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पेट्रोल-डीजल होगा महंगा? क्रूड ऑयल के दाम बढ़ने से बढ़ी टेंशन, सरकार कर रही है निगरानी

ईरान की संसद ने अमेरिकी हमलों के जवाब में स्ट्रेट ऑफ होर्मुज को बंद करने की मंजूरी दे दी है। दुनिया के कच्चे तेल की सप्लाई का लगभग पांचवां हिस्सा इसी समुद्री मार्ग से होकर गुजरता है। इस बीच, वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में भारी बढ़ोतरी हुई।

Varsha Pathak लाइव हिन्दुस्तानMon, 23 June 2025 04:21 PM
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पेट्रोल-डीजल होगा महंगा? क्रूड ऑयल के दाम बढ़ने से बढ़ी टेंशन, सरकार कर रही है निगरानी

Petrol Diesel Price: मिडिल ईस्ट टेंशन के बीच अमेरिका द्वारा ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर हमले के बाद सभी की निगाहें कच्चे तेल की कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव पर टिकी हैं। विदेशी मीडिया के अनुसार, ईरान की संसद (जिसे मजलिस के नाम से जाना जाता है) ने अमेरिकी हमलों के जवाब में स्ट्रेट ऑफ होर्मुज को बंद करने की मंजूरी दे दी है। दुनिया के कच्चे तेल की सप्लाई का लगभग पांचवां हिस्सा इसी समुद्री मार्ग से होकर गुजरता है। इस बीच, वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में 2% से अधिक की बढ़ोतरी हुई। क्रूड ऑयल के दाम बढ़कर 80 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंच गए हैं। ऐसे में अगर स्ट्रेट ऑफ होर्मुज बंद होता है तो इसका असर भारत पेट्रोल-डीजल के दाम पर पड़ेगा और पेट्रोल-डीजल के भाव बढ़ सकते हैं। बता दें कि स्ट्रेट ऑफ होर्मुज तेल कारोबार का अहम रास्ता है। इसी रास्ते से होकर सऊदी अरब, कुवैत, कतर और इराक जैसे देशों से तेल के टैंकर दुनियाभर में पहुंचते हैं। भारत का भी 40% से ज्यादा तेल इसी रास्ते आता है। ऐसे में अगर ये बंद होता तो तेल की सप्लाई में रुकावट आ सकती है।

सरकार की है पैनी नजर

बता दें कि भारत का वित्त मंत्रालय कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के व्यापक आर्थिक प्रभाव पर बारीकी से नजर रख रहा है। मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, अधिकारी तेल मंत्रालय के साथ नियमित चर्चा कर रहे हैं, जो वैकल्पिक आयात मार्गों को सुरक्षित करने और निर्बाध ईंधन आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहा है। इधर, तेल मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि भारत के पास कई हफ्तों की मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त भंडार है और विविध चैनलों के ज़रिए ऊर्जा शिपमेंट प्राप्त करना जारी है। रूस, अमेरिका और ब्राजील से बढ़ते आयात का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में, हमने स्ट्रेट ऑफ होर्मुज पर अपनी निर्भरता को काफी कम कर दिया है।" हालांकि, कच्चे तेल की कीमतों में तेज उछाल भारतीय रुपये पर दबाव बढ़ा रहा है। करेंसी 86.58 रुपये से कमजोर होकर 86.80-86.90 रुपये प्रति अमेरिकी डॉलर पर आ गई है, जो दो महीने से अधिक समय में इसका सबसे निचला स्तर है। गैर-डिलीवरी योग्य फॉरवर्ड आगे और गिरावट की उम्मीदों का संकेत देते हैं।

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3 सप्ताह के लिए पर्याप्त तेल स्टॉक

पुरी के अनुसार, भारत में प्रतिदिन खपत होने वाले 5.5 मिलियन बैरल कच्चे तेल में से लगभग 1.5-2 मिलियन बैरल स्ट्रेट ऑफ होर्मुज से आता है। मंत्री ने कहा, "हम अन्य मार्गों से लगभग 4 मिलियन बैरल तेल आयात करते हैं।" उन्होंने आगे कहा कि अधिकांश तेल विपणन कंपनियों के पास अगले तीन सप्ताह के लिए पर्याप्त तेल स्टॉक है। उन्होंने एएनआई से कहा, "हम अन्य मार्गों से कच्चे तेल की आपूर्ति बढ़ा सकते हैं... हम सभी संभावित हितधारकों के संपर्क में हैं... इस मामले में चिंता की कोई बात नहीं है।"

भारतीय रिफाइनर को चुकानी पड़ेगी अधिक कीमत!

इधर, उद्योग सूत्रों ने बताया कि स्ट्रेट ऑफ होर्मुज में बढ़ते तनाव के कारण भारतीय रिफाइनर को अगस्त में रूसी तेल की आपूर्ति के लिए अधिक कीमत चुकानी पड़ सकती है। होर्मुज भारत के कच्चे तेल के आयात का लगभग 40 प्रतिशत और एलएनजी आपूर्ति का आधे से अधिक हिस्सा है। ईरान की नाकेबंदी के खतरे ने शिपिंग लागत पर दबाव बढ़ा दिया है और मध्य पूर्वी तेल की वैश्विक आपूर्ति को कड़ा कर दिया है, जिससे रिफाइनर रूसी कच्चे तेल पर कम छूट के लिए तैयार हो गए हैं।एक सरकारी स्वामित्व वाली रिफाइनर के कारोबारी ने बताया कि भारतीय रिफाइनरियों ने इस सप्ताह रूसी आपूर्तिकर्ताओं के साथ अगस्त-लोडिंग कच्चे तेल के लिए बातचीत शुरू कर दी है, जो आमतौर पर डिलीवरी से 45 दिन पहले की जाती है।

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