लालू से एक मामले में 20 कदम आगे निकल गए तेजस्वी यादव, सरकारी नौकरी से जुड़ा है मामला
बिहार के दो-दो पूर्व मुख्यमंत्रियों लालू यादव और राबड़ी देवी के छोटे बेटे और दस साल से सीएम-इन-वेटिंग चल रहे तेजस्वी प्रसाद यादव एक मामले में अपने पिता और राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव से 20 कदम आगे निकल गए हैं।

बिहार की राजनीति में सीएम-इन-मेकिंग से दस साल में सीएम-इन-वेटिंग तक पहुंच पाए राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता और पूर्व उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव एक मामले में राजद अध्यक्ष और अपने पिता लालू यादव से 20 कदम आगे निकल गए हैं। दो पूर्व मुख्यमंत्री लालू और राबड़ी देवी के परिवार से राजनीतिक वारिस बनकर आगे आए तेजस्वी ने 2020 के विधानसभा चुनाव में 10 लाख सरकारी नौकरी का वादा करके इसे बड़ा मुद्दा बना दिया था। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के शुरुआती तंज ‘नौकरी कहां से देगा’ के बाद जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) की सहयोगी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने 19 लाख नौकरी और रोजगार का वादा संकल्प पत्र में कर दिया था।
तेजस्वी यादव ने 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले बिहार की सरकारी नौकरियों में 100 परसेंट अधिवास नीति (डोमिसाइल पॉलिसी) का वादा कर दिया है। 100 फीसदी नौकरी सिर्फ बिहार के ही रहने वालों को देने की नीति। तेजस्वी ने तो नौकरी प्रतियोगिता के फॉर्म फ्री करने और परीक्षा के लिए आने-जाने का खर्चा भी देने का वादा किया है।
तेजस्वी, प्रशांत किशोर के मुद्दे मारने लगे नीतीश; नौकरी में डोमिसाइल के बाद पेंशन भी बढ़ा दी
महागठबंधन की पहली सरकार के दौरान 2016 में लालू यादव ने नीतीश कुमार से सरकारी जॉब में डोमिसाइल 80 परसेंट करने की मांग की थी। तब नीतीश ने भी इसका समर्थन किया था और कहा था कि वो झारखंड में इस मसले को समर्थन दे रहे हैं तो बिहार में इसका विरोध क्यों करेंगे। लेकिन वो हो नहीं पाया। तेजस्वी ने लालू के 80 परसेंट डोमिसाइल की मांग को पार करके 100 फीसदी का वादा कर दिया है। जबकि डोमिसाइल समर्थक छात्र-छात्राएं 90 परसेंट डोमिसाइल की मांग कर रहे हैं।
क्या आंदोलन-वादों से दबाव में आ गई नीतीश सरकार? 15000 पदों पर बहाली में डोमिसाइल नीति लागू
2022 में जब महागठबंधन की दूसरी बार सरकार बनी और तेजस्वी दूसरी बार नीतीश सरकार में डिप्टी सीएम बने तो सरकारी शिक्षकों की बड़े पैमाने पर भर्ती पर हलचल हुई। उसमें डोमिसाइल की बात पहले थी लेकिन बाद में हटा दी गई। ये वो दौर था जब नीतीश विपक्षी एकता की मुहिम में जुटे थे और जेडीयू नीतीश के लिए राष्ट्रीय राजनीति में संभावनाएं तलाश रही थी। अफसरों ने भी अदालती फैसलों का हवाला देकर शिक्षक भर्ती (टीआरई) में डोमिसाइल के खिलाफ नीतीश को मना लिया। तब से सरकार का स्टैंड यही रहा कि आरक्षित वर्ग (एससी, एसटी, ओबीसी) के पदों को छोड़ बाकी 40 फीसदी पदों के लिए डोमिसाइल नीति नहीं बनेगी। 40 परसेंट पोस्ट पर देश के किसी भी हिस्से के लोग अप्लाई कर सकेंगे और पास होने पर बिहार में नौकरी कर सकेंगे।
बिहार के स्कूलों में 15 हजार पदों पर भर्ती में लागू होगी डोमिसाइल नीति, सम्राट चौधरी का ऐलान
तेजस्वी को नीतीश के साथ शिक्षक बहाली में नियुक्ति पत्र भी बांटने का मौका मिला, लेकिन दोनों के बीच डोमिसाइल पर मतभेद गहरे थे। इंडिया गठबंधन की रफ्तार से नाराज नीतीश 2024 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले वापस भाजपा के पास चले गए। इसके बाद भी विधानसभा में यह सवाल उठता रहा और सरकार अपना स्टैंड दोहराती रही।
पहली बार नीतीश कुमार की सरकार इस मसले पर ढीली पड़ती दिख रही है। सरकार ने सरकारी स्कूलों में लाइब्रेरियन, क्लर्क और चपरासी के लगभग 15 हजार पदों की भर्ती में डोमिसाइल नीति लागू करने का फैसला लिया है। इसका ऐलान भाजपा नेता और डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने कर दिया है। कितना डोमिसाइल होगा, किस तरह से होगा, इसकी जानकारी अभी नहीं आई है लेकिन भर्ती का नोटिफिकेशन आएगा तो उससे ये बात साफ हो जाएगी।
100 परसेंट डोमिसाइल, बिहार के बाहर वालों को सरकारी नौकरी नहीं; तेजस्वी का बड़ा चुनावी ऐलान
डोमिसाइल नीति पर नीतीश सरकार के रवैए में इस महत्वपूर्ण बदलाव को तेजस्वी यादव के 100 फीसदी डोमिसाइल के चुनावी वादे से बन रहे राजनीतिक दबाव के तौर पर देखा जा रहा है। राज्य की राजनीति में तीसरा चुनावी ध्रुव बनाने की कोशिश कर रहे प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी भी डोमिसाइल के मसले पर परीक्षार्थियों की मांग के साथ है। प्रशांत किशोर सरकारी जॉब में 75 परसेंट डोमिसाइल नीति की मांग कर रहे हैं।