Hindi Newsकरियर न्यूज़LU New Education Policy : Many courses departments in Lucknow University approved the revised syllabus for nep

नई शिक्षा नीति : लखनऊ विश्वविद्यालय में कई विभागों ने संशोधित सिलेबस को दी मंजूरी

लखनऊ विश्वविद्यालय स्नातक स्तर पर नई शिक्षा नीति (एनईपी) को लागू करने के लिए एक कदम और आगे बढ़ गया है। इसमें उच्च शिक्षा विभाग की ओर से अनुशंसित विभिन्न पाठ्यक्रमों के सामान्य न्यूनतम पाठ्यक्रम पर...

Pankaj Vijay कार्यालय संवाददाता, लखनऊWed, 19 May 2021 10:11 AM
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नई शिक्षा नीति : लखनऊ विश्वविद्यालय में कई विभागों ने संशोधित सिलेबस को दी मंजूरी

लखनऊ विश्वविद्यालय स्नातक स्तर पर नई शिक्षा नीति (एनईपी) को लागू करने के लिए एक कदम और आगे बढ़ गया है। इसमें उच्च शिक्षा विभाग की ओर से अनुशंसित विभिन्न पाठ्यक्रमों के सामान्य न्यूनतम पाठ्यक्रम पर व्यापक चर्चा हुई। शिक्षा शास्त्र, वाणिज्य और कृषि विभागों ने कुछ सुधार के बाद अध्ययन मंडल से प्रस्तावित अपने पाठ्यक्रम को मंजूरी दे दी है। अन्य विभाग आवश्यक संशोधन, जो अधिकतम 30% तक हो सकता है, के बाद अपने पाठ्यक्रम को मंजूरी देंगे।

यह अहम निर्णय लखनऊ विश्वविद्यालय की शैक्षणिक स्थिति की समीक्षा बैठक के दौरान मंगलवार को लिए गए। यह बैठक विश्वविद्यालय के डीन एकेडमिक्स प्रोफेसर राकेश चंद्र की अध्यक्षता में एक वर्चुअल बैठक बुलाई गई। लखनऊ विश्वविद्यालयों के विभागाध्यक्षों की ओर से ऑनलाइन कक्षाओं की साप्ताहिक रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी। सभी पाठ्यक्रमों की ऑनलाइन कक्षाओं के लिए स्लेट का एकीकरण किया जाएगा। लैबोरेटरी क्लास के लिए नए वर्चुअल प्लेटफॉर्म तलाशे जाएंगे। साथ ही ई-सामग्री को समृद्ध करने के लिए टैगोर पुस्तकालय में नए ई-संसाधन जोड़े जाएंगे। लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय के निर्देशानुसार इस बैठक का आयोजन किया गया है। बैठक के दौरान और भी कई निर्णय लिए गए हैं। सभी लंबित शैक्षणिक मामलों पर कार्रवाई की जाएगी और आगामी विद्वत परिषद की बैठक में रखा जाएगा। ऑनलाइन कक्षाएं 20 मई से शुरू होंगी। बैठक में  डीन, निदेशकों, विभागाध्यक्षों और समन्वयकों ने भाग लिया। 

कॉमन सिलेबस को लागू करने पर बाध्य न करें  
लखनऊ विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (लूटा) के अध्यक्ष प्रो. विनीत वर्मा का कहना है कि विश्वविद्यालय के सभी विभाग समय-समय पर अपना सिलेबस जरूरत के हिसाब से बदलते रहते हैं। यह एक सतत प्रक्रिया है। राज्य सरकार को कॉमन मिनिमम सिलेबस बनाने की जरूरत क्यों है? यह समझ से परे है। नई शिक्षा नीति के भी विरुद्ध है। एनईपी पाठ्यक्रम की विविधता पर जोर देती है। कॉमन सिलेबस विविधता को खत्म करता है। राज्य सरकार द्वारा तैयार करवाए गए पाठ्यक्रम से कुछ विभाग सहमत नहीं है। ऐसे में विभागों को राज्य सरकार द्वारा निर्मित कॉमन सिलेबस को लागू करने के लिए बाध्य नहीं करना चाहिए। छात्रों के भविष्य से जुड़ा मामला है? जल्द बाजी ठीक नहीं।

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