DU एडमिशन फॉर्म में ‘मुस्लिम’ को बना दिया मातृभाषा, उर्दू हुई गायब, खूब मचा बवाल
DU एडमिशन फॉर्म में 'मुस्लिम' को भाषा के तौर पर दिखाने और उर्दू की गैर-मौजूदगी से बवाल मच गया है। इस पर सफाई देते हुए यूनिवर्सिटी ने इसे टाइपिंग मिस्टेक करार दिया है।

दिल्ली यूनिवर्सिटी फिर एक नई उलझन में फंस गई है। इस बार मामला उसके अंडरग्रेजुएट एडमिशन फॉर्म में ‘मुस्लिम’ को मातृभाषा के तौर पर दिखाने और उर्दू का नाम गायब कर देने को लेकर है। जैसे ही इस गलती के स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर सामने आए, लोगों में नाराजगी की लहर दौड़ गई। कई लोगों ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई। बढ़ते विवाद के बाद यूनिवर्सिटी ने सफाई दी और कहा कि ये सिर्फ एक टाइपिंग की गलती थी, जानबूझकर नहीं किया गया था।
दिल्ली यूनिवर्सिटी ने क्या दी सफाई
यूनिवर्सिटी ने अपने बयान में कहा, “दिल्ली विश्वविद्यालय को इस अनजाने में हुई त्रुटि पर खेद है। हम आपकी चिंताओं को स्वीकार करते हैं और उन्हें सुधारने के लिए प्रतिबद्ध हैं। कृपया इस गलती को कोई साजिश या दुर्भावना मानने से बचें। हमारी विविधता और समरसता को बनाए रखना हम सबकी ज़िम्मेदारी है।”
हालांकि, यूनिवर्सिटी की सफाई के बावजूद विवाद थमता नहीं दिख रहा। दिल्ली यूनिवर्सिटी की एडमिशन वेबसाइट कुछ समय के लिए बंद कर दी गई थी और बाद में उसे सुधारकर दोबारा चालू किया गया, जिसमें अब उर्दू भाषा को जोड़ दिया गया है। लेकिन अब यह सवाल उठाया जा रहा है कि क्या यह सच में सिर्फ एक तकनीकी चूक थी या फिर किसी गहरी सोच का नतीजा?
पूर्व कार्यकारी परिषद सदस्य आभा देव हबीब ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “यह सिर्फ एक मासूम सी गलती नहीं है। धर्म को भाषा से जोड़ना न सिर्फ अज्ञानता है, बल्कि सांप्रदायिक सोच को भी उजागर करता है।”
लोगों ने जताई नाराजगी
इसी तरह दिल्ली यूनिवर्सिटी के कई अन्य विभागों के फैकल्टी सदस्यों ने इस घटना को संस्थान की नीतिगत साख पर सवाल उठाने वाला बताया। कार्यकारी परिषद के सदस्य डॉ. मिथुराज धूसिया ने कहा, “ऐसी गलतियां यूनिवर्सिटी की समावेशी छवि को नुकसान पहुंचाती हैं। उर्दू केवल एक भाषा नहीं, बल्कि भारत की साहित्यिक और सांस्कृतिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा है।”
किरोरी मल कॉलेज के प्रोफेसर रुद्राशीष चक्रवर्ती ने भी चिंता जताई और कहा, “'मुस्लिम' को भाषा की तरह दिखाना भारत की सबसे बड़ी अल्पसंख्यक आबादी को गलत तरीके से पेश करने का प्रयास है। उर्दू एक धर्मनिरपेक्ष भाषा है जिसे सभी धर्मों के लोग बोलते हैं।”