NATO का बड़ा फैसला, भारत की इन कंपनियों के शेयर बने रॉकेट, खरीदने की लूट
इनक्रेड इक्विटीज की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2022-23 से 2023-24 तक निर्यात में 32.5 प्रतिशत की वृद्धि के आधार पर, रक्षा निर्यात को 2028-29 तक 5 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। रक्षा निर्यात में निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी बढ़कर 62 प्रतिशत हो गई है।

Defence Stocks: घरेलू डिफेंस कंपनियों के शेयर आज गुरुवार को कारोबार के दौरान फोकस में हैं। डिफेंस कंपनी के शेयरों में गुरुवार, 26 जून को तेजी देखी गई। भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड से लेकर हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड, सोलर इंडस्ट्रीज इंडिया लिमिटेड, अपोलो माइक्रो सिस्टम्स लिमिटेड समेत शेयर पॉजिटिव हैं और शुरुआती कारोबार में इन शेयरों में 2% तक की तेजी दर्ज की गई है। शेयरों में तेजी के पीछे एक पॉजिटिव खबर है। आइए जानते हैं डिटेल में...
क्या है योजना
उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO) के सहयोगियों ने 2035 तक अपने रक्षा खर्च को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के पांच प्रतिशत तक बढ़ाने की योजना बनाई है। नाटो लीडर्स ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कड़े दबाव के बाद जीडीपी के दो प्रतिशत से पांच प्रतिशत तक की भारी बढ़ोतरी पर सहमति जताई और हमला होने पर एक-दूसरे की मदद करने के लिए अपनी 'अडिग प्रतिबद्धता' व्यक्त की। 32 नाटो नेताओं ने अंतिम शिखर सम्मेलन के बयान में कहा, “सहयोगी देश 2035 तक रक्षा और सुरक्षा संबंधी व्यय के साथ-साथ मुख्य रक्षा आवश्यकताओं पर सालाना जीडीपी का 5 प्रतिशत निवेश करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, ताकि हमारे व्यक्तिगत और सामूहिक दायित्व सुनिश्चित हो सकें।'
क्या है रिपोर्ट
वित्त वर्ष 2016 से भारतीय फर्मों से रक्षा निर्यात में 13 गुना वृद्धि हुई है, क्योंकि प्राइवेट सेक्टर के निर्यात में 67 गुना वृद्धि हुई है और घरेलू खरीद हिस्सेदारी बढ़कर 75 प्रतिशत हो गई है, जिसमें वृद्धि के लिए काफी गुंजाइश है। इनक्रेड इक्विटीज की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2022-23 से 2023-24 तक निर्यात में 32.5 प्रतिशत की वृद्धि के आधार पर, रक्षा निर्यात को 2028-29 तक 5 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। रक्षा निर्यात में निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी 2016-17 में 13 प्रतिशत से बढ़कर 2023-24 में 62 प्रतिशत हो गई है। कुल रक्षा निर्यात 46 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर से आसमान छू रहा है, जो 2023-24 में 21,100 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है, जो 85 से अधिक देशों को निर्यात की गई मिसाइलों, रडार और बख्तरबंद वाहनों जैसी वस्तुओं से प्रेरित है।
ब्रोकरेज की राय
ब्रोकरेज ने कहा कि वैश्विक रक्षा निर्यात बाजार में भारत की उपस्थिति कम है, 2020-24 में वैश्विक निर्यात में इसका योगदान मात्र 0.2 प्रतिशत है। 2019-23 में वैश्विक आयात में 9.8 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ दुनिया का सबसे बड़ा हथियार आयातक होने के बावजूद, भारत की निर्यात क्षमताएं अविकसित बनी हुई हैं। भारत ने 41 देशों को निर्यात किया, जिसमें अमेरिका, फ्रांस और आर्मेनिया जैसे प्रमुख प्राप्तकर्ता शामिल हैं, जिसमें अक्सर रडार सिस्टम, छोटे हथियार या सह-उत्पादन परियोजनाओं के लिए समर्थन जैसे विशिष्ट उपकरण शामिल होते हैं।
इसके अलावा, सरकार स्वदेशी उत्पादन पर ध्यान केंद्रित कर रही है, जिसे रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों का समर्थन प्राप्त है और निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ रही है तथा नीतियों का लक्ष्य आयात निर्भरता को कम करना और रक्षा निर्यात को बढ़ावा देना है, जो रक्षा क्षेत्र के शेयरों के लिए सकारात्मक है।