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नीम गली में न सड़क बेहतर न पानी की व्यवस्था, नाला भी रहता है जाम

नीम गली में जनसंख्या घनत्व के बावजूद लोग बुनियादी सुविधाओं की कमी का सामना कर रहे हैं। पेयजल, सड़क, नाली, और स्ट्रीट लाइट जैसी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। स्थानीय निवासी जलजमाव, गंदगी और दुर्घटनाओं से...

Newswrap हिन्दुस्तान, समस्तीपुरThu, 19 June 2025 04:11 AM
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नीम गली में न सड़क बेहतर न पानी की व्यवस्था, नाला भी रहता है जाम

नगर निगम क्षेत्र के नीम गली में घनी आबादी है। बावजूद बुनियादी सुविधाओं के लिए भी लोग यहां बेबस हैं। इस इलाके के लोग नाली, सड़क, पेयजल, स्ट्रीट लाइट, नियमित सफाई जैसी सुविधाओं से वंचित हैं। इस गली में खासकर बांध क्षेत्र का इलाका तो हर सुविधा से पूरी तरह महरूम हैं। नागरिक सुविधाओं का विकास अबतक नहीं किया जा सका है। शहर के लिए यह गली बहुत महत्वपूर्ण है। मगरदही घाट के रास्ते बूढ़ी गंडक नदी के दाएं तट से लेकर जितवारपुर तक बाइपास के रूप में इस सड़क का लोग इस्तेमाल करते हैं। बोले समस्तीपुर के तहत बांध पर बसे लोगों ने अपनी समस्याओं के बारे में खुलकर बात की।

स्थानीय मुकेश कुमार बताते हैं कि सबसे बड़ी समस्या फिलहाल पेयजल को लेकर बनी हुई है। इस गर्मी में पानी के लिए मशक्कत करनी पड़ती है। जबकि बरसात के दिनों में निचले रोड पर बरसात का पानी जमा हो जाने के कारण घर से बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है। जलजमाव और गंदगी के कारण मच्छरों से लोग परेशान रहते हैं। 

पेयजल आपूर्ति हो सुनिश्चित : मो. इजाज ने बताया कि शहरी क्षेत्र में शामिल करने के बाद से सभी परिवार नियमित रूप से होल्डिंग टैक्स भी जमा कर रहे हैं परंतु सुविधा देने में नगर निगम प्रबंधन उदासीन बना हुआ है। भूमिगत जलस्तर पर हानिकारक खनिज की मात्रा अधिक होने के कारण लोगों का स्वास्थ्य भी खराब हो रहा है। नगर प्रशासन को शीघ्र पाइपलाइन बिछाकर पानी की सहजता से आपूर्ति सुनिश्चित करनी चाहिए। बांध पर बने बाइपास पर वाहनों की तेज गति से आने-जाने से अक्सर दुर्घटना होती रहती है। हर सप्ताह पांच से सात लोग बांध पर वाहनों के चपेट में आते हैं। लेकिन इसकी रोकथाम के लिए कोई उपाय तक नहीं किया जाता है। इस घनी आबादी वाले क्षेत्र के ठीक आगे बांध पर अतिक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। परंतु प्रशासन ने इसे अतिक्रमण मुक्त कराकर विकसित करने और नागरिकों को खूबसूरत तालाब और पार्क देने की दिशा में अबतक कोई पहल नहीं की है। बूढ़ी गंडक नदी के सहारे 200 से अधिक परिवारों के नहाने और कपड़ा धोने की जरूरत पूरी होती है। परंतु घाट और बांध से अतिक्रमण नहीं हटाया जा रहा है। मुकेश कुमार बताते हैं कि तेजी से बढ़ती आबादी के कारण सरकारी भूमि पर अतिक्रमण भी बढ़ रहा है। परंतु इस दिशा में प्रशासनिक कार्रवाई अबतक शून्य है। इसके कारण सरकारी व्यवस्था में भरोसा रखने वाले नागरिकों की परेशानी बढ़ती जा रही है। नागरिक बार-बार सड़कों को अतिक्रमण मुक्त करने, नालियों का निर्माण कराने, बिजली पोल को सड़क के किनारे व्यवस्थित करने आदि की मांग करते आ रहे हैं परंतु समुचित पहल नहीं की जा रही है। स्थानीय लोग बताते हैं कि मोहल्लों की कुछ गलियों का पक्कीकरण किया गया है परंतु निर्माण के दौराण गुणवता का ध्यान नहीं रखने के कारण उनकी स्थिति भी बदतर होती जा रही है। पक्की सड़क नहीं होने के कारण बरसात के दिनों में मोहल्ले के निवासियों का जीवन नरक बन जाता है। गंदे पानी से होकर आना-जाना मजबूरी बन जाती है। इस दौरान फिसलकर लोग गिरकर चोटिल भी हो जाते हैं। बरसात में यहां के हालात बदतर हो जाते हैं। 

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