शिक्षक-कर्मियों की ट्रेनिंग के लिए बुलाए जाएंगे विशेषज्ञ
दरभंगा में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में फॉरेंसिक विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। कुलपति प्रो. संजय कुमार चौधरी ने फॉरेंसिक प्रयोगशाला की स्थापना और विशेषज्ञों के...

दरभंगा। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में बुधवार को एडवांस्ड रिसर्च सेंटर एवं आईक्यूएसी के संयुक्त तत्वावधान में अनलॉकिंग दि फ्यूचर : फिजिबिलिटी ऑफ़ फॉरेंसिक साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। विवि के स्नातकोत्तर जंतु विज्ञान विभाग के सभागार में आयोजित कार्यशाला में संबद्ध विषय के स्वरूप एवं शिक्षण संस्थान में क्रियान्वयन के पक्षों पर गहनता से मंथन किया गया।कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. संजय कुमार चौधरी ने कहा कि लनामिवि में फॉरेंसिक विज्ञान शिक्षण की दिशा में पहल की जा रही है। कुलपति ने इसके लिए विशेषज्ञों के आउटसोर्सिंग की आवश्यकता पर बल दिया, जिससे स्थाई कर्मियों और शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जा सके।
उन्होंने युवा प्रोफ़ेसर और शोधार्थियों से फॉरेंसिक प्रयोगशाला की स्थापना की योजना बनाने और सीडीएफडी, हैदराबाद सरीखे प्रमुख संस्थानों के साथ समझौता ज्ञापन की योजना में सक्रिय भागीदारी के लिए अनुरोध किया। कार्यशाला में अतिथि वक्ता के रूप में गुजरात के पूर्व डीजीपी डॉ. केशव कुमार, फॉरेंसिक गुरु, फरीदाबाद के सीईओ समीर दत्त, एनएसआईटी के वाइस प्रेसिडेंट धर्मेश भाई वंद्रा और शेरलॉक इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेंसिक साइंस के सीईओ रंजीत सिंह ने अपने विचार रखे। इन विशेषज्ञों ने लनामिवि के शैक्षणिक वातावरण और संरचनात्मक परिसर को फॉरेंसिक विज्ञान शिक्षा के लिए उपयुक्त बताया। अतिथियों ने राष्ट्रीय कौशल विकास परिषद (एनएसडीसी) से अनुमोदित अल्पकालिक व्यावसायिक प्रशिक्षण और राष्ट्रीय जैव प्रौद्योगिकी प्रशिक्षण परिषद से प्रमाणन शुरू करने में विश्वविद्यालय की सहायता करने का आश्वासन भी दिया। पीआरओ डॉ. बिंदु चौहान ने बताया कि कार्यशाला की कड़ी के अंतर्गत महत्वपूर्ण बैठक भी आहूत हुई, जिसमें नई शिक्षा नीति 2020 के अनुसार संरेखित बहु विषयक और अंत:विषयक कौशल आधारित डिप्लोमा पाठ्यक्रमों जैसे साइबर फॉरेंसिक, मोबाइल फॉरेंसिक, बैलिस्टिक्स, डीएनए विश्लेषण आदि को शुरू करने की योजना पर विचार रखे गए और सहमति प्रदान की गई। कार्यशाला में छात्र स्टार्ट-अप, नवाचार नीति और मॉलिक्युलर जीव विज्ञान और डिजिटल फॉरेंसिक प्रयोगशालाओं की शुरुआत के माध्यम से फॉरेंसिक विज्ञान और शिक्षा में उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना पर जोर दिया गया। कार्यशाला का मुख्य आकर्षण परामर्श, साइबर सुरक्षा प्रावधान, दस्तावेज़ सत्यापन, डेटा पुनः प्राप्ति, ग्रामीण फॉरेंसिक आदि के माध्यम से राजस्व सृजन की संभावनाओं का अन्वेषण करना था। कार्यक्रम का संचालन डॉ. सुशोवन बनिक ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो. दिलीप चौधरी ने किया। कार्यशाला में वाणिज्य संकायाध्यक्ष प्रो. हरे कृष्ण सिंह, आईक्यूएसी निदेशक डॉ. मो. ज्या हैदर, एआरसी निदेशक डॉ. नौशाद आलम सहित कई शिक्षक व छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
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