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गलियों में आवारा कुत्तों का खौफ, घरों से निकलने में डरते हैं बच्चे

शहर में हजारों आवारा कुत्ते घूम रहे हैं, जिससे लोग घर से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। माता-पिता बच्चों को अकेले स्कूल नहीं भेजते। नगर निगम इस समस्या के प्रति उदासीन है और कोई कार्रवाई नहीं कर रहा। रात...

Newswrap हिन्दुस्तान, समस्तीपुरSat, 28 June 2025 09:04 AM
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गलियों में आवारा कुत्तों का खौफ, घरों से निकलने में डरते हैं बच्चे

एक अनुमान के मुताबिक शहर में हजारों आवारा कुत्ते घूम रहे हैं। ये इतने हमलावर हो गए हैं कि लोगों का घर से निकलना मुश्किल हो गया है। माता-पिता बच्चों को अकेले स्कूल भी नहीं जाने देते हैं। ये रोज लोगों को काटकर जख्मी कर रहे हैं। बावजूद नगर निगम की ओर से कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। नगर निगम की ओर से इनकी कोई आधिकारिक गिनती अबतक नहीं की गई है। शहर की सड़कों, मोहल्लों और बाजारों में इनका जमावड़ा रहता है। सबसे बड़ी समस्या यह है कि कुत्तों के लिए कहीं भी शेल्टर होम या देखरेख की व्यवस्था नहीं की गई है।

ऐसे में ये कुत्ते भोजन की तलाश में इधर-उधर भटकते रहते हैं और कई बार लोगों पर हमला तक कर देते हैं। खासकर शहर के ताजपुर रोड, कचहरी रोड, सोनवर्षा चौक, मगरदही घाट, मोहनपुर रोड जैसे इलाकों में इनकी संख्या बेतहाशा बढ़ गई है। ताजपुर रोड के पंकज कुमार का कहना है कि ये कुत्ते इतने आक्रामक हो चुके हैं कि महिलाओं और बच्चों को रास्ता बदलना पड़ता है। कई बार राह चलते लोगों को काटने की घटनाएं भी सामने आती हैं। बच्चे खेल के दौरान इन कुत्तों का शिकार बन जाते हैं, जिससे माता-पिता हर वक्त चिंतित रहते हैं। कुत्तों के काटने के बाद सबसे पहली जरूरत होती है एंटी रेबीज वैक्सीन की। सरकारी अस्पतालों में यह टीका मुफ्त में दिया जाता है, लेकिन कई बार वहां इसकी उपलब्धता नहीं होती। ऐसी स्थिति में लोगों को मजबूरन महंगे दामों पर यह टीका प्राइवेट अस्पतालों या मेडिकल स्टोर से खरीदना पड़ता है। कुमारी पुष्पम का कहना है कि नगर निगम इस समस्या को लेकर पूरी तरह उदासीन है। न तो कुत्तों की नसबंदी का कोई नियमित कार्यक्रम चल रहा है और न ही इनके लिए कोई स्थायी समाधान की योजना बनाई जा रही है। शिकायत के बाद भी नगर निगम कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। स्नेहा कहती हैं कि आवारा कुत्तों का डर हमेशा बना रहता है। स्थिति यह है कि दिन में भी बच्चों को सड़कों पर लोग अकेले नहीं जाने देना चाहते हैं। सुबह में मॉर्निग वाक पर जाने वाले लोगों को भी कुत्तों का डर इस तरह रहता है कि अकेले घर से निकलने की सोचते भी नहीं हैं। अगल-बगल के चार पांच लोग जब जमा हो जाते हैं तो सभी एक साथ पटेल मैदान या इन्द्रा स्टेडियम की ओर निकलते हैं।

रात में सड़कों पर निकलने से डरने लगे हैं लोग : मिंटू कुमार बताते हैं कि आवारा कुत्तों का डर रात में और भी ज्यादा गंभीर हो जाता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि जैसे ही रात होती है, ये आवारा कुत्ते झुंड बनाकर गलियों और सड़कों पर घूमने लगते हैं। ऐसे में देर रात घर लौटने वाले लोगों को दौड़ा देते हैं। सुरेश चौधरी बातते हैं कई बार उन्हें अकेले घर लौटने में डर लगता है। जो लोग पैदल घर जाते हैं, वे कुत्तों के झुंड को देखकर रास्ता बदलने को मजबूर हो जाते हैं। कई मामलों में कुत्तों ने राहगीरों पर हमला कर दिया है, जिससे वे घायल भी हुए हैं। बाइक सवारों के लिए भी ये कुत्ते मुसीबत बन चुके हैं। लोगों ने बताया कि रात के समय बाइक से गुजरने पर स्ट्रीट डॉग अचानक पीछा करने लगते हैं। तेज गति से दौड़ते कुत्ते न केवल डर पैदा करते हैं, बल्कि कई बार बाइक चालकों का संतुलन बिगड़ जाता है और वे गिरकर घायल हो जाते हैं।

-बोले जिम्मेदार-

नगर निगम द्वारा आवारा कुत्तों को पकड़ने के लिए कदम उठाये जा रहे हैं। पशुपालन विभाग से बातचीत की जा रही है ताकि शहर में रहने वाले लोगों को सुरक्षित माहौल मिल सके। शहर में अभियान चलाकर आवारा कुत्तों को पकड़कर उनका वैक्सीनेशन कराये जाने को लेकर पशुपालन विभाग को नगर निगम द्वारा पत्र लिखा जाएगा।

-राजेश कुमार सिंह, प्रभारी नगर आयुक्त

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