MTech कोर्स की फीस 60 फीसदी घटी, PhD फेलोशिप में भी 20 फीसदी का इजाफा
एमएमएमयूटी ने एमटेक की फीस में बड़ा बदलाव किया है। विवि प्रशासन ने फीस में करीब 60 फीसदी की कटौती कर दी है। फीस की नई दरें इसी सत्र से लागू हो जाएंगी।

यूपी के मदन मोहन मालवीय प्रौद्येगिकी विश्वविद्यालय (एमएमएमयूटी) में तकनीकी शिक्षा से परास्नातक (एमटेक) करने वालों के लिए बड़ी खबर है। विवि प्रशासन ने एमटेक की फीस में बड़ा बदलाव किया है। विवि प्रशासन ने फीस में करीब 60 फीसदी की कटौती कर दी है। फीस की नई दरें इसी सत्र से लागू हो जाएंगी।
विवि प्रशासन ने यह फैसला इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी के स्नातकों की उच्चतर अध्ययन में लगातार घटती रुचि को ध्यान में रखते हुए लिया है। विवि के प्रशासन ने शैक्षणिक सत्र 2025-26 से एमटेक की फीस कम करने का निर्णय लिया गया है।
एमटेक की फीस कम करने के प्रस्ताव को कुलपति प्रो. जेपी सैनी की अध्यक्षता में हुई विद्या परिषद की 38वीं बैठक में मंजूरी मिल गई है। प्रस्ताव को वित्त समिति की आगामी बैठक में मंजूरी के लिए रखा जाएगा। वित्त समिति की मंजूरी के बाद शैक्षणिक सत्र 2025-26 से घटी हुई दरें लागू हो जाएंगी। इससे छात्रों के लिए एमटेक की पढ़ाई सस्ती हो जाएगी।
यह है नया फीस स्ट्रक्चर
नए फीस स्ट्रक्चर में सबसे ज्यादा कटौती शिक्षण शुल्क में की गई है। अब शिक्षण शुल्क 10 हजार रुपये प्रति सेमेस्टर या 20 हजार रुपये वार्षिक होगा। इसके अलावा परीक्षा शुल्क व काशन मनी पांच-पांच हजार, यूजर चार्ज एक हजार, रिसर्च इनिशिएटिव व बस चार्ज 1250-1250 रुपये लगेंगे। हॉस्टल व मेस चार्ज अलग से लगेगा। कैंपस से बाहर रहने वाले छात्रों के लिए बस चार्ज 2500 रुपये लगेंगे। इस प्रकार पहले से लगभग आधी फीस में ही विद्यार्थी एमटेक की पढ़ाई कर सकेंगे। इस निर्णय से आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों से आने वाले छात्रों की काफी राहत मिलेगी।
यह था एमटेक का पुराना फीस स्ट्रक्चर
पिछले वर्ष तक एमटेक का शिक्षण शुल्क ही 60 हजार रुपये था। अन्य सभी मद मिलाकर कुल वार्षिक फीस एक लाख 20 हजार रुपये थी, जिसमें हॉस्टल एवं मेस फीस शामिल नहीं था। कैंपस के बाहर रहने वाले छात्रों के लिए फीस एक लाख 22 हजार 500 रुपये थी।
तीन सदस्यीय समिति ने की थी अनुशंसा
बीते कई वर्षों से विवि के एमटेक पाठ्यक्रमों में टेक्निकल ग्रेजुएट्स का रुझान कम हुआ था। एमटेक की सीट खाली रह जाती। इसके कारण अच्छे शोध छात्र मिलने में विश्वविद्यालय को कठिनाई हो रही थी। अधिकांश विश्वविद्यालयों में एमटेक के बाद ही पीएचडी में प्रवेश मिलता है। इस को ध्यान रखते हुए एमएमएमयूटी ने तीन सदस्यीय समिति गठित की थी। जिसमें प्रो. जीउत सिंह, प्रो. वीके द्विवेदी एवं प्रो. प्रभाकर तिवारी शामिल रहे। समिति ने पाया कि इंजीनियरिंग स्नातकों को बीटेक के आधार पर ही नौकरी मिल जाती है। जो छात्र इंजीनियरिंग में परास्नातक डिग्री पूरी भी करते हैं। उन्हें अपनी परास्नातक डिग्री का कोई विशेष लाभ प्लेसमेंट में नहीं मिलता है। समिति ने यह भी पाया कि एमएमएमयूटी की एमटेक की फीस कई आईआईटी से ज्यादा है। इसको ध्यान में रखते हुए समिति ने फीस घटाने की संस्तुति की थी।