सैनिक स्कूल नहीं दे पा रहे क्वालिटी शिक्षा, NDA भेजने में भी हिस्सेदारी कम: महाराष्ट्र सरकार
महाराष्ट्र सरकार ने कहा है कि ऐसे सैनिक स्कूल जो सरकार के पैसों से चल रहे हैं और प्राइवेट संस्थाएं मैनेज कर रही हैं, वहां अच्छी क्वालिटी वाली शिक्षा नहीं दी जा रही। ये स्कूल अपने ज्यादा बच्चों को एनडीए भेजने में विफल रहे हैं।

महाराष्ट्र सरकार ने राज्य में उन 38 सैनिक स्कूलों के कामकाज की समीक्षा के लिए सात सदस्यीय समिति गठित की है, जो सरकारी सहायता से संचालित होते हैं जबकि प्रबंधन निजी संस्थाओं द्वारा किया जाता है। ये स्कूल राज्य की तत्कालीन शिवसेना-भाजपा गठबंधन सरकार द्वारा सितंबर 1995 में लिए गए निर्णय के बाद स्थापित किए गए थे। एक सरकारी प्रस्ताव में शुक्रवार को यह स्पष्ट किया गया कि ये संस्थान अपेक्षित मानक और गुणवत्ता बनाए रखने में विफल रहे हैं।
इसमें कहा गया है, 'इन स्कूलों की अपने छात्रों को राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) में भेजने में हिस्सेदारी बहुत कम है और यह भी पाया गया है कि वे अपने छात्रों को अपेक्षित सैन्य ट्रेनिंग और गाइडेंस नहीं देते हैं।'
समिति वर्तमान नीतियों का मूल्यांकन करेगी तथा परिणामों में सुधार के लिए उपाय प्रस्तावित करेगी। समिति की अध्यक्षता राज्य माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक बोर्ड के छत्रपति संभाजीनगर संभाग के संयुक्त निदेशक करेंगे। महाराष्ट्र में दो सरकारी सैनिक स्कूल हैं, एक सतारा में (1961 में स्थापित) और दूसरा चंद्रपुर में (2019 में शुरू हुआ), इनके अलावा 38 सरकारी सहायता प्राप्त लेकिन निजी तौर पर प्रबंधित सैनिक स्कूल हैं, जिनमें लगभग 12,400 छात्र हैं।