कमेंट्री बॉक्स में बैठकर आलोचना करना…यशस्वी जायसवाल के बचाव में उतरे पूर्व कोच
यशस्वी जायसवाल को को अपने फील्डिंग प्रदर्शन के लिए काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है, इतना कि इसने मैच में उनके शतक को फीका कर दिया है, लेकिन श्रीधर ने जायसवाल का समर्थन करते हुए कहा कि वह चीजों को बदल सकते हैं।

भारत के पूर्व फील्डिंग कोच आर श्रीधर ने लीड्स में इंडिया वर्सेस इंग्लैंड पहले टेस्ट के दौरान फील्डिंग करते समय भारतीय ओपनर यशस्वी जायसवाल का बचाव किया है। मैच के दौरान जायसवाल ने महत्वपूर्ण मौकों पर कैच छोड़े, जिसके कारण भारत को मेजबान टीम के हाथों 5 विकेट से हार का सामना करना पड़ा। इस वजह से युवा खिलाड़ी को अपने फील्डिंग प्रदर्शन के लिए काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है, इतना कि इसने मैच में उनके शतक को फीका कर दिया है, लेकिन श्रीधर ने जायसवाल का समर्थन करते हुए कहा कि वह चीजों को बदल सकते हैं।
आर श्रीधर ने स्पोर्टस्टार से कहा, "इंग्लैंड के पहले दौरे पर जाना और वहां के माहौल के मुताबिक ढलना और एक अच्छा स्लिप फील्डर बनना आसान काम नहीं है। आप जितना चाहें अभ्यास कर सकते हैं, लेकिन मैच में यह काफी चुनौतीपूर्ण होता है। परिस्थितियां बहुत ठंडी होती हैं, इसलिए उंगलियां बहुत सुन्न हो जाती हैं। और दूसरी बात, ड्यूक की गेंद आपकी ओर आते समय बहुत हिलती है। इसे पकड़ना आसान नहीं होता।"
वह आगे बोले, "इंग्लैंड में, गेंद को देखना बहुत मुश्किल होता है। ओवल या लीड्स दो सबसे चुनौतीपूर्ण मैदान हैं। लीड्स में एक ढलान है जो पवेलियन की तरफ से किर्कस्टॉल लेन के छोर तक जाती है। और वहां बहुत हवा चलती है, और यह आपकी लय और गहराई की धारणा को बिगाड़ देती है। यहां तक कि इंग्लैंड ने भी कैच छोड़े। यह हमेशा क्षमता के बारे में नहीं होता है - अक्सर, यह परिस्थितियों के बारे में होता है।"
श्रीधर ने कहा कि जायसवाल के लिए अभी तक दो ही मैच खराब रहे हैं। लीड्स से पहले उन्होंने मेलबर्न में भी ऐसी ही गलतियां की थी।
उन्होंने कहा, "वह वास्तव में एक बेहतरीन गली फील्डर है। इसमें कोई संदेह नहीं है। उसने सिर्फ दो मैच खराब खेले हैं - एक मेलबर्न में और एक लीड्स में। अन्यथा, वह असाधारण रहा है। कानपुर में बांग्लादेश के खिलाफ उसने जो कैच पकड़े, वे बेहतरीन थे। कमेंट्री बॉक्स में बैठकर आलोचना करना आसान है, लेकिन ये चुनौतीपूर्ण परिस्थितियां हैं और उनमें से कई के लिए, यह इस माहौल का पहला अनुभव है।"