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हिमाचल में उफनती नदी में दिखी लाखों कटी लकड़ियां, लोगों ने पूछा कौन है पुष्पा? MLA ने सरकार को घेरा

राठौर ने कहा कि हिमाचल में अवैध कटान और खनन वर्षों से जारी है, लेकिन अब यह बेकाबू हो चुका है। हर साल मॉनसून सीजन में बाढ़, भूस्खलन और बादल फटने जैसी घटनाएं होती हैं, जिनका एक बड़ा कारण जंगलों का अंधाधुंध दोहन है।

Sourabh Jain लाइव हिन्दुस्तान, शिमला, हिमाचल प्रदेशFri, 27 June 2025 06:41 PM
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हिमाचल में उफनती नदी में दिखी लाखों कटी लकड़ियां, लोगों ने पूछा कौन है पुष्पा? MLA ने सरकार को घेरा

हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले की सैंज और बंजार घाटियों में हाल ही में आई बाढ़ ने जहां जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया, वहीं इस मॉनसूनी बारिश ने प्रदेश में बड़े पैमाने पर हो रही अवैध वन कटाई की पोल भी खोलकर रख दी है। नदी-नालों में जिस तरह लकड़ियों का सैलाब देखने को मिला, उसने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। नदियों में बाढ़ के जो दृश्य सामने आए हैं, उनमें बड़े पैमाने पर पेड़ों की लकड़ियां दिखाई दे रही हैं, जिसके बाद उन्हें देखकर ऐसा लग रहा है जैसे कोई लकड़ी की नदी बह रही हो। यूजर्ज़ सोशल मीडिया पर इसके वीडियो शेयर कर रहे हैं।

कुल्लू जिले के बंजार व सैंज क्षेत्र में दो दिन पहले बादल फटने के बाद आई बाढ़ में तीन लोग बह गए थे, जिनका अब तक कोई सुराग नहीं मिल पाया है। लेकिन इस बाढ़ के बाद जो तस्वीरें सामने आईं, उन्होंने वन विभाग और शासन-प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगा दिए हैं। नदी-नालों में बहती भारी मात्रा में लकड़ी से माना जा रहा है कि जंगलों में बड़े पैमाने पर अवैध कटाई हो रही है।

मंडी जिले के पंडोह डैम में भी लाखों लकड़ियों के ढेर नजर आए, जो यह दिखा रहे हैं कि वन क्षेत्र में 'कटाई माफिया' कितने सक्रिय हैं और छिपकर काम कर रहे हैं। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। इससे पहले भी कई बार प्राकृतिक आपदाओं के बाद इसी तरह की तस्वीरें सामने आ चुकी हैं। वर्ष 2023 में भी कुल्लू और शिमला जिले के रामपुर और सुन्नी क्षेत्रों में बाढ़ के बाद डैमों में लकड़ी के ढेर जमा हो गए थे।

'पुष्पा' कौन? कुल्लू के जंगलों में कौन चला रहा अवैध कटान

नदी में बहती इन लकड़ियों को देखने के बाद अब यह बड़ा सवाल उठ खड़ा हुआ है कि आखिर कुल्लू के जंगलों में 'पुष्पा' कौन बन रहा है? कौन लोग हैं जो इतने सुनियोजित तरीके से जंगलों को काटकर लकड़ी को इकट्ठा कर रहे हैं, जो बारिश और बाढ़ के बाद नदियों में बहती नजर आती है? बता दें कि फिल्म ‘पुष्पा’ में फिल्म का हीरो बड़े पैमाने पर जंगल से लाल चंदन के पेड़ों को काटकर लकड़ियों की तस्करी करता था।

कांग्रेस विधायक ने लिया सरकार को आड़े हाथों

इस मुद्दे पर कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता और शिमला जिला के ठियोग से विधायक कुलदीप सिंह राठौर ने अपनी ही सरकार को घेरा है। उन्होंने कहा कि हिमाचल में अवैध वन कटान और खनन हो रहा है जिससे हर साल प्राकृतिक आपदा में नुकसान उठाना पड़ रहा है औऱ कुल्लू में बहकर आए पेड़ इसका बड़ा सबूत हैं।

राठौर ने कहा कि हिमाचल में अवैध कटान और खनन वर्षों से जारी है, लेकिन अब यह बेकाबू हो चुका है। हर साल मॉनसून सीजन में बाढ़, भूस्खलन और बादल फटने जैसी घटनाएं होती हैं, जिनका एक बड़ा कारण जंगलों का अंधाधुंध दोहन है। कुलदीप राठौर ने शुक्रवार को शिमला में कहा कि कुल्लू में बहकर आई लकड़ियां इस बात की जीती-जागती मिसाल हैं कि राज्य में अवैध वन कटान हो रहा है। उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि इस मामले को गंभीरता से लें और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें।

कुलदीप सिंह राठौर ने कहा कि 2023 में भी प्राकृतिक आपदा के दौरान काफी लकड़ी बहती देखी गई थी और अब फिर से इस बार कुल्लू में बादल फटने की घटना के बाद आई बाढ़ में लकड़ी बहती देखी गई है। यह लकड़ी कहां से आई इसको लेकर प्रश्न खड़े हो रहे हैं औऱ इसकी जांच होनी चाहिए।

पावर प्रॉजेक्ट्स बन रहे विनाश का कारण?

राठौर ने यह भी कहा कि हिमाचल में जहां-तहां पॉवर प्रोजेक्ट्स लग रहे हैं, जिसके चलते वहां बड़े पैमाने पर पेड़ काटे जा रहे हैं। इससे ना केवल स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र पर असर पड़ रहा है, बल्कि वातावरण भी असंतुलित हो रहा है। जिसके परिणामस्वरूप बादल फटने जैसी घटनाएं बढ़ रही हैं और लोगों की जान-माल को खतरा पैदा हो रहा है।

कांग्रेस विधायक ने यह सवाल भी उठाया कि हर साल आने वाली आपदाओं से पहले ही अगर सरकार गंभीर हो और जंगलों की निगरानी ठीक से हो तो इतनी भारी तबाही से बचा जा सकता है। लेकिन दुर्भाग्यवश, वन विभाग और प्रशासन की नाक के नीचे सब कुछ चलता रहता है और कोई जवाबदेही तय नहीं होती।

सरकार से ठोस कदम उठाने की मांग

कुलदीप राठौर ने स्पष्ट किया कि अब केवल बयानबाजी से काम नहीं चलेगा। सरकार को चाहिए कि वह वन क्षेत्रों में ड्रोन सर्वे कराए, संदिग्ध गतिविधियों की जांच कराए और अवैध कटान पर रोक लगाने के लिए विशेष अभियान चलाए। इसके साथ ही स्थानीय प्रशासन को भी सतर्क रहने की आवश्यकता है ताकि इस तरह की घटनाओं को समय रहते रोका जा सके।

रिपोर्ट : यूके शर्मा

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