हिमाचल में फिर सामने आया शर्मनाक मामला, छह नाबालिग छात्राओं ने बताई सरकारी शिक्षक की करतूत
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि पुलिस के पहुंचने से पहले ही आरोपी शिक्षक स्कूल से भाग गया था और उसकी तलाश के लिए अलग-अलग टीमें बनाकर उसकी तलाश शुरू कर दी गई है। एसपी नेगी ने इसे बहुत गंभीर मामला बताते हुए कहा कि दोषी शिक्षक के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले से एकबार फिर शिक्षक के पद को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है। यहां पर एक सरकारी स्कूल की छह नाबालिग लड़कियों ने अपने शिक्षक पर यौन उत्पीड़न और गलत नीयत से छूने का आरोप लगाते हुए पुलिस से शिकायत की है। यह आरोपी उन्हें हिंदी पढ़ाने वाले शिक्षक पर लगा है। एक सप्ताह के अंदर जिले में यह इस तरह का दूसरा मामला है।
इस बारे में जानकारी देते हुए सिरमौर के पुलिस अधीक्षक निश्चिन्त सिंह नेगी ने गुरुवार को पीटीआई को बताया कि कक्षा 6 से 9 में पढ़ने वाली नाबालिगों ने इस बारे में शिकायत की है। जिसके आधार पर उन्हें हिंदी पढ़ाने वाले शिक्षक के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।
नेगी ने कहा कि शिकायत मिलने के बाद पुलिस की एक टीम ने बुधवार को स्कूल का दौरा किया और लड़कियों के बयान दर्ज किए। उन्होंने बताया कि जांच के दौरान पुलिस टीम ने यह पता लगाने की कोशिश भी की, कि क्या और भी लड़कियां या स्टाफ सदस्य के साथ इस तरह की घटना हुई है।
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि आरोपी शिक्षक पुलिस के पहुंचने से पहले ही स्कूल से भाग गया था और उसकी तलाश के लिए टीमें अलग-अलग जगहों पर भेजी गई हैं। एसपी नेगी ने इसे बहुत गंभीर मामला बताते हुए कहा कि दोषी शिक्षक के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
बता दें कि पिछले एक सप्ताह के दौरान जिले में स्कूली छात्राओं के उत्पीड़न से जुड़ा यह दूसरा मामला है। इससे पहले शुक्रवार को सिरमौर के एक अन्य स्कूल में कक्षा 7वीं से 10वीं तक की 24 छात्राओं ने गणित विषय के शिक्षक पर उत्पीड़न का आरोप लगाया था, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर निलंबित कर दिया गया था।
अखिल भारतीय महिला जनवादी समिति की जिला अध्यक्ष संतोष कपूर ने आरोप लगाया कि हाल के महीनों में जिले में यह चौथा मामला है, जहां शिक्षकों ने नाबालिग छात्र-छात्राओं के साथ छेड़छाड़ की है। उन्होंने कहा कि इससे पहले राजगढ़ और पांवटा साहिब में भी ऐसी घटनाएं सामने आई थीं। ऐसे अपराधों के अपराधियों के लिए सख्त कार्रवाई और कठोर सजा की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि सभी स्कूलों में आंतरिक शिकायत समितियों को सक्रिय किया जाना चाहिए और युवा छात्रों को ऐसे जघन्य अपराधों से बचाने के लिए नियमित रूप से उच्च अधिकारियों द्वारा निगरानी की जानी चाहिए।
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