भारतीय रिजर्व बैंक के नए नियमों से गोल्ड लोन का व्यापार मॉडल बदलेगा
गोल्ड लोन पर भारतीय रिजर्व बैंक के नए नियमों से देश के तेजी से बढ़ते ऋण क्षेत्र में व्यापार मॉडल में बदलाव आने की संभावना होगी। एसएंडपी का मानना है कि इस बदलाव के बावजूद, कंपनियों के बीच मुकाबला काम करने की तेजी और ग्राहकों को बेहतर सेवा देने पर ही टिका रहेगा।

एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने कहा है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के सोने के गिरवी रखकर लोन देने के नए नियमों से कंपनियों के कारोबार करने के तरीके में बदलाव आएगा। अब 2.5 से 5 लाख रुपये तक के लोन पर सोने की कीमत का अधिकतम 80% ही लोन दिया जा सकेगा, जबकि 5 लाख से ज्यादा के लोन के लिए यह सीमा 75% कर दी गई है। इन नियमों को लागू करने के लिए कंपनियों के पास 1 अप्रैल, 2026 तक का समय है। एसएंडपी का मानना है कि इस बदलाव के बावजूद, कंपनियों के बीच मुकाबला "काम करने की तेजी" और "ग्राहकों को बेहतर सेवा" देने पर ही टिका रहेगा।
कंपनियों को नई चुनौतियां
एसएंडपी की विश्लेषक गीता चुघ ने बताया कि ऐसी वित्तीय कंपनियों को अब सिर्फ सोने की कीमत पर भरोसा नहीं करना चाहिए। उन्हें यह भी जाँचना होगा कि जिसे लोन दिया जा रहा है, उसकी आमदनी कितनी है और क्या वह लोन चुका पाएगा। इसके लिए कंपनियों को नए कर्मचारी नियुक्त करने होंगे और उन्हें ट्रेनिंग देनी होगी, जिसमें पैसा और मेहनत दोनों लगेंगे।
सोना 150 रुपये टूटा, चांदी भी रिकॉर्ड स्तर से फिसली
अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बहुमूल्य धातुओं की कीमतों में गिरावट के बीच गुरुवार को राष्ट्रीय राजधानी के सर्राफा बाजार में सोने की कीमत 150 रुपये टूटकर 1,00,560 रुपये प्रति 10 ग्राम रह गई। पिछले कारोबारी सत्र में 99.9 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना 1,00,710 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था।
इसके अलावा, चांदी की कीमत भी रिकॉर्ड स्तर से 1,000 रुपये की गिरावट के साथ 1,07,200 रुपये प्रति किलोग्राम (सभी करों सहित) रह गई। बुधवार को चांदी की कीमत 1,08,200 रुपये प्रति किलोग्राम के ऑल टाइम हाई पर पहुंच गई थी।
क्यों गिरे सोना-चांदी
जानकारों ने कहा, फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों को 4.25-4.50 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने के निर्णय के बाद अमेरिकी डॉलर में मजबूती के कारण सोने की कीमतें 3,390 डॉलर प्रति औंस से नीचे चली गईं। अमेरिकी फेडरल रिजर्व के नीतिगत रुख पर बाजार की प्रतिक्रिया के कारण सोने में उतार-चढ़ाव रहा, जिसने तत्काल ब्याज दरों में कटौती नहीं करने का संकेत दिया। फेडरल रिजर्व के आक्रामक रुख के बावजूद, ईरान और इजरायल के बीच चल रहा भू-राजनीतिक तनाव सोने को सुरक्षा प्रदान करता है।