Hindi Newsबिहार न्यूज़Why is lightning happens repeatedly in Bihar NGT notice citing reason for 2000 deaths

बिहार में बार-बार क्यों गिर रही आकाशीय बिजली? 2000 मौतों की 'वजह' पर एनजीटी का नोटिस

हाल के वर्षों में बिहार में आकाशीय बिजली यानी ठनका गिरने की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है। वज्रपात की वजह से बीते एक दशक के भीतर 2 हजार से भी ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। इस पर आई एक रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए एनजीटी ने बिहार और केंद्र सरकार से जवाब मांगा है।

Jayesh Jetawat लाइव हिन्दुस्तान, पटनाSun, 22 June 2025 04:50 PM
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बिहार में बार-बार क्यों गिर रही आकाशीय बिजली? 2000 मौतों की 'वजह' पर एनजीटी का नोटिस

बिहार में आकाशीय बिजली गिरने की घटना में बढ़ोतरी हुई है। हाल के वर्षों में वज्रपात से होने वाली मौतों का आंकड़ा भी बढ़ गया है। यह चिंता का कारण बना हुआ है। एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 2016 के बाद से अब तक राज्य में वज्रपात की चपेट में आने से 2000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) ने अब इस पर संज्ञान लिया है। एनजीटी ने बिहार में बार-बार बिजली गिरने की घटनाओं का कारण बताकर कंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और अन्य पक्षों से जवाब मांगा है।

एनजीटी ने एक अखबार की रिपोर्ट के हवाले से इस मामले पर स्वतः संज्ञान लिया। इसमें दावा किया गया है कि बिहार में ताड़ के पेड़ों की बड़े पैमाने पर कटाई होने के चलते खराब मौसम के दौरान वज्रपात की घटनाओं में इजाफा हुआ है। एनजीटी के ज्यूडिशियल सदस्य जस्टिस अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल की पीठ ने 5 जून को दिए आदेश में कहा कि रिपोर्ट के अनुसार दर्जनों ऊंचे ताड़ के पेड़ों को गिराया जा रहा है, जिससे बिजली गिरने की घटनाएं अधिक हो रही हैं। नतीजतन मौत के मामले सामने आ रहे हैं।

एनजीटी ने सीपीसीबी के अलावा बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के क्षेत्रीय कार्यालय के साथ ही बिहार सरकार के आपदा प्रबंधन विभाग को प्रतिवादी बनाया है। प्राधिकरण ने सभी पक्षों को नोटिस जारी करते हुए मामले की सुनवाई 7 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी। सभी पक्षों से जवाब मिलने के बाद अगली सुनवाई की जाएगी।

शराबबंदी के बाद से ताड़ के पेड़ों की कटाई शुरू

बिहार में साल 2016 में शराबबंदी कानून लागू हुआ था। इसके तहत ताड़ के पेड़ से बनने वाली ताड़ी को भी प्रतिबंधित कर दिया गया। इससे इन पेड़ों का आर्थिक महत्व कम होता चला गया, तो लोगों ने इनकी कटाई शुरू कर दी। हालांकि, राज्य सरकार ताड़ी की जगह ताड़ के पेड़ से बनने वाले नीरा को प्रचारित कर रही है। फिर भी इनकी इन पेड़ों की कटाई नहीं रुक पा रही है। साथ ही, ताड़ी पर बैन लगने से नए पेड़ों का रोपण भी नहीं हो रहा है।

रिपोर्ट्स के अनुसार ताड़ के पेड़ों की ऊंचाई अधिक होती है। इस कारण ये आकाशीय बिजली को आकर्षित करते हैं। इससे जानमाल के नुकसान की संभावना कम हो जाती है। ताड़ के पेड़ों की संख्या घटने से अब बिजली के खंभों और अन्य पेड़ों पर ठनका गिरने की घटनाओं में बढ़ोतरी हो रही है। इससे जानमाल का नुकसान की आशंका भी बढ़ गई है।

(एजेंसी के इनपुट के आधार पर)

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