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उग्रतारा मन्दिर के न्यास गठन व प्रबंधन की गड़बड़ी पर कार्रवाई नहीं होने से नाराजगी

महिषी में श्री उग्रतारा मंदिर न्यास के गठन और प्रबंधन में गड़बड़ी से स्थानीय लोगों में नाराजगी है। शिकायतों के बावजूद प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की। ग्रामीणों ने न्यास समिति के गठन और आय-व्यय का...

Newswrap हिन्दुस्तान, सहरसाSun, 29 June 2025 03:16 AM
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उग्रतारा मन्दिर के न्यास गठन व प्रबंधन की गड़बड़ी पर कार्रवाई नहीं होने से नाराजगी

महिषी एक संवाददाता । महिषी स्थित अति प्राचीन सिद्धपीठ व लाखों की आबादी के आस्था का केंद्र श्री उग्रतारा मंदिर के न्यास गठन एवं प्रबंधन की गड़बड़ी को लेकर स्थानीय लोगों, मुखिया एवं पूर्व न्यास कमिटी के सचिव के शिकायत के बाबजूद अबतक किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं होने से शिकायतकर्त्ताओं में नाराजगी है। लोगों ने जिला प्रशासन सहित न्यास परिषद से शीघ्र इस मामले में जांच कर न्यायोचित कार्रवाई करने की मांग की है। ज्ञात हो कि स्थानीय आध्यात्मिक महत्ता से प्रभावित होकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा मंदिर विकास की नींव रखी गयी थी। डेढ़ दशक पूर्व भारतीय पुरातत्व के द्वारा विश्व धरोहर दिवस का आयोजन भी कराया गया था।

इसी आयोजन में तत्कालीन बिहार राज्य धार्मिक न्यास परिषद के अध्यक्ष आचार्य किशोर कुणाल के द्वारा मंदिर के प्रबन्धन व विकास को ध्यान में रखते मन्दिर को न्यास के अधीन पंजीकृत किया गया। न्यास समिति व मंदिर पुजारियों में समन्वय के अभाव के कारण आज तक मन्दिर का अपेक्षित विकास नहीं हो पाया। न्यास कमिटी में डीएम को पदेन स्थायी अध्यक्ष के रूप में चयनित किया गया ताकि मंदिर प्रबंधन सुंदर तरीके के संचालित हो व विकास क़ो गति मिल सके। लेकिन विडंबना यह रही कि यह कमिटी अपने मुख्य उद्देश्य को नहीं पा सकी व धीरे धीरे न्यास पर राजनीति का प्रभाव होने लगा। पूर्व न्यास कमिटी के सचिव पीयूष रंजन ने बताया कि पहली न्यास कमिटी में नारायण चौधरी सचिव चुने गए। उनके बाद पीयूष सचिव बने। अगस्त 2023 में अवैध रूप से न्यास समिति सदस्यों के फेरबदल करा बिना आमसभा कराये मुझे हटा केशव चौधरी क़ो सचिव बनाया व प्रशासन के बल जबरन सचिव को पदभार दिलाया गया। इन सभी कमिटियों में पदेन अध्यक्ष के अतिरिक्त उपाध्यक्ष का पद भी एक ही व्यक्ति के जिम्मे रहा। उन्होंने बताया कि तत्कालीन सिमरी बख्तियारपुर के डीसीएलआर सौरभ कुमार की अगुवाई में सभी दान पेटिका क़ो तोड़ राशि निकाली गई। इस दौरान तत्कालीन कोषाध्यक्ष माणिक चंद्र झा ने अपना इस्तीफा दे दिया। ऐसी चर्चा है कि तब से लेकर आज तक न्यास के खाता में जमा निकासी नहीं हो रही व कोई आय व्यय का लेखा संधारण भी नहीं हो रहा है। पूर्व सचिव पीयूष ने आरोप लगाते बताया कि दान दाता से वर्तमान सचिव के द्वारा अपने मोबाइल पर रुपया वसूली कर बंदरबाँट किया जा रहा है। स्थानीय मुखिया सोनी कुमारी के द्वारा विगत वर्ष ग्राम सभा कराया गया, जिसके निर्णय के आलोक में न्यास बोर्ड में सचिव सहित सदस्य पंडा पर आपराधिक मुकदमा होने की शिकायत की गई थी। इसके अतिरिक्त ग्रामीणों द्वारा नव गठित न्यास कमिटी के गठन में बरती गई अनियमितता की जांच की भी मांग की गई थी, लेकिन अब तक इस दिशा में किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं होते दिखने से लोगों में नाराजगी है। ग्रामीणों ने डीएम से नव गठित न्यास समिति के कार्यकाल के आय व्यय का लेखा जोखा सार्वजनिक करने सहित नवगठित कमिटी के गठन प्रक्रिया की जांच की मांग की है।

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