ट्रूडो के जाते ही खालिस्तान पर बदला कनाडा का रुख, नए पीएम मार्क कार्नी बोले- आतंक के खिलाफ जंग में साथ
जस्टिन ट्रूडो के प्रधानमंत्री पद से हटते ही खालिस्तान पर कनाडा के रुख में बदलाव नजर आने लगा है। कनाडा के नए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में साथ होने की बात कही है।

जस्टिन ट्रूडो के प्रधानमंत्री पद से हटते ही खालिस्तान पर कनाडा के रुख में बदलाव नजर आने लगा है। कनाडा के नए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में साथ होने की बात कही है। उन्होंने आगे कहाकि नई सरकार समुदायों की सुरक्षा के लिए दिए गए बहुमत पर खरी उतरेगी। इसके साथ ही मार्क कार्नी ने 40 साल पहले हुए एयर इंडिया 182 कनिष्क विमान बम विस्फोट पर अफसोस जताया है। उन्होंनेकनिष्क पर हुए आतंकवादी हमले को देश के इतिहास का सबसे घातक हमला बताया। कनाडा के प्रधानमंत्री ने कहाकि उनकी सरकार स्पष्ट रूप से आतंकवाद के खिलाफ खड़ी है।
इतिहास का सबसे घातक हमला
प्रधानमंत्री के बयान में कहा गया कि जैसा कि हम आतंकवाद के पीड़ितों के लिए राष्ट्रीय स्मृति दिवस मनाते हैं। हम एयर इंडिया बम विस्फोट के पीड़ितों और आतंकवाद के कारण अपनी जान गंवाने वाले अन्य लोगों को याद करते हैं। उन्होंने कहाकि 40 साल पहले, एयर इंडिया की उड़ान 182 पर हुए बम विस्फोट में 268 कनाडाई नागरिकों सहित निर्दोष लोग मारे गए थे। यह आतंकवादी हमला हमारे देश के इतिहास का सबसे घातक हमला है- जिसे हमें कभी नहीं भूलना चाहिए।
क्या हुआ था कनिष्क हादसा
गौरतलब है कि एयर इंडिया 'कनिष्क' उड़ान संख्या 182 में 23 जून 1985 को लंदन के हीथ्रो हवाई अड्डे पर उतरने से 45 मिनट पहले विस्फोट हो गया था। इसमें विमान में सवार सभी 329 व्यक्ति मारे गए थे। इनमें से अधिकतर भारतीय मूल के कनाडाई थे। इस हमले को कनाडा स्थित खालिस्तानी संगठन बब्बर खालसा ने अंजाम दिया था।
कनाडा में हर साल होता है आयोजन
आयरलैंड और कनाडा के शीर्ष राजनयिक एयर इंडिया 182 कनिष्क विमान बम विस्फोट के पीड़ितों के परिवारों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए एक कार्यक्रम में शामिल हुए। यह आतंकवादी हमले की 40वीं बरसी के अवसर पर आयोजित किया गया। विमान के यात्रियों और चालक दल के सदस्यों के परिजन हर वर्ष पीड़ितों के लिए बनाए गए विभिन्न स्मारकों पर एकत्रित होते हैं।
इससे पहले, भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया। इसमें उन्होंने लिखा कि एयर इंडिया 182 'कनिष्क' बम विस्फोट की 40वीं बरसी पर, हम आतंकवाद के सबसे बुरे कृत्यों में से एक में जान गंवाने वाले 329 लोगों को याद करते हैं। यह याद दिलाता है कि दुनिया को आतंकवाद और हिंसक चरमपंथ को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करने की नीति क्यों अपनानी चाहिए।
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