NEET UG : अभ्यर्थियों को 530 अंक तक मिल सकता है एमबीबीएस के लिए सरकारी कॉलेज
MBBS admission : नीट यूजी-2025 का रिजल्ट काफी चौकाने वाला रहा। सात वर्षों में पहला बार ऐसा मौका है जब कोई छात्र 700 अंकों का आंकड़ा पार नहीं कर सका। इस बार कम अंकों पर ही टॉपर चयनित हुए। कम अंकों में टॉपरों का चयन होने से सरकारी मेडिकल कॉलेजों की संभावना बढ़ गई है।

नीट यूजी-2025 का रिजल्ट काफी चौकाने वाला रहा। सात वर्षों में पहला बार ऐसा मौका है जब कोई छात्र 700 अंकों का आंकड़ा पार नहीं कर सका। इस बार कम अंकों पर ही टॉपर चयनित हुए। कम अंकों में टॉपरों का चयन होने से सरकारी मेडिकल कॉलेजों की संभावना बढ़ गई है।
परीक्षा में राजस्थान के हनुमानगढ़ निवासी महेश कोटवानी 720 में से 686 अंक प्राप्त कर टॉपर बने। वहीं दूसरे स्थान पर इंदौर के उत्कर्ष अधित्य रहे, जिन्हें 682 अंक मिले। 2016 के बाद यह पहला मौका है जब टॉपर के अंक 700 से कम रहे हैं। 2016 में भी टॉपर को 685 अंक मिले थे। 2017 से 2024 तक हर साल कोई न कोई छात्र 700 या उससे अधिक अंक लाता रहा है, लेकिन 2025 में यह रुझान टूटा है।
कम अंकों के बावजूद सरकारी कॉलेज की संभावना: नीट यूजी 2025 के नतीजों ने इस बार कई पैमानों पर चौकाया है। एक ओर जहां टॉप स्कोर में गिरावट देखने को मिली, वहीं दूसरी ओर सीटों की उपलब्धता और कटऑफ ट्रेंड के चलते कम अंक लाने वाले छात्रों को भी सरकारी मेडिकल कॉलेज में दाखिले की उम्मीद जगी है। विशेषज्ञों के अनुसार, इस वर्ष सरकारी मेडिकल कॉलेजों की सीटों पर दाखिला 530 अंक तक पहुंच सकता है। पिछले वर्षों की तुलना में यह आंकड़ा 100 अंकों तक नीचे जा सकता है। इसका मुख्य कारण है इस बार टॉप स्कोर न 700 पार कर पाया, न ही 690 के पास पहुंचा। टॉपर को मात्र 686 अंक मिले हैं। इससे मेधा सूची का औसत स्तर नीचे गया है, जिसका लाभ मिड-रेंज स्कोर करने वाले छात्रों को मिलेगा।
दो लाख 200 अंक में सिमटे
नीट यूजी 2025 में पहली बार 144–200 अंकों के बीच के छात्रों का आंकड़ा जारी किया गया है। इस रेंज में करीब दो लाख छात्र शामिल हैं।
70% छात्र आरक्षित वर्ग से
एनटीए द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, चयनित छात्रों में से 70% आरक्षित वर्ग (ओबीसी, एससी, एसटी, ईडब्ल्यूएस) से है। कुल 12.36 लाख चयनित छात्रों में से 8.97 लाख आरक्षित वर्ग से आते हैं।
हिंदी माध्यम में बढ़ा रुझान
हिंदी माध्यम में पंजीयन कराने वाले छात्रों की संख्या में सात वर्षों में 83% की वृद्धि हुई है। 2019 में जहां यह संख्या 1.36 लाख थी, वहीं 2025 में यह बढ़कर 2.5 लाख हो गयी है। ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले छात्रों की हिस्सेदारी भी बढ़ी है।
स्कोर रेंज छात्र संख्या
651–686 73
601–650 12,659
501–600 39,521
401–500 1,02,313
301–400 1,05,555
201–300 1,26,375
144–200 1,98,346
शीर्ष-100 में सबसे ज्यादा 14 छात्र राजस्थान से हैं। जबकि दिल्ली से 15 और महाराष्ट्र से 12 छात्र हैं। वहीं बिहार और झारखंड जैसे प्रमुख राज्यों से इस बार शीर्ष-100 में एक भी छात्र नहीं हैं।
शीर्ष-100 में बिहार से एक भी छात्र नहीं
बिहार और झारखंड का यह प्रदर्शन चौकाने वाला है, क्योंकि पहले इन राज्यों से कम से कम एक छात्र टॉप-100 में रहता था। इस बार एक भी छात्र टॉप-100 में जगह नहीं बना सके। हरियाणा, केरल, गुजरात, तमिलनाडु जैसे राज्यों से भी टॉप-100 में छात्रों की संख्या घटी है।
क्या हैं प्रमुख कारण
टॉपर स्कोर में गिरावट: 2025 में पहली बार कोई भी छात्र 700 अंक तक नहीं पहुंचा। इससे मेरिट के ऊपरी पंक्ति का दबाव कम हुआ
कटऑफ में गिरावट: जनरल कैटेगरी के लिए क्वालिफाइंग कटऑफ 113 रहा, जबकि पिछले वर्ष यह 137 था।