रूस से बड़ी डील की तैयारी में मुकेश अंबानी, तेल के कारोबार में बढ़ेगा रिलायंस का दबदबा!
रूस की दिग्गज कंपनी पीजेएससी रोसनेफ्ट ऑयल कंपनी नायरा एनर्जी में अपनी 49.13 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने के लिए रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ शुरुआती बातचीत कर रही है।

रूस की दिग्गज कंपनी पीजेएससी रोसनेफ्ट ऑयल कंपनी नायरा एनर्जी में अपनी 49.13 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने के लिए रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ शुरुआती बातचीत कर रही है। सूत्रों ने यह जानकारी दी। नायरा एनर्जी भारत में दो करोड़ टन सालाना क्षमता वाली तेल रिफाइनरी और 6,750 पेट्रोल पंप का परिचालन करती है।
क्या है डिटेल
रिलायंस ने नायरा के अधिग्रहण के लिए शुरुआती बातचीत की है, जिससे उसे पब्लिक सेक्टर की इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) को पछाड़कर भारत की नंबर एक तेल रिफाइनरी बनने में मदद मिलेगी। साथ ही इससे उसे ईंधन विपणन क्षेत्र में एक सार्थक उपस्थिति में भी मिलेगी। हालांकि, मामले की प्रत्यक्ष जानकारी रखने वाले तीन सूत्रों ने बताया कि बातचीत अभी शुरुआती चरण में है और इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि यह किसी निश्चित सौदे पर पहुंचेगी, क्योंकि मूल्यांकन अब भी एक पेचीदा आधार बना हुआ है। पिछले एक साल में रोसनेफ्ट के शीर्ष अधिकारियों ने संभावित निवेशकों से बातचीत के लिए अहमदाबाद और मुंबई सहित कम से कम तीन बार भारत का दौरा किया है।
क्या है वजह
पश्चिमी प्रतिबंधों के कारण नायरा से बाहर निकलने पर विचार कर रही रोसनेफ्ट के लिए संभावित खरीदार वह हो सकता है जिसकी विदेशों में पर्याप्त कमाई हो या जो एक अंतरराष्ट्रीय कंपनी हो, दोनों ही हिस्सेदारी के लिए क्विक विदेशी भुगतान कर सकते हैं। पश्चिमी प्रतिबंध भारत के परिचालन से पूरी कमाई को वापस लाने की इसकी क्षमता को सीमित करते हैं। सूत्रों ने बताया कि ईंधन का बड़ा निर्यातक होने के कारण रिलायंस की विदेशों से अच्छी खासी आय होती है। हालांकि, प्रतिक्रिया के लिए रोसनेफ्ट को भेजे गए ईमेल का जवाब नहीं मिला, लेकिन रिलायंस के प्रवक्ता ने कहा, “नीति के अनुसार, हम मीडिया की अटकलों और अफवाहों पर टिप्पणी नहीं करते हैं।” प्रवक्ता ने कहा, “हमारी कंपनी निरंतर आधार पर विभिन्न अवसरों का मूल्यांकन करती है। हमने भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सूचीबद्धता दायित्व और प्रकटीकरण आवश्यकताएं) विनियम 2015 और शेयर बाजारों के साथ हमारे समझौतों के तहत अपने दायित्वों के अनुपालन में आवश्यक खुलासे किए हैं और करते रहेंगे।”
रोसनेफ्ट ने 2017 में 12.9 अरब डॉलर के सौदे में एस्सार ऑयल का अधिग्रहण किया था। रोसनेफ्ट अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के कारण अपनी भारतीय परिचालन से पूर्ण वित्तीय लाभ प्राप्त करने में असमर्थ है, जिसमें आय वापस करना भी शामिल है। बाद में एस्सार ऑयल का नाम बदलकर नायरा एनर्जी कर दिया गया। रूसी दिग्गज ने 2024 में किसी समय नायरा से बाहर निकलने का फैसला किया और संभावित खरीदारों की तलाश शुरू कर दी। रोसनेफ्ट के साथ-साथ, एक प्रमुख रूसी वित्तीय फर्म यूसीपी इन्वेस्टमेंट ग्रुप भी नायरा में अपनी 24.5 प्रतिशत हिस्सेदारी बेच रही है।
उन्होंने कहा कि नायरा के बाकी स्वामित्व में ट्रैफिगुरा ग्रुप (24.5 प्रतिशत) और खुदरा शेयरधारकों का एक समूह शामिल है। अगर सौदा हो जाता है, तो ट्रैफिगुरा भी उन्हीं शर्तों पर कुछ महीनों के भीतर उद्यम से बाहर निकल सकती है। रोसनेफ्ट और यूसीपी की हिस्सेदारी रिलायंस इंडस्ट्रीज, अडानी समूह, सऊदी अरामको और सरकारी स्वामित्व वाली ओएनजीसी/आईओसी गठबंधन सहित अन्य को पेश की गई थी। लेकिन रोसनेफ्ट ने नायरा के लिए जो 20 अरब डॉलर का मूल्यांकन किया था, उसे लगभग हर संभावित निवेशक ने बहुत ज़्यादा कीमत माना। अडानी समूह ने तेल रिफाइनरी में निवेश करने के प्रस्ताव को विनम्रता से अस्वीकार कर दिया, जिसे दुनिया भर में नियोजित ऊर्जा परिवर्तन को देखते हुए एक डूबता कारोबार माना जाता है।