इंडोनेशिया को जे-10 लड़ाकू विमानों की पेशकश की है, जिस पर सरकार प्रारंभिक स्तर पर विचार कर रही है। इंडोनेशिया विभिन्न देशों से सैन्य सौदों के विकल्प तलाश रहा है।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, जकार्ताThu, 5 June 2025 02:45 PM
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हमारा J-10 फाइटर जेट खरीद लो, भारत के खिलाफ कारगर था; अब इस मुस्लिम देश को झूठ बेच रहा चीन

भारत और पाकिस्तान के बीच हुए हवाई संघर्ष में चीनी J-10C फाइटर जेट की कथित सफलता के बाद, चीन अब इस जेट को दुनिया के सबसे बड़े मुस्लिम देश इंडोनेशिया को बेचने की कोशिश कर रहा है। खबरों के मुताबिक, इंडोनेशिया इस प्रस्ताव पर विचार कर रहा है, लेकिन इस डील को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं, खासकर तब जब भारत ने चीनी हथियारों को लेकर किए जा रहे दावों को 'गलत सूचना' करार दिया है।

इंडोनेशिया के उप रक्षा मंत्री डॉनी एरमावन तौफांतो ने बुधवार को जकार्ता में एक सार्वजनिक चर्चा के दौरान कहा कि चीन ने इंडोनेशिया को जे-10 लड़ाकू विमानों की पेशकश की है। डॉनी तौफांतो ने कहा कि इस प्रस्ताव का अभी केवल प्रारंभिक मूल्यांकन चल रहा है और इंडोनेशिया ने अब तक कोई तकनीकी टीम चीन भेजी नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया, “यह फिलहाल सिर्फ एक पेशकश है।”

ब्लूमबर्ग न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने बताया कि इंडोनेशियाई वायुसेना के अधिकारियों की चीन यात्रा के दौरान यह प्रस्ताव सामने आया। वर्तमान में सरकार यह जांच कर रही है कि क्या ये विमान देश की परिचालन आवश्यकताओं को पूरा करते हैं और क्या इन्हें मौजूदा सैन्य प्रणालियों में इंटीग्रेट किया जा सकता है।

भारत-पाकिस्तान संघर्ष और J-10C का दावा

भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर में हुए हवाई संघर्ष के दौरान, पाकिस्तान ने दावा किया कि उसने अपने चीनी निर्मित J-10C फाइटर जेट्स का उपयोग करके भारतीय वायुसेना के कई विमानों, जिनमें फ्रांसीसी राफेल जेट्स शामिल थे, उनको मार गिराया। पाकिस्तानी विदेश मंत्री इशाक डार ने संसद में कहा कि J-10C ने तीन राफेल समेत कई भारतीय जेट्स को नष्ट किया। हालांकि, भारत ने इन दावों को खारिज करते हुए इसे 'अफवाह' और 'गलत सूचना' बताया। भारतीय रक्षा मंत्रालय और वायुसेना के अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि नुकसान की खबरें अतिशयोक्तिपूर्ण हैं, हालांकि जनरल अनिल चौहान ने कुछ हवाई नुकसान की पुष्टि की थी।

चीन ने इस मौके का फायदा उठाते हुए अपनी स्टेट मीडिया CCTV पर J-10C की उत्पत्ति और इसकी 'युद्ध में सिद्ध' क्षमताओं पर एक दो-भाग वाला डॉक्यूमेंट्री प्रसारित किया। डॉक्यूमेंट्री में दावा किया गया कि J-10CE (एक्सपोर्ट वेरिएंट) ने हाल के युद्ध में 'पहली जीत' हासिल की। यह कदम न केवल चीन की सैन्य तकनीक को बढ़ावा देने के लिए था, बल्कि वैश्विक हथियार बाजार में इसकी स्थिति को मजबूत करने का भी प्रयास था।

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इंडोनेशिया को पेशकश क्यों खास

यह पेशकश ऐसे समय में आई है जब रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे वैश्विक संघर्षों के चलते दुनियाभर में सैन्य खर्च बढ़ रहा है। यह वार्ता इस ओर भी इशारा करती है कि राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो की अगुवाई में इंडोनेशिया सैन्य आधुनिकीकरण के अपने अभियान के तहत रक्षा आपूर्ति स्रोतों में विविधता लाने की कोशिश कर रहा है।

जे-10 को चीन की एवीआईसी चेंगदू एयरक्राफ्ट कंपनी लिमिटेड ने तैयार किया है, यह एक सिंगल-इंजन, मल्टीरोल फाइटर जेट है। इसे पाकिस्तान ने 2022 में अपनी वायुसेना में शामिल किया था, जब भारत ने फ्रांसीसी राफाल जेट्स खरीदे थे। अब वही राफाल जेट्स इंडोनेशिया भी एक अलग सौदे के तहत खरीद रहा है।

हालांकि इंडोनेशिया पहले चीन से कुछ रक्षा उपकरण जैसे हथियार और एयर सर्विलांस सिस्टम खरीद चुका है, लेकिन लड़ाकू विमान खरीदने का यह पहला मौका होगा। अगर यह सौदा आगे बढ़ता है, तो यह बीजिंग के साथ रक्षा संबंधों में महत्वपूर्ण गहराई का संकेत होगा। चीन फिलहाल इंडोनेशिया का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार और निवेश का प्रमुख स्रोत भी है।

नए देशों के साथ भी सैन्य सहयोग

प्रबोवो के कार्यकाल में इंडोनेशिया ने परंपरागत रक्षा साझेदारों के साथ-साथ नए देशों के साथ भी सैन्य सहयोग के विकल्प तलाशे हैं। देश दक्षिण कोरिया के साथ केएफ-21 सुपरसोनिक फाइटर जेट के विकास में भागीदार है और हाल ही में राष्ट्रपति प्रबोवो ने तुर्की द्वारा विकसित किए जा रहे पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट 'KAAN' में भी रुचि दिखाई है।

प्रबोवो ने रक्षा अधिकारियों को यह निर्देश भी दिया है कि वे अमेरिकी कंपनी बोइंग से एफ-15ईएक्स लड़ाकू विमान खरीदने की पुरानी योजनाओं को फिर से जांचें। डॉनी तौफांतो ने कहा कि इंडोनेशिया की रक्षा खरीद नीति व्यावहारिक और गुटनिरपेक्ष है, जिससे उसे विभिन्न देशों के साथ रक्षा समझौते करने की स्वतंत्रता मिलती है। उन्होंने कहा, “अगर हमें लगे कि यह विमान अच्छा प्रदर्शन करता है, हमारी आवश्यकताओं को पूरा करता है और कीमत भी उचित है, तो क्यों नहीं? हम किसी गठबंधन से बंधे नहीं हैं, इसलिए हम किसी भी देश से हथियार खरीद सकते हैं- चाहे वो चीन ही क्यों न हो।”

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