एटीएम या UPI से भी निकलेगा पीएफ का पैसा, ₹5 लाख हो गई लिमिट, कौन कर सकेगा आवेदन, समझें
ईपीएफओ से जुड़े कर्मचारी जल्द ही एटीएम या यूपीआई जैसे अन्य तरीकों से अपने कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) खाते से निकासी कर सकेंगे। इसकी लिमिट 5 लाख रुपये हो गई है। आइए जानते हैं कि कौन लोग इसके लिए आवेदन कर सकेगा।

EPFO News: रिटायरमेंट फंड का मैनेजमेंट करने वाले निकाय ईपीएफओ ने अपने सब्सक्राइबर्स को बड़ी सुविधा दी है। अब ईपीएफओ से जुड़े कर्मचारी जल्द ही एटीएम या यूपीआई जैसे अन्य तरीकों से अपने कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) खाते से निकासी कर सकेंगे। इसकी लिमिट 5 लाख रुपये हो गई है। हालांकि, इसके लिए उन्हें अपने बैंक खातों को ईपीएफ से जोड़ना होगा।
क्या है सरकार का प्लान
न्यूज एजेंसी पीटीआई सूत्रों के मुताबिक श्रम मंत्रालय एक ऐसी परियोजना पर काम कर रहा है, जिसमें ईपीएफ का एक निश्चित हिस्सा रोक लिया जाएगा और एक बड़ा हिस्सा यूपीआई या एटीएम डेबिट कार्ड जैसे विभिन्न तरीकों से निकाला जा सकेगा। सूत्र ने यह भी कहा कि इस प्रणाली को लागू करने में कुछ सॉफ्टवेयर चुनौतियां हैं, जिन्हें हल किया जा रहा है। इस समय कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के सदस्यों को ऑनलाइन अपने ईपीएफ निकासी क्लेम के लिए आवेदन करना पड़ता है, जिसमें समय लगता है।
कोविड काल में हुई थी शुरुआत
दरअसल, कोविड काल के दौरान एक लाख रुपये तक के एडवांस क्लेम के लिए ऑटो सेंटलमेंट की सुविधा शुरू की गई थी जिसे अब 5 लाख रुपये तक बढ़ा दिया गया है। इससे लाखों अंशधारकों को लाभ होगा। सात करोड़ से अधिक सदस्यों वाले ईपीएफओ ने कोविड के समय वित्तीय मुश्किलों का सामना कर रहे कर्मचारियों को त्वरित सहायता देने के मकसद से पहली बार ऑनलाइन ऑटो-सैटलमेंट व्यवस्था शुरू की थी।
इसके बाद से इस सुविधा के तहत बीमारी, शिक्षा, विवाह और आवास उद्देश्यों के लिए एडवांस क्लेम को भी लाया गया था। कहने का मतलब है कि इस तरह की किसी भी जरूरतों के लिए क्लेम किया जा सकेगा।
2024-25 में 2.34 करोड़ सैटलमेंट
वित्त वर्ष 2024-25 में ईपीएफओ ने ऑटो-सैटलमेंट के जरिये रिकॉर्ड 2.34 करोड़ के एडवांस क्लेम का निपटारा किया। यह वित्त वर्ष 2013-14 में निपटाए गए 89.52 लाख दावों की तुलना में 161 प्रतिशत अधिक है। पिछले वित्त वर्ष में सभी एडवांस क्लेम में से 59 प्रतिशत ऑटो-सैटलमेंट व्यवस्था के जरिये निपटाए गए जबकि वित्त वर्ष 2023-24 में यह आंकड़ा 31 प्रतिशत था।