80 साल पुरानी जंग लगी लोहे की टंकी से पेयजल आपूर्ति
शाहपुर पटोरी रेलवे स्टेशन पर यात्रियों और रेलवे कॉलोनी में दशकों से दूषित पेयजल की आपूर्ति की जा रही है। पुराने लोहे की टंकी से जलापूर्ति हो रही है, जिसका ढक्कन जंग लगने के कारण क्षतिग्रस्त हो चुका...

शाहपुर पटोरी। शाहपुर पटोरी रेलवे स्टेशन पर यात्रियों एवं रेलवे कॉलोनी की क्वार्टर में दशकों से दूषित पेयजल की आपूर्ति की जा रही है। जानकारी के अभाव में रेल यात्री और रेलकर्मी दोनों ऐसे दूषित जल पीने को बाध्य हैं। स्टेशन व कॉलोनी के क्वार्टर्स में वर्तमान में लगभग 8 दशक पुराने लोहे की बनी टंकी से जलापूर्ति की जा रही है। काफी पुराना हो जाने के कारण टंकी का ऊपरी ढक्कन जंग लगकर पूरी तरह समाप्त हो चुका है। इसका खुलासा तब हुआ जब एक व्यक्ति ने खेल खेल में पानी की टंकी के ऊपर से ड्रोन कैमरा गुजारा। देखा गया कि लोहे के पानी की टंकी के ढ़क्कन पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुके हैं।
ढक्कन नहीं होने के बावजूद इस पानी की टंकी में पानी भरकर जलापूर्ति की जा रही है। पानी के ऊपर धूलकण एवं शैवाल की मोटी परत जमी हुई है। पूर्व में समय समय पर लोहे की पानी टंकी की सफाई की जाती थी परंतु विभाग यह सोचकर लोहे की पानी टंकी में नया ढ़क्कन नहीं लगाती है कि अब उस पानी टंकी के समीप दूसरी आरसीसी नयी पानी टंकी का निर्माण हो चुका है। नए आरसीसी पानी टंकी का निर्माण लगभग 4 वर्ष पूर्व ही पूरा हो चुका है। नई बोरिंग कई वर्ष पूर्व की जा चुकी है। जलापूर्ति संयंत्र के लिए कक्ष बनकर तैयार है, फिर भी विभाग द्वारा नए पानी की टंकी से जलापूर्ति शुरू नहीं की जा रही है। इतना ही नहीं लोहे की टंकी के क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण जब भी टंकी में पानी भरा जाता है तो पानी भरने के बाद भी घंटों हजारों लीटर पानी बेवजह टंकी से बाहर गिरता रहता है। इसकी सुधि लेने वाला भी कोई नहीं है।
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