2 टुकड़ों में बंटने वाला है डिफेंस कंपनी का यह शेयर, डिविडेंड भी देगी कंपनी, शेयर खरीदने की लूट
कंपनी ने कहा है कि उसे इक्विटी शेयरों के उप-विभाजन या स्टॉक विभाजन के लिए शेयरधारकों की मंजूरी मिल गई है। पारस डिफेंस द्वारा यह पहला स्टॉक विभाजन है।

Paras Defence stock: डिफेंस इंजीनियरिंग कंपनी पारस डिफेंस स्टॉक के शेयर आज मंगलवार को कारोबार के दौरान फोकस में हैं। कंपनी के शेयर आज 2% तक चढ़कर 1638 रुपये के इंट्रा डे हाई पर पहुंच गए। शेयरों में इस तेजी के पीछे एक ऐलान है। दरअसल, कंपनी ने कहा है कि उसे इक्विटी शेयरों के उप-विभाजन या स्टॉक विभाजन के लिए शेयरधारकों की मंजूरी मिल गई है। पारस डिफेंस द्वारा यह पहला स्टॉक विभाजन है।
क्या है डिटेल
पारस डिफेंस ने एक रेगुलेटरी फाइलिंग में कहा, "आपको सूचित किया जाता है कि पारस डिफेंस एंड स्पेस टेक्नोलॉजीज लिमिटेड (कंपनी) के शेयरधारकों ने 07 जून, 2025 को पोस्टल बैलट के माध्यम से साधारण संकल्प के माध्यम से इक्विटी शेयरों के उप-विभाजन/विभाजन और कंपनी के मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन (एमओए) के कैपिटल क्लॉज में बदलाव को मंजूरी दे दी है।" 9 जून की एक्सचेंज फाइलिंग के अनुसार, 7 जून, 2025 को आयोजित एजीएम में 99.995 प्रतिशत शेयरधारकों ने प्रस्ताव को मंजूरी दी। बता दें कि पारस डिफेंस ने 30 अप्रैल को अपनी Q4 FY25 आय के दौरान 1:2 स्टॉक स्प्लिट और 0.50 रुपये प्रति शेयर का अपना पहला डिविडेंड घोषित किया है।
कंपनी का कारोबार
मार्च तिमाही में पारस डिफेंस ने नेट प्रॉफिट में 97% की शानदार बढ़ोतरी दर्ज की, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के 10 करोड़ रुपये की तुलना में 19.7 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। कंपनी का रेवेन्यू भी पिछले वर्ष की तिमाही के 79.7 करोड़ रुपये से 35.8% बढ़कर 108.2 करोड़ रुपये हो गया। पारस डिफेंस की ब्याज, कर, मूल्यह्रास और परिशोधन से पहले की आय (EBITDA) बढ़कर 28.3 करोड़ रुपये हो गई, जो पिछले साल के 3.4 करोड़ रुपये से उल्लेखनीय वृद्धि है, जबकि मार्जिन एक साल पहले के 15.6% से लगभग 10 प्रतिशत अंक बढ़कर 26.2% हो गया। बता दें कि पारस डिफेंस रक्षा और अंतरिक्ष इंजीनियरिंग उत्पादों और समाधानों की एक विस्तृत श्रृंखला के डिजाइन, विकास, निर्माण और परीक्षण में लगा हुआ है। पारस डिफेंस का कारोबार मुख्य रूप से उन परियोजनाओं और कार्यक्रमों पर निर्भर है जो केंद्र सरकार और संबंधित संस्थाओं, जैसे रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों और अंतरिक्ष अनुसंधान में शामिल सरकारी संगठनों द्वारा चलाए जाते हैं।