Hindi Newsबिज़नेस न्यूज़Ongoing geopolitical tensions not to put significant pressure on rupee inflation says S P economist

ग्लोबल टेंशन का असर भारत पर ... दिग्गज अर्थशास्त्री ने इकोनॉमी पर कही यह बात

एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने मंगलवार को यह बात कही। एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स की अर्थशास्त्री विश्रुत राणा ने कहा कि भारत के लिए एक बड़ी राहत वाला कारक यह है कि ऊर्जा की कीमतें अब भी पिछले वर्ष की तुलना में कम हैं।

Varsha Pathak भाषाTue, 24 June 2025 01:08 PM
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ग्लोबल टेंशन का असर भारत पर ... दिग्गज अर्थशास्त्री ने इकोनॉमी पर कही यह बात

Indian Economy: मौजूदा भू-राजनीतिक तनाव से रुपये या मुद्रास्फीति पर 'काफी दबाव' पड़ने के आसार नहीं है, क्योंकि ग्लोबल एनर्जी कीमतें पिछले साल की तुलना में कम हैं जिससे चालू खाता निकासी और घरेलू ऊर्जा मूल्य दबाव सीमित हो जाएगा। एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने मंगलवार को यह बात कही। एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स की अर्थशास्त्री विश्रुत राणा ने कहा कि भारत के लिए एक बड़ी राहत वाला कारक यह है कि ऊर्जा की कीमतें अब भी पिछले वर्ष की तुलना में कम हैं। एक वर्ष पहले ब्रेंट कच्चे तेल का भाव करीब 85 डॉलर प्रति बैरल था और वर्तमान कीमतें अब भी कम हैं।

क्या है डिटेल

राणा ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ इससे चालू खाते से धन निकासी और घरेलू ऊर्जा मूल्य दबाव दोनों को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। ऊर्जा की कीमतों में मामूली वृद्धि हो सकती है, लेकिन खाद्य कीमतों के बढ़ने से मुद्रास्फीति पर अधिक प्रभाव पड़ेगा। कुल मिलाकर, हमें भारतीय रुपये या मुद्रास्फीति पर कोई खास दबाव पड़ने के आसार नजर नहीं आते।’’

इजराइल और ईरान के संघर्ष विराम की घोषणा

बता दें कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इजराइल और ईरान के संघर्ष विराम पर सहमत होने की घोषणा के बाद बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड की कीमतें फिसलकर करीब 69 डॉलर प्रति बैरल पर आ गईं। इजराइल और ईरान के बीच पिछले 12 दिन से युद्ध जारी है। अमेरिका भी ईरान के तीन सबसे महत्वपूर्ण परमाणु केंद्रों पर सैन्य हमले करके युद्ध में शामिल हो गया है।

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भारत अपनी 85 प्रतिशत से अधिक कच्चे तेल और लगभग आधी प्राकृतिक गैस की आवश्यकता को आयात करता है। तेल आयात का 40 प्रतिशत से अधिक और गैस आयात का आधा हिस्सा पश्चिम एशिया से आता है। एसएंडपी का अनुमान है कि 2025 में मुद्रास्फीति औसतन चार प्रतिशत रहेगी, जो 2024 में 4.6 प्रतिशत से कम है। इसने अनुमान लगाया है कि 2025 के अंत तक रुपया 87.5 प्रति डॉलर तक कमजोर हो सकता है जो 2024 के अंत तक 86.6 प्रति डॉलर था। राणा ने कहा कि मौजूदा भू-राजनीतिक तनाव के कारण वैश्विक वित्तीय बाजारों में जोखिम से बचने की प्रवृत्ति बढ़ने से रुपये में अस्थिरता आ सकती है। इसके अलावा तेल की ऊंची कीमतें भारत के चालू खाता निकासी को बढ़ा सकती हैं और भारतीय रुपये को कमजोर कर सकती हैं।

जीडीपी पर क्या बोले राणा

सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि पर संघर्ष के प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर राणा ने कहा कि विश्व की वृद्धि संभावनाओं पर इसका प्रभाव फिलहाल मामूली है, लेकिन लंबे समय तक भू-राजनीतिक तनाव जारी रहा तो यह चिंता का विषय बन सकता है। सामान्य मानसून, कच्चे तेल की कम कीमतों और मौद्रिक नरमी को देखते हुए एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने चालू वित्त वर्ष 2025-26 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के अनुमान को बढ़ाकर मंगलवार को 6.5 प्रतिशत कर दिया।

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