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स्टॉप क्लॉक से DRS और नो बॉल से शॉर्ट रन तक...क्रिकेट में बदलने जा रहे हैं ये नियम, अब नहीं चलेगी किसी की चालाकी

इंटरनेशनल क्रिकेट और फर्स्ट क्लास क्रिकेट में कुछ नियम बदलने जा रहे हैं, जिसमें स्टॉप क्लॉक एक मिनट के लिए होगी। वहीं, रणजी ट्रॉफी जैसे टूर्नामेंट में बड़ी चोट के लिए फुलटाइम रिप्लेसमेंट आपको मिलेगा।

Vikash Gaur लाइव हिन्दुस्तानThu, 26 June 2025 02:26 PM
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स्टॉप क्लॉक से DRS और नो बॉल से शॉर्ट रन तक...क्रिकेट में बदलने जा रहे हैं ये नियम, अब नहीं चलेगी किसी की चालाकी

ICC ने हाल ही में मेंस इंटरनेशनल क्रिकेट में कुछ बदलाव नियमों में किए थे। प्लेइंग कंडीशन्स में पहले से ही बाउंड्री लॉ और वनडे इंटरनेशनल क्रिकेट में 35वें ओवर के बाद एक ही बॉल से गेंदबाजी करना शामिल है। कुछ नियम 17 जून से शुरू हुई नई डब्ल्यूटीसी साइकल में लागू हो गए हैं। इसके अलावा 2 जुलाई से कुछ और नियम लागू होने वाले हैं, जिनमें टेस्ट क्रिकेट में स्टॉप क्लॉक, सलाइवा के बाद गेंद चेंज नहीं होगी। इसके अलावा डीआरएस से जुड़े कुछ नियम बदलने वाले हैं। ईएसपीएनक्रिकइंफो के पास नई प्लेइंग कंडीशन्स का वो एक्सेस है, जो आईसीसी ने हाल ही में अपने सदस्य देशों को भेजा है। क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में नियम बदलने वाले हैं।

टेस्ट क्रिकेट में स्टॉप क्लॉक रूल

व्हाइट-बॉल फॉर्मेट में स्टॉप क्लॉक शुरू हुए एक साल का समय हो चुका है। ICC ने इस नियम को टेस्ट क्रिकेट में भी शुरू करने का फैसला किया है, क्योंकि इस फॉर्मेट में स्लो ओवर रेट लंबे समय से एक समस्या बना हुआ है। नियम के अनुसार, फील्डिंग करने वाली टीम को पिछले ओवर के खत्म होने के एक मिनट के भीतर ओवर शुरू करने के लिए तैयार रहना चाहिए। ऐसा ना करने पर उन्हें अंपायरों से दो वॉर्निंग मिलेंगी। तीसरी बार मे अंपायर गेंदबाजी करने वाली टीम पर पांच रनों की पेनल्टी लगाएंगे। 80 ओवर के प्रत्येक ब्लॉक के बाद वॉर्निंग फिर से शुरू होगी। ओवर की आखिरी गेंद के प्ले से बाहर जाते ही स्कीन पर उल्टी गिनती 60,59,58...3,2,1 शुरू होगी। यह नियम 2025-27 WTC चक्र की शुरुआत से ही लागू हो चुका है।

सलाइवा पर बैन, लेकिन…

गेंद पर सलाइवा यानी लार के इस्तेमाल पर प्रतिबंध जारी है, लेकिन ICC ने कहा है कि अब अंपायरों के लिए गेंद पर लार पाए जाने पर गेंद को बदलना अनिवार्य नहीं है। यह बदलाव ऐसी स्थिति से बचने के लिए किया गया है, जहां गेंद को बदलने की कोशिश करने वाली टीमें जानबूझकर उस पर लार लगाती हैं। इसलिए आगे चलकर, अंपायर केवल तभी गेंद को बदलेंगे, जब उसकी कंडीशन में बहुत ज्यादा बदलाव हुआ हो - जैसे कि अगर वह बहुत गीली दिखाई दे या उसमें ज्यादा चमक हो। यह पूरी तरह से अंपायरों के विवेक पर छोड़ दिया गया है। साथ ही, अगर अंपायरों के यह कहने के बाद भी कि लार के इस्तेमाल से गेंद की स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है, गेंद में कुछ बदलाव होने लगे, तो उसे बदला नहीं जा सकता। हालांकि, बल्लेबाजी करने वाली टीम को पांच रन दिए जाएंगे।

DRS प्रोटोकॉल

उदाहरण के तौर पर - एक बल्लेबाज को कैच आउट करार दिया गया है और वह रिव्यू के लिए कहता है। अल्ट्राएज दिखाता है कि गेंद वास्तव में बल्ले से नहीं लगी और सीधी पैड से टकराई है। इस केस में बल्लेबाज कैच आउट नहीं है तो टीवी अंपायर अब तक आउट होने के दूसरे तरीके की जांच करता है और बॉल-ट्रैकिंग के माध्यम से यह सत्यापित करने की कोशिश करता है कि बल्लेबाज एलबीडब्ल्यू है या नहीं। अब तक इस तरह के रिव्यू के दौरान प्रोटोकॉल यह था कि एक बार यह निर्धारित हो जाने के बाद कि बल्लेबाज कैच आउट नहीं है तो आउट होने के दूसरे तरीके यानी एलबीडब्ल्यू के लिए डिफॉल्ट निर्णय नॉट आउट होता था। इसका मतलब है कि अगर बॉल-ट्रैकिंग से अंपायर्स कॉल आता है, तो बल्लेबाज नॉट आउट ही रहेगा, लेकिन अपडेट किए गए नियमों के तहत जब एलबीडब्ल्यू के लिए बॉल-ट्रैकिंग ग्राफिक प्रदर्शित किया जाता है, तो उस पर "ऑरिजनल डिसिजन" लेबल "आउट" लिखा होगा और अगर समीक्षा में अंपायर का फैसला आता है, तो बल्लेबाज आउट हो जाएगा।

कंबाइंड रिव्यू

ICC ने अंपायर और खिलाड़ी दोनों के रेफरल को शामिल करते हुए कंबाइड रिव्यू के दौरान निर्णय की प्रक्रिया को संशोधित करने का भी निर्णय लिया है। आईसीसी ने फैसला किया है कि एक के बाद एक यानी क्रॉनोलॉजिकल ऑर्डर में रिव्यू होगा। अब तक, संयुक्त समीक्षा के दौरान टीवी अंपायर खिलाड़ी की समीक्षा पर जाने से पहले अंपायर रिव्यू लेता था। संशोधित ICC खेल शर्तों में नियम 3.9 कहता है, "यदि पहली घटना से यह निष्कर्ष निकलता है कि बल्लेबाज आउट हो गया है, तो उस समय गेंद को डेड माना जाएगा, जिससे दूसरी घटना की जांच अनावश्यक हो जाएगी।" इसलिए यदि एलबीडब्लू के साथ-साथ रन आउट की अपील होती है, तो टीवी अंपायर अब पहले लेग-बिफोर का रिव्यू लेगा, क्योंकि वह पहले हुई थी। यदि बल्लेबाज आउट हो जाता है, तो गेंद को डेड घोषित कर दिया जाएगा।

नो बॉल पर फेयर कैच होगा रिव्यू

मान लीजिए कि ऐसा कोई मामला है, जिसमें दोनों ऑन-फील्ड अंपायर इस बात को लेकर निश्चित नहीं हैं कि कैच क्लीन पकड़ा गया है या नहीं, लेकिन जब वे विचार-विमर्श कर रहे होते हैं, तो टीवी अंपायर उन्हें बताता है कि यह नो-बॉल थी। प्लेइंग कंडीशन्स के पिछले संस्करण में, नो-बॉल का संकेत दिए जाने के बाद टीवी अंपायर को कैच की निष्पक्षता पर निर्णय लेने की आवश्यकता नहीं होती थी, लेकिन अपडेट की गई प्लेइंग कंडीशन्स में, तीसरा अंपायर अब कैच की समीक्षा करेगा और अगर यह एक फेयर कैच है तो बल्लेबाजी करने वाली टीम को नो-बॉल के लिए केवल एक अतिरिक्त रन मिलेगा। हालांकि, अगर कैच फेयर नहीं है, तो बल्लेबाजी करने वाली टीम को बल्लेबाजों द्वारा लिए गए रन भी मिलेंगे।

जानबूझकर शॉर्ट रन

अभी तक, अगर कोई बल्लेबाज जानबूझकर शॉर्ट रन लेते हुए पकड़ा जाता था, तो बल्लेबाजी करने वाली टीम को पांच रन की पेनल्टी भुगतनी पड़ती थी, लेकिन अपडेट किए गए नियमों में अगर कोई बल्लेबाज अतिरिक्त रन चुराने के लिए जानबूझकर मैदान पर नहीं जाता है, तो अंपायर फील्डिंग टीम से पूछेंगे कि वे किस बल्लेबाज को स्ट्राइक पर रखना चाहते हैं। साथ ही, पांच रन की पेनल्टी भी सजा का हिस्सा बनी रहेगी।

खेल की शर्तों के नियम 18.5.1 में कहा गया है, "जानबूझकर लिया गया शॉर्ट रन बल्लेबाजों द्वारा एक से अधिक रन बनाने का प्रयास है, जबकि कम से कम एक बल्लेबाज जानबूझकर एक छोर पर दूऱ तक ना जाए। बल्लेबाज रन ना लेने का विकल्प चुन सकते हैं, बशर्ते अंपायर को लगे कि संबंधित बल्लेबाज का अंपायरों को धोखा देने या ऐसा रन बनाने का कोई इरादा नहीं था, जिसमें उन्होंने क्रीज को नहीं बदला।"

डोमेस्टिक फर्स्ट क्लास क्रिकेट में फुलटाइम रिप्लेसमेंट

गंभीर बाहरी चोट से पीड़ित खिलाड़ी के नुकसान की भरपाई के लिए ICC ने बोर्ड से अपने घरेलू प्रथम श्रेणी क्रिकेट में एक पूर्णकालिक रिप्लेसमेंट प्लेयर को मैदान में उतारने का परीक्षण करने के लिए कहा है, जो आकर टीम के प्रतिभागी की भूमिका निभा सकता है। रिप्लेसमेंट प्लेयर को एक जैसा होना होगा, जैसा कि एक कनकशन सब के मामले में होता है। चोट स्पष्ट होनी चाहिए और मैच अधिकारियों को दिखाई देनी चाहिए, तभी वे फुलटाइम रिप्लेसमेंट की अनुमति देंगे। यह उन खिलाड़ियों पर लागू नहीं होगा जो हैमस्ट्रिंग खिंचाव या छोटी-मोटी चोटों से पीड़ित हैं। यह नियम परीक्षण के आधार पर होगा और इसे पूरी तरह से सदस्य देशों पर निर्भर करता है कि वे अपने घरेलू प्रथम श्रेणी सर्किट में इसे लागू करें।

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