अब्राहम अकॉर्ड से इस्लामिक दुनिया में नई हलचल की तैयारी में अमेरिका, कई देशों की बढ़ेगी टेंशन
मिडल ईस्ट के कई इस्लामिक देश इस अकॉर्ड का हिस्सा बन सकते हैं। यदि ऐसा हुआ तो ईरान, तुर्की जैसे देश अलग-थलग पड़ते दिखेंगे, जो इस्लाम के नाम पर एकता की वकालत करते रहे हैं। इसके अलावा पाकिस्तान को भी करारा झटका लगेगा, जो अकसर किसी भी मामले में इस्लामिक उम्मा की बात करता है।

ईरान पर परमाणु हमला करने और फिर इजरायल के साथ सीजफायर कराने के बाद अमेरिका इस्लामिक दुनिया में एक नई हलचल मचाने की तैयारी में है। मध्य पूर्व देशों के लिए अमेरिका के राजनयिक स्टीव विटकॉफ का कहना है कि जल्दी ही कुछ देश अब्राहम अकॉर्ड का हिस्सा बन सकते हैं। माना जा रहा है कि मिडल ईस्ट के कई इस्लामिक देश इस अकॉर्ड का हिस्सा बन सकते हैं। यदि ऐसा हुआ तो ईरान, तुर्की जैसे देश अलग-थलग पड़ते दिखेंगे, जो इस्लाम के नाम पर एकता की वकालत करते रहे हैं। इसके अलावा पाकिस्तान को भी करारा झटका लगेगा, जो अकसर किसी भी मामले में इस्लामिक उम्मा की बात करता है।
विटकॉफ ने एक इंटरव्यू में कहा कि वाइट हाउस समझता है कि जल्दी ही कुछ बड़े ऐलान होंगे। कई देश अब्राहम अकॉर्ड का हिस्सा बनेंगे। अब्राहम अकॉर्ड की शुरुआत 2020 में हुई थी, जब डोनाल्ड ट्रंप पहली बार अमेरिका के राष्ट्रपति पद पर थे। इसके तहत संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन, मोरक्को और सूडान जैसे इस्लामिक देशों ने इजरायल के साथ रिश्ते सामान्य करने की पहल की थी। इस अकॉर्ड को लेकर फिलिस्तीन का कहना था कि यह उसके साथ धोखा है। इसके अलावा पाकिस्तान जैसे देशों को भी करारा झटका लगा था। विटकॉफ का कहना है कि राष्ट्रपति ट्रंप के बड़े उद्देश्यों में से एक अब्राहम अकॉर्ड का विस्तार भी है।
अमेरिकी दूत ने कहा कि मेरी टीम विदेश मंत्री मार्को रूबियो के साथ मिलकर इस पर काम कर रही है। हमारी कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा देशों को इस अकॉर्ड का हिस्सा बना लिया जाए। हम चाहते हैं कि अलग-अलग देशों में एकजुटता हो और संबंध सामान्य हों। इससे मिडल ईस्ट में स्थिरता और शांति के हालात बनाने में मदद मिलेगी। उन्होंने उन देशों का नाम नहीं लिया, जो इसका हिस्सा बन सकते हैं, लेकिन यह जरूर कहा कि ऐसा ऐलान जल्दी ही होगा। इसके अलावा ईरान के साथ भी संबंध सामान्य और शांतिपूर्ण बने रहने की उम्मीद जताई।
क्या है अब्राहम अकॉर्ड और कहां से आया नाम
यह नाम अब्राहम नामक पैगंबर से लिया गया है। उन्हें यहूदी, ईसाई और इस्लामी धर्मों में समान रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। इसी के चलते अब्राहम अकॉर्ड नाम रखा गया ताकि तीन धर्मों के मानने वाले लोगों के बीच एकता स्थापित की जा सके। तीनों मजहबों में अब्राहम को एक कॉमन फैक्टर माना गया है। अब्राहम अकॉर्ड मध्य पूर्व में एक बड़ा कूटनीतिक बदलाव था। इसने दशकों पुरानी शत्रुता को कम करने की दिशा में कदम उठाया, लेकिन फिलिस्तीन मुद्दे को सुलझाए बिना इसकी सफलता सीमित ही मानी जाती है। इस समझौते से सबसे ज्यादा फायदा इजरायल को ही हुआ, जिसे कई इस्लामिक देशों ने मान्यता दी और दूतावास खोलने पर भी सहमति जताई।
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