एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी के नाम में फिर बदलाव चाहते हैं सुनील गावस्कर, ECB से किया ये सवाल
सुनील गावस्कर ने भारतीय मीडिया सहित सभी भारतीय क्रिकेट प्रेमियों से अनुरोध किया है कि एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी को तेंदुलकर-एंडरसन ट्रॉफी कहें। इसके पीछे का कारण भी पूर्व भारतीय कप्तान ने बताया है।

भारत के महान बल्लेबाज और अब दशकों से कमेंट्री कर रहे सुनील गावस्कर ने इंग्लैंड-भारत सीरीज का नाम बदलने की आलोचना की है। सुनील गावस्कर ने कहा है कि सचिन तेंदुलकर के नाम से पहले जेम्स एंडरसन का नाम देखना हैरान करने वाला है। इंडिया और इंग्लैंड के बीच अब जो भी टेस्ट सीरीज होगी, उसे एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी कहा जाएगा, फिर चाहे वह भारत में हो या फिर इंग्लैंड में। पहले इंग्लैंड में पटौदी ट्रॉफी और इंडिया में एंथनी डी मेलो ट्रॉफी होती थी, लेकिन बीसीसीआई और ईसीबी ने मिलकर लीड्स टेस्ट से एक दिन पहले इस नई ट्रॉफी का अनावरण किया।
75 वर्षीय पूर्व भारतीय कप्तान इन दोनों दिग्गजों के नाम पर ट्रॉफी रखे जाने से खुश हैं, लेकिन वे इसमें बदलाव ये चाहते हैं कि ट्रॉफी को एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी की बजाय तेंदुलकर-एंडरसन ट्रॉफी कहा जाए। शुरुआत में उन्होंने कहा कि यह “इंग्लैंड और भारत दोनों देशों में क्रिकेट के लिए पटौदी द्वारा किए गए योगदान के प्रति संवेदनशीलता की कमी को दर्शाता है।” अब उन्होंने एक कदम और आगे बढ़कर तर्क दिया है कि एंडरसन का नाम तेंदुलकर के बाद आना चाहिए, क्योंकि वह उनसे उम्र में छोटे हैं (सचिन 52 वर्ष के हैं, जबकि एंडरसन 42 वर्ष के हैं)।
उन्होंने यहां तक कह दिया कि भारतीय प्रशंसकों को जानबूझकर ट्रॉफी का गलत नाम रखना चाहिए और इस तर्क को 'बेकार' बताया कि एंडरसन का नाम अल्फाबेटिकल ऑर्डर में पहले आता है। मिड-डे के लिए लिखे कॉलम में गावस्कर ने कहा, "ईसीबी (इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड) को इस सीरीज को किसी भी नाम से पुकारने का पूरा हक है, लेकिन अधिकांश, अगर सभी नहीं, भारतीय क्रिकेट प्रेमियों के लिए यह जानना चौंकाने वाला है कि एंडरसन का नाम पहले आता है। सचिन तेंदुलकर न केवल कपिल देव के साथ सबसे महान भारतीय क्रिकेटर हैं, बल्कि एंडरसन से एक दर्जन से ज्यादा साल सीनियर भी हैं।
उन्होंने आगे लिखा, "टेस्ट क्रिकेट में रन और शतकों के मामले में वे नंबर वन हैं, लेकिन वनडे स्तर पर भी उनके नाम किसी और से ज्यादा रन हैं। टेस्ट क्रिकेट में विकेट लेने वालों की सूची में एंडरसन तीसरे नंबर पर हैं और वनडे क्रिकेट में उनका रिकॉर्ड तेंदुलकर जितना अच्छा नहीं है। तेंदुलकर एक विश्व कप जीतने वाली टीम (वनडे क्रिकेट में) का भी हिस्सा हैं, जो एंडरसन नहीं रहे हैं। जिमी एंडरसन एक शानदार गेंदबाज थे, लेकिन मुख्य रूप से अंग्रेजी परिस्थितियों में और उनका रिकॉर्ड विदेशों में तेंदुलकर जितना अच्छा नहीं है। मैं भारतीय मीडिया सहित सभी भारतीय क्रिकेट प्रेमियों से आग्रह करता हूं कि वे इसे तेंदुलकर-एंडरसन ट्रॉफी कहें।"