Hindi Newsओपिनियन नजरियाHindustan nazariya column 17 June 2025

बड़े विमान हादसों की याद में बने स्मारकों का संदेश

इंडिया गेट से कुछ आगे पृथ्वीराज रोड की तरफ बढ़ते हुए सड़क की बायीं तरफ एक ईसाई कब्रिस्तान दिखता है। नाम है रॉयल सिमिट्री। इसके अंदर कभी जाइए और घूमिए। यहां पूर्व राष्ट्रपति के आर नारायणन और मशहूर मॉडल…

Hindustan लाइव हिन्दुस्तानMon, 16 June 2025 10:59 PM
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बड़े विमान हादसों की याद में बने स्मारकों का संदेश

विवेक शुक्ला, वरिष्ठ पत्रकार

इंडिया गेट से कुछ आगे पृथ्वीराज रोड की तरफ बढ़ते हुए सड़क की बायीं तरफ एक ईसाई कब्रिस्तान दिखता है। नाम है रॉयल सिमिट्री। इसके अंदर कभी जाइए और घूमिए। यहां पूर्व राष्ट्रपति के आर नारायणन और मशहूर मॉडल जेसिका लाल की कब्र से चंद कदमों की दूरी पर एक कब्र को देखकर आप ठिठक जाएंगे। यह एक प्रतीकात्मक कब्र है, जिसे देखकर दिल दुखी हो जाता है।

दरअसल, यह कब्र उन बदनसीब मुसाफिरों की याद दिलाती है, जो 14 जून, 1972 को हुए जापान एयरलाइंस के विमान हादसे में मारे गए थे। वह विमान बैंकाॅक से दिल्ली आ रहा था। यह उसी जगह पर गिरा था, जहां अब साउथ दिल्ली का वसंत कुंज इलाका आबाद है। उस विमान हादसे में क्रू मेंबर समेत 82 मुसाफिर मारे गए थे। इनमें ये ज्यादातर यात्री अमेरिका व ब्राजील के नागरिक थे। इनमें ब्राजील की मशहूर फिल्मी हस्ती लैला डिंज और भारत के नामवर कृषि वैज्ञानिक डॉ के के पी नरसिंह राव भी सवार थे। इसके अलावा, विमान के गिरने से जमीन पर चार लोगों की जान चली गई थी। अहमदाबाद के विमान हादसे में भी मुसाफिरों और केबिन क्रू के सदस्यों के अलावा ऐसे लोग भी मारे गए हैं, जिन पर विमान के टुकड़े गिरे।

क्या इस विमान हादसे में मारे गए लोगों की याद में स्मारक बनना चाहिए? विमान हादसों में अपनी जान गंवाने वालों की स्मृति में स्मारक बनाना एक संवेदनशील मुद्दा है। ऐसा स्मारक उन लोगों को श्रद्धांजलि होगी, जो अकारण मारे गए। यह पीड़ितों के परिवार व दोस्तों को शोक व्यक्त करने और उनकी स्मृतियों को जीवित रखने का एक स्थान होगा। दूसरा, ऐसे स्मारकों का संदेश विमानन सुरक्षा के महत्व को रेखांकित करना भी होगा कि भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोकने के लिए बेहतर उपायों पर ध्यान दिया जाए। अब से लगभग 40 साल पहले 23 जून, 1985 को हुए एअर इंडिया फ्लाइट 182 (कनिष्क विमान) हादसे का यहां जिक्र करना जरूरी है। यह विमान कनाडा के मॉन्ट्रियल शहर से लंदन होते हुए दिल्ली और मुंबई जा रहा था, जब आयरिश हवाई क्षेत्र में 31 हजार फीट की ऊंचाई पर एक बम विस्फोट के कारण यह दुर्घटनाग्रस्त होकर अटलांटिक महासागर में गिर गया। इस हादसे में सभी 329 यात्री मारे गए, जिनमें 268 भारतीय मूल के कनाडाई नागरिक, 27 ब्रिटिश और 22 भारतीय नागरिक शामिल थे। इसे आधुनिक कनाडा के इतिहास में सबसे बड़ा आतंकवादी हमला और उस समय तक का सबसे घातक विमानन आतंकवादी घटना माना जाता है। कनिष्क हादसा खालिस्तानी आतंकवाद से जुड़ा था। कनाडा में इस हादसे की जांच में कमियों की आलोचना हुई थी।

इस भयंकर हादसे के पीड़ितों की याद में दो स्मारक बनाए गए। हादसे की पहली बरसी पर 1986 में आयरलैंड में एक स्मारक का अनावरण किया गया। यह स्मारक उस स्थान के पास है, जहां विमान समुद्र में गिरा था। यह पीड़ितों को श्रद्धांजलि देने और इस दुखद घटना को याद रखने का प्रतीक है। उधर, कनाडा में भी इस हादसे के पीड़ितों की याद में स्मारक बना। वर्ष 2015 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कनाडा गए थे, तब उन्होंने टोरंटो में इस स्मारक का दौरा किया था। इन दोनों स्मारकों पर पीड़ितों के परिवार आते-जाते रहते हैं। निस्संदेह, ऐसे स्मारक महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि वे भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोकने के लिए आगाह करते रहते हैं व आतंकवाद-रोधी उपायों पर ध्यान केंद्रित करने की अहमियत जताते हैं। ये आतंकी घटनाओं के प्रति आम लोगों को भी जागरूक करते हैं। हालांकि, इन्हें बनाते समय पीड़ित परिवारों की भावनाओं और सहमति का ध्यान रखना जरूरी है। अगर अहमदाबाद में भी विमान हादसे के शिकार यात्रियों की याद में स्मारक बनाया जाए, तो इसमें बुराई नहीं होगी। मगर स्मारक बनाना ही पर्याप्त नहीं होगा। उसकी कायदे से देखरेख भी करनी होगी।

बहरहाल, राॅयल सिमिट्री की उस कब्र को देखकर समझ आ जाता है कि अब इधर फूल चढ़ाने के लिए कभी-कभार ही कोई आता होगा। इस पर अंकित शब्द भी अब मिटने लगे हैं। हां, इतना जरूर है कि हर साल क्रिसमस पर दिल्ली ब्रदरहुड सोसायटी से जुड़े हुए फादर सोलोमन जॉर्ज यहां फूल अवश्य चढ़ाते हैं।

(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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