जामिया से की पढ़ाई, UPPCS की रहीं टॉपर; अब सुर्खियों में क्यों हैं SDM निकिता शर्मा?
साल 2018 में UPPCS में 36वीं रैंक लाकर चर्चा में आईं निकिता शर्मा एक बार फिर सुर्खियों में हैं। यूपी लोक निर्माण मंत्री अनिल कुमार ने आरोप लगाया है कि शर्मा ने गैरकानूनी प्लॉटिंग को बढ़ावा दिया है।

SDM Nikita Sharma: उत्तर प्रदेश की प्रशासनिक सेवा में कार्यरत एसडीएम सदर मुजफ्फरनगर, निकिता शर्मा पर राज्य सरकार के ही एक कैबिनेट मंत्री ने जमीन माफियाओं के साथ शामिल होने का आरोप लगाया है। राज्य के लोक निर्माण मंत्री अनिल कुमार ने सीधा आरोप लगाया है कि शर्मा ने जमीन माफियाओं के साथ मिलकर गैरकानूनी प्लॉटिंग को बढ़ावा दिया है, जो योगी सरकार की भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति के बिल्कुल खिलाफ है। इस शिकायत के बाद राज्य सरकार ने जिला अधिकारी उमेश मिश्रा को निर्देश दिया है कि इस मामले की औपचारिक जांच शुरू की जाए। फिलहाल यह जांच जिला स्तर पर जारी है और जल्द ही रिपोर्ट सौंपे जाने की संभावना है।
आरोपों को निकिता शर्मा ने किया खारिज
हालांकि एसडीएम निकिता शर्मा ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, “मुझे न तो कोई शिकायत पत्र मिला है और न ही किसी ने इस मामले में मुझसे संपर्क किया है। ये सब राजनीतिक साजिशें हैं और जनवरी से ही बिना किसी सबूत के अफवाहें उड़ाई जा रही हैं।”
कौन हैं SDM निकिता शर्मा?
निकिता शर्मा ने हरियाणा में जन्म लिया और 31 मार्च 1995 को पैदा हुईं। उन्होंने 2016 में ग्रेजुएशन के अंतिम वर्ष में ही सिविल सेवा की तैयारी शुरू कर दी थी। जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी से फिजिक्स ऑनर्स के बाद उन्होंने जामिया से ही B.Ed भी किया और साल 2018 की उत्तर प्रदेश संघ लोक सेवा आयोग UPPCS की सिविल सेवा परीक्षा में 36वीं रैंक लाकर एसडीएम बनीं। ट्रेनिंग के बाद उन्होंने नौकरी जॉइन की। कुछ साल तक कार्यरत रहने के बाद जुलाई 2023 में उनका तबादला मुजफ्फरनगर हुआ, जहां वे वर्तमान में एसडीएम सदर के रूप में तैनात हैं।
निकिता शर्मा पहले भी रहीं चर्चा में
मई 2025 में उन्होंने सरकारी जमीन पर अवैध कब्जों के खिलाफ बुलडोजर चलवाकर अतिक्रमण हटवाया, जिससे वह फिर से चर्चा में आईं। इस कार्रवाई को जहां कुछ लोगों ने सराहा, वहीं कई हलकों में इसकी आलोचना भी हुई। ये पहला मौका नहीं है जब निकिता शर्मा किसी विवाद में घिरी हों। इससे पहले समाजवादी पार्टी के सांसद हरेंद्र मलिक ने भी उन पर जन शिकायतों पर ध्यान न देने का आरोप लगाते हुए एक पत्र लिखा था, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था और ब्यूरोक्रेसी की जवाबदेही पर सवाल खड़े कर गया था।