खाड़ी देशों में पहली बार ओमान लगाएगा इनकम टैक्स, दायरे में कौन लोग आएंगे
ओमान की अर्थव्यवस्था आज भी तेल और गैस पर निर्भर है। देश की 85% सरकारी आमदनी सिर्फ इन्हीं से आती है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल के दाम घटने-बढ़ने से ओमान की अर्थव्यवस्था हिल जाती है। इस निर्भरता को कम करने के लिए ओमान ने यह कदम उठाया है।

ओमान ने एक बड़ा ऐलान किया है। वह खाड़ी देशों के समूह (GCC) में पहला ऐसा देश बन गया है, जो नागरिकों पर इनकम टैक्स लगाएगा। यह फैसला 23 जून 2025 को रॉयल डिक्री यानी शाही फरमान के जरिए जारी किया गया। नया टैक्स साल 2028 से लागू होगा और सिर्फ उन लोगों को देना होगा, जो सालाना 1.09 लाख डॉलर (करीब 9 करोड़ रुपये) से ज्यादा कमाते हैं। ये ओमान के टॉप 1% अमीर लोग होंगे।
क्यों लगा रहा है टैक्स?
पीटीआई की खबर के मुताबिक ओमान की अर्थव्यवस्था आज भी तेल और गैस पर निर्भर है। देश की 85% सरकारी आमदनी सिर्फ इन्हीं से आती है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल के दाम घटने-बढ़ने से ओमान की अर्थव्यवस्था हिल जाती है। इस निर्भरता को कम करने के लिए ओमान ने यह कदम उठाया है। अर्थव्यवस्था मंत्री सईद बिन मोहम्मद अल-सकरी के मुताबिक, यह टैक्स "तेल से होने वाली आमदनी के बदले एक नया स्रोत बनेगा और देश को तेल बाजार के उतार-चढ़ाव से बचाएगा"।
सामाजिक सुरक्षा
टैक्स के नियम कुछ इस तरह बनाए गए हैं कि आम लोगों पर बोझ न पड़े। शिक्षा, स्वास्थ्य, दान, जकात (धार्मिक कर) और पहला घर खरीदने जैसे खर्चों पर टैक्स में छूट मिलेगी। सरकार का कहना है कि इससे सामाजिक स्थिरता बनी रहेगी और लोगों की जिंदगी पर असर नहीं पड़ेगा।
खाड़ी देशों पर क्या असर पड़ेगा?
अब तक खाड़ी देश इनकम टैक्स-फ्री थे, जिस वजह से वहां दुनियाभर के कुशल कामगार काम करने आते थे। ओमान का यह फैसला एक ऐतिहासिक बदलाव है। इंटरनेशनल मॉनिटरिंग फंड (IMF) पहले ही कह चुका है कि आने वाले सालों में दूसरे खाड़ी देश भी टैक्स लगा सकते हैं। हालांकि, अभी यह साफ नहीं है कि ओमान के बाद कौन सा देश ऐसा करेगा।
ओमान की योजना 2040
यह टैक्स ओमान की बड़ी योजना "विजन 2040" का हिस्सा है। इसके तहत ओमान तेल पर निर्भरता घटाकर टेक्नोलॉजी और नॉन-ऑयल सेक्टर को बढ़ावा देना चाहता है। साल 2020 से ही ओमान सरकारी कर्ज घटाने और नई आमदनी के स्रोत तलाशने में जुटी है। टैक्स से मिलने वाला पैसा अस्पतालों, सड़कों और शिक्षा जैसी जनसुविधाओं पर खर्च किया जाएगा।
विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
एक्सपर्ट्स का मानना है कि ओमान का यह फैसला साहसिक और जरूरी है। अबू धाबी कमर्शियल बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री मोनिका मलिक कहती हैं, "हालांकि यह टैक्ट सिर्फ कुछ लोगों पर लगेगा, लेकिन यह पूरे खाड़ी क्षेत्र में आर्थिक सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम है।" उनका मानना है कि अगले कुछ सालों में दूसरे देश भी ओमान के नक्शेकदम पर चल सकते हैं।"